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World Asthma Day 2024: बच्चों में अस्थमा अटैक बन सकता है बड़ी परेशानी, डॉक्टर के बताए इन तरीकों से करें बचाव

अस्थमा सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जो सिर्फ बड़ों ही नहीं बल्कि बच्चों को भी अपनी चपेट में ले लेती है। आइए आज 7 मई को दुनियाभर में मनाए जा रहे विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day 2024) के मौके पर डॉक्टर्स की मदद से जानते हैं कि बच्चों को अस्थमा अटैक से कैसे बचाएं और इसके इलाज के दौरान किन जरूरी बातों का ख्याल रखें।

By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Published: Tue, 07 May 2024 04:21 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2024 04:21 PM (IST)
अस्थमा अटैक बन सकता है बच्चों के लिए परेशानी, डॉक्टर के बताए इन तरीकों से करें बचाव

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दुनियाभर में हर साल मई महीने के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस (World Asthma Day 2024) मनाया जाता है। बता दें, सांस से जुड़ी इस गंभीर बीमारी की चपेट में आने से कम कम उम्र में ही बच्चों को कई तकलीफें झेलनी पड़ती हैं। ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2018 की मानें, तो करीब 6.2 प्रतिशत भारतीय अस्थमा से प्रभावित हैं, जिनमें लगभग दो से तीन फीसदी संख्या बच्चों की है। ऐसे में, आइए जानते डॉक्टर्स की मदद से जानते हैं कि बच्चों को अस्थमा के अटैक से कैसे बचाया जा सकता है और इसका इलाज कराते समय किन जरूरी बातों का ख्याल रखा जाना चाहिए।

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इस बारे में हमने पद्मश्री डॉ. मुकेश बत्रा (चेयरमैन एंड फाउंडर ऑफ डॉ. बत्रा ग्रुप ऑफ कंपनीज) से जानने की कोशिश की।

डॉ. मुकेश बत्रा बताते हैं, कि अस्थमा को बच्चों के स्कूल छूटने का सबसे आम लक्षण माना जाता है। एक रिपोर्ट बताती है कि इस बीमारी से करीब 14 मिलियन स्कूल डेज छूट गए। इस बीमारी की जड़ को देखें, तो यह वायरस के कारण फेफड़ों में होने वाले संक्रमण के साथ-साथ एलर्जी, पर्यावरण प्रदूषण, वंशानुगत कारकों, आहार विकल्पों, एंटीबायोटिक के उपयोग के साथ-साथ तंबाकू के धुएं के संपर्क में आने से होता है।

डॉ. बत्रा कहते हैं कि माता-पिता अस्थमा के लक्षणों को लेकर सावधान और सतर्क रहें और वक्त पर ही डॉक्टर से जरूरी उपचार लेने में बिल्कुल भी देरी न करें। अस्थमा से पीड़ित बच्चों को अक्सर खांसी और गले में घरघराहट महसूस होती है। इसके साथ ही सीने में जकड़न और सांस लेने में तकलीफ होना भी इसके लक्षणों में आम माना जाता है। इसके सुरक्षित और प्राकृतिक तरीके से इलाज के लिए होम्योपैथी भी बढ़िया काम कर सकती है, जिसका मकसद सांस की नली में सूजन का इलाज करना होता है।

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इस बारे में हमने डॉ. प्रतिभा डोगरा (मैरिंगो एशिया अस्पताल, गुरुग्राम के पल्मोनोलॉजी विभाग की वरिष्ठ कंसल्टेंट) से भी बात की है।

डॉ. प्रतिभा डोगरा बताती हैं कि बच्चों में अस्थमा को कई तरीकों से रोका और मैनेज किया जा सकता है, जो अस्थमा ट्रिगर को सीमित करने, सही दवा और हेल्दी लाइफस्टाइल को बढ़ावा देने से हो सकता है। आइए इसके कुछ फैक्टर्स के बारे में जानते हैं।

ट्रिगर फिक्स करें: बच्चे के डॉक्टर के साथ मिलकर उन्हें उन ट्रिगर्स को फिक्स करने में मदद करें जो उनके अस्थमा के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। इसमें पराग, धूल के कण, पालतू जानवरों की रूसी, फफूंद, वायु प्रदूषण, तंबाकू और श्वसन संबंधी बीमारियां जैसे एलर्जी आदि।

एक्शन प्लान बनाएं: अपने बच्चे के डॉक्टर की मदद से एक डॉक्यूमेंटेड एक्शन प्लान बनाएं, जिसमें अस्थमा के डेली मैनेजमेंट, दवाओं के इस्तेमाल और अस्थमा के अटैक की स्थिति में किए जाने वाले कामों की रूपरेखा दी जानी चाहिए।

समय पर दवाओं का ख्याल: इस बात का ख्याल रखें कि आपका बच्चा डॉक्टर द्वारा बताई दवाओं को समय से ले रहा है या नहीं। इसमें शॉर्ट टर्म एल्ब्युटेरोल (Albuterol) और लॉन्ग टर्म कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids) जैसी दवाएं शामिल हो सकती हैं, जो सूजन और इलाज के लिए इस्तेमाल में लाई जाती हैं।

रेगुलर चेकअप: अपने बच्चे को डॉक्टर के पास रेगुलर चेकअप के लिए लेकर जाएं, ताकि आपको इस बात का अनुमान लगाने में आसानी हो कि उनका अस्थमा कितनी अच्छी तरह मैनेज किया जा रहा है और अगर आपको जरूरी लगे, तो उनके मेडिकेशन में बदलाव भी करें।

वातावरण का ख्याल: अस्थमा को ट्रिगर करने वाले तमाम जोखिमों पर ध्यान दें और इसी के मुताबिक अपने घर में बदलाव भी करें। कालीन और फर्नीचर को रेगुलर वैक्यूम करें, बिस्तर की साफ-सफाई का ध्यान रखें, तंबाकू का धुंए को दूर करें, एलर्जेन-प्रूफ गद्दे और तकिया कवरिंग आदि की मदद से आप इसे मैनेज कर सकते हैं।

फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ावा दें: फेफड़ों को हेल्दी बनाए रखने के लिए बच्चे को लगातार फिजिकल एक्टिविटी में पार्टिसिपेट करने के लिए बढ़ावा दें। वॉक या स्विमिंग जैसी कई एक्टिविटीज हैं, जो सांस से संबंधित मांसपेशियों को मजबूत बनाने का काम करती हैं और ओवरऑल फिटनेस को भी बढ़ावा देती हैं।

स्ट्रेस को हैंडल करें: अक्सर तनाव के चलते भी कई बार अस्थमा के लक्षण बढ़ जाते हैं, इसलिए अपने बच्चे को इससे निपटने के तरीके सिखाएं और माइंडफुलनेस, गहरी सांस लेने से जुड़ी एक्टिविटीज और रिलैक्स होने के तौर-तरीकों को जानने में उनकी मदद करें।

इन तरीकों से आप अपने बच्चे का ख्याल रखकर आप बचपन में होने वाले अस्थमा अटैक से बेहतर ढंग से बच सकते हैं और उनका इलाज कर सकते हैं।

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Picture Courtesy: Freepik


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