ज्ञानवापी मामले में हुई सुनवाई, मंत्रालय स्पष्ट करने की मांग खारिज; कोर्ट ने सरकार को दिया जवाब दाखिल करने का आदेश
ज्योर्तिलिंग आदि विश्वेश्वर विराजमान की ओर से दाखिल मुकदमे की सुनवाई शुक्रवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) प्रशांत कुमार सिंह की अदालत में हुई। अदालत ने भारत सरकार के प्रार्थना पत्र को निरस्त करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। सरकार की ओर से प्रतिवादी के तौर पर मंत्रालय का नाम स्पष्ट करने की अदालत से अपील की गई थी।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज्योर्तिलिंग आदि विश्वेश्वर विराजमान की ओर से दाखिल मुकदमे की सुनवाई शुक्रवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक) प्रशांत कुमार सिंह की अदालत में हुई।
अदालत ने भारत सरकार के प्रार्थना पत्र को निरस्त करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। सरकार की ओर से प्रतिवादी के तौर पर मंत्रालय का नाम स्पष्ट करने की अदालत से अपील की गई थी। मामले की अगली सुनवाई 27 मई को होगी।
मुकदमे में यूनियन ऑफ इंडिया (भारत सरकार) को पक्षकार बनाया गया था। अदालत ने प्रतिवादी भारत सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। विधि मंत्रालय ने अदालत से प्रार्थना की थी कि भारत सरकार के बजाय किसी मंत्रालय को पक्षकार बनाया जाए और उसे जवाब देने के लिए नोटिस दिया जाए।
वादी पक्ष की ओर से इस पर आपत्ति जताते हुए कहा गया था कि सभी मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत हैं। सरकार चाहे तो किसी भी मंत्रालय को जवाब दाखिल करने का आदेश दे सकती है।
मुकदमे में ज्ञानवापी स्थित भूखंड (आराजी नंबर 9130) पर भगवान का मालिकाना हक घोषित करने, केंद्र व राज्य सरकार से भव्य मंदिर निर्माण में सहयोग और ज्ञानवापी में लगाई गई बैरिकेडिंग को हटाने की मांग की गई है।
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