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Pradosh Vrat 2024 Date: कब है मई का दूसरा प्रदोष व्रत, जानें पूजा का सही समय

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष काल में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। इस बार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 20 मई को है। इसी दिन प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस तिथि पर भगवान शिव के संग मां पार्वती की पूजा करने का विधान है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Published: Tue, 07 May 2024 05:42 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2024 05:42 PM (IST)
Pradosh Vrat 2024 Date: कब है मई का दूसरा प्रदोष व्रत, जानें पूजा का सही समय

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pradosh Vrat 2024 Date: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित है। हर महीने में 2 बार प्रदोष व्रत किया जाता है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। इस बार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 20 मई को है। इसी दिन प्रदोष व्रत किया जाएगा। इस तिथि पर भगवान शिव के संग मां पार्वती की पूजा करने का विधान है। साथ ही जीवन में सुख-शांति के लिए व्रत भी किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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प्रदोष व्रत 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2024 Date and Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 20 मई को दोपहर 03 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 21 मई को शाम 05 बजकर 39 मिनट पर होगा। ऐसे में प्रदोष व्रत 20 मई को किया जाएगा। प्रदोष व्रत की पूजा संध्याकाल में करने के विधान है।

प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)

  • प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
  • सूर्य देव को जल अर्पित करें।
  • चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और मां पार्वती की प्रतिमा विराजमान करें।
  • पंचामृत से उनका स्नान करवाएं।
  • शिव जी को सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
  • देसी घी का दीपक जलाएं।
  • भोलेनाथ को बेल पत्र अवश्य चढ़ाएं।
  • इसके बाद दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
  • प्रदोष व्रत पर शिव चालीसा का पाठ करना भी फलदायी होता है।
  • अंत में प्रिय चीजों का भोग लगाएं।
  • लोगों में प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।

शिव पूजन मंत्र

''ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्''।।

''ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्''।।

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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