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Household Savings: तीन सालों में शुद्ध घरेलू बचत नौ लाख करोड़ रुपये घटी, परिवारों का लोन भी दोगुना हुआ

शुद्ध घरेलू बचत तीन साल में 9 लाख करोड़ रुपये से घटकर 2022-23 तक 14.16 लाख करोड़ रुपये पर आ गई। यह जानकारी सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के हालिया राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी 2024 के डेटा से मिली है। परिवारों का बैंक एडवांस (लोन) भी तीन साल में दोगुना हो गया। यह 2020-21 में 6.05 लाख करोड़ रुपये था जो 2022-23 में 11.88 लाख करोड़ रुपये हो गया।

By Agency Edited By: Suneel Kumar Published: Tue, 07 May 2024 06:58 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2024 06:58 PM (IST)
2020-21 में शुद्ध घरेलू बचत 23.29 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई थी।

पीटीआई, नई दिल्ली। शुद्ध घरेलू बचत तीन साल में 9 लाख करोड़ रुपये से घटकर 2022-23 तक 14.16 लाख करोड़ रुपये पर आ गई। यह जानकारी सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के हालिया राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी 2024 के डेटा से मिली है।

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2020-21 में शुद्ध घरेलू बचत 23.29 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई थी। उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। 2021-22 में शुद्ध घरेलू बचत घटकर 17.12 लाख करोड़ रुपये रह गई और 2022-23 में यह घटकर पांच साल के निचले स्तर 14.16 लाख करोड़ रुपये पर आ गई।

शुद्ध घरेलू बचत का पिछला निचला स्तर 2017-18 में 13.05 लाख करोड़ रुपये था, जो 2018-19 में बढ़कर 14.92 लाख करोड़ रुपये हो गई। 2019-20 में यह आंकड़ा 15.49 लाख करोड़ रुपये हो गया।

MF में जमकर निवेश कर रहे लोग

मंत्रालय के आंकड़ों से यह भी पता चला कि तीन साल में म्यूचुअल फंड में निवेश 2022-23 में लगभग तीन गुना होकर 1.79 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह 2020-21 में 64,084 करोड़ रुपये और 2021-22 में 1.6 लाख करोड़ रुपये था।

अगर शेयरों और डिबेंचर में घरेलू निवेश की बात करें, तो यह तीन वर्षों में तकरीबन दोगुना हो गया है। यह 2020-21 में 1.07 लाख करोड़ रुपये था, जो 2022-23 में 2.06 लाख करोड़ रुपये हो गया। वहीं, 2021-22 में यह 2.14 लाख करोड़ रुपये था।

लोन भी तीन साल में दोगुना हुआ

परिवारों का बैंक एडवांस (लोन) भी तीन साल में दोगुना हो गया। यह 2020-21 में 6.05 लाख करोड़ रुपये था, जो 2022-23 में 11.88 लाख करोड़ रुपये हो गया। वहीं, 2021-22 में यह 7.69 लाख करोड़ रुपये था।

वित्तीय संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों द्वारा परिवारों को दिया जाने वाला कर्ज भी 2020-21 में 93,723 करोड़ रुपये से चार गुना बढ़कर 2022-23 में 3.33 लाख करोड़ रुपये हो गया। 2021-22 में यह 1.92 लाख करोड़ था।

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