Move to Jagran APP
Explainers

Dividend Calculation: कंपनियां कब और क्यों बांटती हैं डिविडेंड, क्या हैं नियम और शर्तें; जानिए पूरी डिटेल

देश की तमाम लिस्टेड कंपनियां अक्सर तिमाही नतीजों के बाद अपने शेयरहोल्डर्स के लिए डिविडेंड का एलान करती हैं। लेकिन डिविडेंड पाने के लिए कुछ खास नियम और शर्तों की जानकारी होनी चाहिए। आइए जानते हैं कि डिविडेंड (Dividend) क्या होता है कंपनियां डिविडेंड क्यों देती हैं और क्या डिविडेंड देना अनिवार्य है। साथ ही क्या कंपनी घाटा होने के बावजूद भी लाभांश बांट सकती है।

By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Published: Tue, 07 May 2024 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2024 08:00 AM (IST)
कंपनियां डिविडेंड को फेस वैल्यू से तय करती हैं

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ दिनों से कंपनियां लगातार अपने तिमाही नतीजे जारी कर रही हैं। इनमें से कई कंपनियां हैं, जिनके मुनाफे में बड़ा उछाल आया है और वे अपने शेयरहोल्डर्स को लाभांश यानी डिविडेंड भी बांट रही हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि डिविडेंड (Dividend) क्या होता है, कंपनियां डिविडेंड क्यों देती हैं और क्या डिविडेंड देना अनिवार्य है। आइए इन सवालों का जवाब जानते हैं।

loksabha election banner

क्या होता है डिविडेंड?

डिविडेंड को यूं समझिए कि आपके पापा को बिजनेस में बड़ा प्रॉफिट हुआ है। उन्होंने इस बार आपको और आपके दूसरे भाई-बहनों को पॉकेटमनी के साथ कुछ रुपये एक्स्ट्रा दे दिए, ताकि आप लोग और खुश रहें। कंपनियां भी उन लोगों के साथ अपने मुनाफे का कुछ हिस्सा साझा करती हैं, जिन्होंने उनके शेयर खरीद रखे होते हैं। यह सीधे आपके डीमैट वाले अकाउंट में आता है।

लाभांश देने का वैसे कोई निश्चित समय नहीं। लेकिन, अमूमन कंपनियां तिमाही नतीजों के बाद ही डिविडेंड की सिफारिश करती हैं। कुछ अच्छी कमाई होने पर नतीजों से पहले डिविडेंड दे देती हैं। मतलब कि यह उनकी मर्जी पर है कि वह कब डिविडेंड देती हैं।

फेस वैल्यू से तय होता है डिविडेंड

शेयर की वैल्यू दो तरीके की होती है, फेस वैल्यू और मार्केट वैल्यू। मार्केट वैल्यू का मतलब होता है कि बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री किस मूल्य पर हो रही है। वहीं, फेस वैल्यू को कंपनी अपने शेयरों की संख्या निर्धारित करते वक्त तय करती है। यह 1 से 10 रुपये के बीच कुछ भी हो सकती है।

कंपनियां फेस वैल्यू के प्रतिशत के रूप में बताती हैं। मसलन, कोई कंपनी है माया शुगर। अगर माया शुगर के शेयर की फेस वैल्यू 10 रुपये है और वह प्रति शेयर 10 रुपये का लाभांश देने की घोषणा करती है। इसका मतलब होगा कि कंपनी ने शत-प्रतिशत डिविडेंड का एलान किया है। अगर 40 रुपये प्रति शेयर के डिविडेंड का एलान होगा, तो कहा जाएगा कि कंपनी ने 400 फीसदी डिविडेंड दिया है।

डिविडेंड में तारीख की अहमियत

लाभांश देने के मामले में 4 तारीखें काफी महत्वपूर्ण होती हैं। अनाउंसमेंट डेट, एक्स डिविडेंड डेट, रिकॉर्ड डेट और पेमेंट डेट। अनाउंसमेंट डेट के दिन कंपनी बताती है कि वह कितने रुपये का डिविडेंड देगी। एक्स डिविडेंड डेट का मतलब वह समय है, जिसके बाद स्टॉक का खरीदार डिविडेंड ता पात्र नहीं होता। वहीं, रिकॉर्ड डेट पर कंपनी के शेयर जिनके भी डीमैट अकाउंट में होते हैं, उन्हें डिविडेंड मिलता है।

इस सूरत में आपको डिविडेंड का पात्र बनने के लिए एक दिन पहले कंपनी का शेयर खरीदना होगा, क्योंकि शेयर खरीदने के एक दिन आपके डीमैट अकाउंट में आते हैं। इसमें कोई उलझन ना हो, इसलिए इसे एक्स डिविडेंड डेट कहते हैं। वहीं, पेमेंट डेट वह होती है, जिस दिन आपके खाते में डिविडेंड की रकम आ जाती है।

इस बात को यूं समझिए कि माया शुगर ने 1 अप्रैल को डिविडेंड का एलान किया। यह हो गई अनाउंसमेंट डेट। कंपनी ने इसके लिए रिकॉर्ड डेट तय की 20 अप्रैल। यहां एक्स डिविडेंड हो जाएगी 19 अप्रैल। यानी डिविडेंड का हकदार बनने के लिए आपको 19 अप्रैल को शेयर खरीदने होंगे। अगर डिविडेंड की रकम आपके खाते में 25 अप्रैल को आ जाती है, तो वह पेमेंट डेट हो जाएगी।

क्या सभी कंपनियां देती हैं डिविडेंड?

इस तरह की कोई शर्त नहीं। यह पूरी तरह कंपनी के मर्जी पर है कि वह लाभांश देती है या नहीं। कंपनियां अमूमन निवेशकों को अपने साथ जोड़े रहने के लिए डिविडेंड देती हैं। वे शेयरहोल्डर को भी कंपनी का मालिक समझती हैं और मुनाफे पर उनका भी अधिकार मानती हैं। वहीं, कुछ कंपनियां डिविडेंड के पैसे को बिजनेस की ग्रोथ में लगा देती हैं। उनका मानना होता है कि इससे कंपनी के शेयर की वैल्यू बढ़ेगी, जिससे शेयरहोल्डर्स को सीधे-सीधे फायदा होगा।

घाटे पर दिया जा सकता है लाभांश?

बिल्कुल, कंपनी घाटे के बावजूद भी अपने शेयरधारकों को लाभांश बांट सकती हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में 20 से अधिक कंपनियों ने घाटे के बावजूद डिविडेंड दिया था। इनमें भारती एयरटेल और अडानी पोर्ट जैसे नाम भी शामिल थे। कंपनी एक्ट, 1956 के अनुसार, अगर कंपनी को नुकसान हुआ है, तो भी वह फ्री कैश रिजर्व और पिछले साल के मुनाफे में से डिविडेंड बांट सकती हैं।

हालांकि, कैश रिजर्व के मामले में यह शर्त जरूर है कि कंपनी अधिकतम कितनी रकम डिविडेंड के रूप में बांट सकती है। अगर कंपनी पिछले मुनाफे से लाभांश बांटती है, तो इस तरह की कोई शर्त नहीं होती।

डिविडेंड से जुड़ी कुछ अहम बातें :

  • डिविडेंड देने का फैसला कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स या संचालन समिति की सिफारिश पर होता है।
  • कितना डिविडेंड मिलेगा और रिकॉर्ड डेट क्या होगी, यह फैसला करने का अधिकार कंपनी के पास है।
  • लाभांश देने के लिए शेयरधारकों की पहचान करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
  • कंपनियां मुनाफे के अलावा रिजर्व से भी डिविडेंड देती हैं, ताकि कंपनी पर निवेशकों का भरोसा बना रहे।

यह भी पढ़ें : Best SIP to Invest: अमीर बनने का सबसे आसान फॉर्मूला है SIP, पर इन बातों का रखें ध्यान

 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.