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Shani Jayanti 2024: शनि जयंती पर पूजा के समय जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, खुल जाएंगे किस्मत के द्वार

सनातन शास्त्रों में निहित है कि सूर्य देव की पहली अर्द्धांगिनी संज्ञा अपने पिता से आज्ञा पाकर तपस्या करने वन चली गईं। जाने से पहले माता संज्ञा ने प्रतिरूप छाया को प्रकट कर सूर्य देव की सेवा में लगा दिया। सूर्य देव को यह आभास नहीं हुआ कि उनकी सेवा संज्ञा नहीं कर रही हैं बल्कि उनका प्रतिरूप छाया कर रही हैं।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Tue, 07 May 2024 04:29 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2024 04:29 PM (IST)
Shani Jayanti 2024: शनि जयंती पर पूजा के समय जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, खुल जाएंगे किस्मत के द्वार

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vaishakh Amavasya 2024: ज्योतिष गणना के अनुसार 08 मई को शनि जयंती है। यह पर हर वर्ष वैशाख अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन न्याय के देवता शनिदेव की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति हेतु व्रत-उपवास रखा जाता है। धार्मिक मत है कि शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होता है। कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होने से जातक अल्प समय में ऊंचा मुकाम हासिल करता है। अगर आप भी शनिदेव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो वैशाख अमावस्या पर विधिपूर्वक शनिदेव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय यह कथा जरूर पढ़ें।

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कथा

सनातन शास्त्रों में निहित है कि सूर्य देव की पहली अर्द्धांगिनी संज्ञा अपने पिता से आज्ञा पाकर तपस्या करने वन चली गईं। जाने से पहले माता संज्ञा ने प्रतिरूप छाया को प्रकट कर सूर्य देव की सेवा में लगा दिया। सूर्य देव को यह आभास नहीं हुआ कि उनकी सेवा संज्ञा नहीं कर रही हैं, बल्कि उनकी प्रतिरूप छाया कर रही हैं। कालांतर में छाया के गर्भ से शनिदेव का जन्म हुआ। जिस समय शनिदेव माता छाया के गर्भ में थे। उस समय माता छाया देवों के देव महादेव की कठिन भक्ति में लीन थीं।

कठिन भक्ति के चलते माता छाया अपनी सेहत पर ध्यान दे न सकीं। इसका प्रभाव शनिदेव के वर्ण पर पड़ा। इसके चलते शनिदेव श्याम वर्ण के हैं। शनिदेव को देख सूर्य देव को विश्वास नहीं हुआ कि शनिदेव उनके पुत्र हैं। उस समय उन्होंने माता छाया को बहुत अपमानित किया। इससे कुंठित होकर शनिदेव ने माता छाया की भांति भगवान शिव की कठिन भक्ति की। शनिदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने शनिदेव को नवग्रहों में श्रेष्ठता प्रदान किया। साथ ही शनिदेव को न्याय करने का अधिकार दिया। इसके लिए शनिदेव व्यक्ति विशेष के कर्मों का लेखा-जोखा अपने पास रखते हैं। अच्छे कर्म करने वालों को शुभ फल देते हैं। वहीं, बुरे कर्म करने वालों को दंडित करते हैं।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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