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जातीय गोलबंदी से भगवा दुर्ग को चुनौती, राम की नगरी में कैसा है चुनावी माहौल; गठबंधन में दरार से दिलचस्प हुआ मुकाबला

Faizabad Lok Sabha Seat Ground Report भले ही समय के संक्रमण से यहां की राजनीति प्रभावित हुई हो किंतु उसमें अपनी संस्कृति के अनुरूप लोकतांत्रिक मूल्य-मर्यादा के तत्व सतत विद्यमान रहे हैं। चुनाव के वर्तमान रण में इस विशिष्ट क्षेत्र का क्या परिदृश्य है रघुवरशरण की रिपोर्ट... मैदान में है भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह व सपा प्रत्याशी अवधेश सिंह ।

By Raghuvar Sharan Edited By: Abhishek Pandey Updated: Wed, 08 May 2024 01:58 PM (IST)
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जातीय गोलबंदी से भगवा दुर्ग को चुनौती, राम की नगरी में कैसा है चुनावी माहौल

Faizabad Lok Sabha Seat Ground Report: रामनगरी से संपृक्त फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र अनेक मामलों में विशिष्ट है। इस लोकसभा क्षेत्र पर मोक्षदायिनी अयोध्या और पुण्य सलिला सरयू के साथ एक अन्य त्रेतायुगीन नदी तमसा के पानी का भी प्रभाव है। इसमें यदि श्रीराम के मूल्य और आदर्श समाहित हैं, तो जैन तीर्थंकरों, महात्मा बुद्ध, सिख गुरुओं, वैष्णव आचार्यों, सूफी फकीरों तथा नवाबों की पुरानी राजधानी की साझी संस्कृति का भी पुट है। इस सांस्कृतिक थाती से संपूर्ण लोकसभा क्षेत्र की राजनीति भी प्रेरित-प्रभावित रही है।

फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में इस बार रोचक संघर्ष की भावभूमि तैयार हो रही है। यद्यपि यह क्षेत्र उसी राम मंदिर से अभिषिक्त है, जो इसी वर्ष रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूरे देश में भारतीय संस्कृति और आस्था की अस्मिता का परिचायक बन कर स्थापित हुआ। तथापि पूर्व के चुनाव की अपेक्षा मतदाता मौन हैं।

पहेली सुलझाने में उलझे समीक्षक

प्रत्याशी जरूर अपनी ताकत झोंक रहे हैं और गत रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रोड शो से मतदाताओं का मौन भंग होता प्रतीत हो रहा है। भाजपा के समर्थक मतदाता तो ‘अबकी बार चार सौ पार’ के लक्ष्य से अनुप्राणित होने लगे हैं। ...तो समीक्षक जीत-हार की पहेली सुलझाने में उलझे हुए हैं।

भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने की इच्छा से मैदान में हैं। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा, इससे उपजा गगनचुंबी उल्लास और भव्य राम मंदिर के साथ श्रेष्ठतम सांस्कृतिक नगरी के रूप में सज्जित की जा रही अयोध्या के बीच चहुंओर भाजपा की फसल लहलहा रही थी, किंतु चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही परिदृश्य एकतरफा नहीं रह गया।

दिलचस्प हुआ मुकाबला

राम मंदिर के प्रभाव के चलते फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी की जीत तय मानने वाले समीक्षक सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद के पक्ष में परिभाषित तर्कों के आगे ठिठकने लगे। ऐसे तर्कों का मुख्य आधार जातीय गोलबंदी है। अवधेश प्रसाद पासी बिरादरी के हैं। पासियों की न केवल लोकसभा क्षेत्र में प्रभावी संख्या है, बल्कि वे उस अनुसूचित जाति की भी दिशा प्रभावित करने में सक्षम माने जाते हैं, जो गत कुछ चुनाव से बसपा से कट कर भाजपा को अतिरिक्त संबल प्रदान करती रही है।

समीक्षक अब अनुसूचित जाति का यह अतिरिक्त संबल सपा प्रत्याशी के पक्ष में मान रहे हैं और सपा के पारंपरिक मुस्लिम-यादव मतदाताओं के साथ अवधेश प्रसाद की स्थिति कहीं सुदृढ़ मान रहे हैं। यद्यपि ऐसी समीक्षा सिक्के के एक पहलू जैसी है। गत दो लोकसभा चुनाव सहित अन्य अनेक चुनावी मोर्चों पर ऐसे जातीय समीकरण हवा हो गए और भाजपा का सांस्कृतिक राष्ट्रवाद तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की साख सब पर हावी होती रही।

भाजपा का समर्थन करने वाले समीक्षकों का मानना है कि नवनिर्मित मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद तो भाजपा की विश्वसनीयता में और वृद्धि हुई है तथा ऐसे में भाजपा न केवल फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करने जा रही है, बल्कि पूरे देश में वह चार सौ सीटों की ओर उन्मुख हो, तो आश्चर्य नहीं। इस लोकसभा क्षेत्र में 20 मई को मतदान है।

नामांकन की अंतिम तिथि बीतने के साथ चुनाव का मैदान पूरी तरह सज चुका है। मंगलवार को दिन ढलने के साथ गर्मी से राहत पाकर श्रद्धालु बड़ी संख्या में रामलला की ओर उन्मुख होते हैं। साधु-संत अपने मंदिरों के पट खोल कर भजन-कीर्तन में लीन होते हैं। घरों की मुड़ेर पर लहरा रहे झंडे भगवा दुर्ग का भान कराते हैं। चुनाव के मैदान में बसपा प्रत्याशी सच्चिदानंद पांडेय एवं भाकपा प्रत्याशी अरविंदसेन यादव भी संभावनाएं तलाश रहे हैं। यह देखना रोमांचक होगा कि वे अपनी उपस्थिति किस प्रभाव के साथ दर्ज कराएंगे।

कुल मतदाता- 1900834

पुरुष मतदाता - 990190

महिला मतदाता - 910545

गठबंधन में दरार

आइएनडीआइए गठबंधन में दरार से भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह की राह आसान मानी जा रही है। पूरे देश में जहां भाकपा गठबंधन की घटक है, वहीं फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में भाकपा प्रत्याशी अरविंदसेन यादव गठबंधन के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद के लिए चुनौती खड़ी कर रहे हैं।

अरविंदसेन न केवल पारंपरिक वामपंथी मतदाताओं को भाकपा प्रत्याशी के रूप में समेटने की तैयारी में हैं, बल्कि वह उन मित्रसेन यादव के पुत्र हैं, जो क्षेत्र में भाकपा के पितामह और दिग्गज यादव नेता के रूप में स्थापित रहे हैं। ऐसे में विरासत के आधार पर यादव बिरादरी पर दावा कर अरविंदसेन सपा कोटे के गठबंधन के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद पर दोतरफा दबाव बनाते दिख रहे हैं।

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