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Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी पर इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा, जीवन सदैव रहेगा खुशहाल

विनायक चतुर्थी का पर्व भगवान शिव के पुत्र गणपति बप्पा को समर्पित है। हर माह में चतुर्थी का पर्व 2 बार आता है। एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में। वैशाख माह में विनायक चतुर्थी 11 मई को है। धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी के शुभ अवसर पर भगवान गणेश जी की विशेष पूजा करने से साधक को सभी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Published: Wed, 08 May 2024 11:57 AM (IST)Updated: Wed, 08 May 2024 11:57 AM (IST)
Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी पर इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा, जीवन सदैव रहेगा खुशहाल

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vinayak Chaturthi Puja Vidhi: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। यह तिथि महादेव के पुत्र गणपति बप्पा को समर्पित है। वैशाख माह में विनायक चतुर्थी 11 मई को है। धार्मिक मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के शुभ अवसर पर भगवान गणेश जी की विशेष पूजा करने से साधक का जीवन सदैव खुशहाल रहता है। साथ ही व्रत करने से सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है। आइए आपको बताएंगे कि विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश जी की आराधना किस तरह करनी चाहिए।

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विनायक चतुर्थी पूजा विधि 2024 (Vinayaka Chaturthi 2024 Puja Vidhi)

विनायक चतुर्थी के दिन सुबह उठें और दिन की शुरुआत प्रभु के ध्यान से करें। इसके बाद मंदिर की सफाई कर चौकी पर भगवान गणेश जी की प्रतिमा विराजमान करें और पूजा का संकल्प लें। अब उन्हें तिलक लगाकर कुमकुम, वस्त्र, पीले फूल, अक्षत, धूप, दीप, पान और सुपारी अर्पित करें। दीपक जलाकर आरती करें और मंत्रों का जाप करें। पूजा के दौरान गणेशा चालीसा का पाठ करने कल्याणकारी माना जाता है। इसलिए गणेश चालीसा का पाठ अवश्य करें। अब प्रभु को लड्डू या मोदक का भोग जरूर लगाएं। इसके पश्चात लोगों में प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें। ।

इन मंत्रों का करें जाप

गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

धन लाभ हेतु मंत्र

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

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डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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