UP Lift Act: उत्तर प्रदेश में लागू हुआ कानून, अब लिफ्ट लगवाने वालों को मानने होंगे ये नियम
UP Lift Act अब प्रदेश में लागू हो चुका है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश देश का 11वां राज्य बन गया है जहां लिफ्ट एक्ट लागू है। इस एक्ट के तहत ही लोगों को लिफ्ट लगवाने से पहले और बाद में नियमों का पालन करना होगा। किसी भी हादसे के होने पर भवन स्वामी को डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को जानकारी देनी होगी।
अर्पित त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। नोएडा ग्रेटर नोएडा की बहुमंजिला इमारतों में लगी लिफ्ट के गिरने के हादसे की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने लिफ्ट एक्ट 2024 को लागू कर दिया है।
लिफ्ट हादसा होने पर बिल्डिंग स्वामी को 24 घंटे के भीतर जिला मजिस्ट्रेट, संबंधित प्राधिकरण और स्थानीय कोतवाली को इसकी सूचना देनी होगी।
दुर्घटना होने पर जिला मजिस्ट्रेट विद्युत निरीक्षक से पहले जांच कराएंगे। उसकी रिपोर्ट के बाद ही लिफ्ट दुरुस्त करने का कार्य शुरू किया जाएगा।
नियमित जांच करानी होगी
साथ ही अब एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (एएमसी) करना अनिवार्य कर दिया गया है, यानी कि अब बिल्डर और एओए को नियमित तौर पर लिफ्ट की जांच करानी होगी, जिसकी जानकारी प्राधिकरणों को देनी होगी।
बता दें कि देश के 10 राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, हरियाणा, केरल और पश्चिम बंगाल में लिफ्ट एक्ट पहले से लागू है।
10 लाख लोगों को मिली राहत
इस एक्ट के लागू होने से प्रदेश के करोड़ों निवासियों को लाभ होगा। उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक बहुमंजिला इमारतें गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद में हैं।
ग्रेटर नोएडा और नोएडा में 600 से अधिक बहुमंजिला सोसायटी हैं, 310 के करीब ग्रुप हाउसिंग परियोजना हैं।
इनमें साढ़े चार लाख के करीब फ्लैट हैं, जिसमें करीब 10 लाख लोग रहते हैं। इस एक्ट से लिफ्ट एक्ट लागू होने से जवाबदेही तय हो गई है, जिसका लाभ इन सभी को मिलेगा।
लिफ्ट एक्ट में प्रमुख नियम
- लिफ्ट या एस्कलेटर लगवाने के लिए स्वामी को संबंधित प्राधिकरण व प्रशासन से पंजीकरण कराना होगा।
- निजी परिसर और सार्वजनिक परिसर के लिए अलग-अलग पंजीकरण होगा।
- लिफ्ट लगने के बाद इसके संचालन से पहले राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी अधिकारी को इसकी सूचना देनी होगी।
- संचालन से पहले ही एनुअल मेंटेनेंस कान्ट्रेक्ट लेना होगा जिसके तहत नियमित समय में देखरेख का कार्य अनिवार्य कराना होगा, जिसकी जानकारी नियुक्त किए अधिकारी को देनी होगी।
- कोई खराबी आने पर तकनीकी टीम या किसी खराबी के दूर करने की दशा में एएमसी तकनीकी टीम से प्रमाण पत्र लेना होगा, जिसे अनुरक्षण लाग बुक में लिखना होगा।
- आपातकालीन स्थिति में किसी के फंसने और सुरक्षित बाहर निकालने के लिए साल में दो बार माक ड्रिल कराना होगा।
- एक्ट लागू होने के छह महीने के अंदर पंजीकरण कराना होगा।
- लिफ्ट शिफ्ट के लिए फिर से पंजीकरण कराना होगा एक्ट से पहले जिन इमारतों में लिफ्ट लग चुकी है उसके पंजीकरण को छह माह में पंजीकरण कराना होगा
- लिफ्ट एक्ट के नियम के तहत यदि कोई बदलाव कराना है तो उसे 30 दिन में कराना होगा। इस समयाविधि के बीच कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी
- प्रत्येक रजिस्ट्रेशन की अवधि लिफ्ट या एस्कलेटर के संपूर्ण जीवनकाल के लिए होगी।
लिफ्ट के लिए बीमा जरूरी
बिल्डिंग स्वामी को सार्वजनिक लिफ्ट या एस्कलेटर के लिए अनिवार्य रूप से बीमा लेना होगा, जिससे कि दुर्घटना होने पर यात्रियों को जोखिम कवर मिल सके। ये राशि सरकार द्वारा मानकों के अनुरूप होगी।
सार्वजनिक परिसरों में लिफ्ट और एस्कलेटर दिव्यांगों के अनुकूल होगी। लिफ्ट खराबी होने की स्थिति में अंदर फंसे यात्रियों को बचाने के लिए लिफ्ट या एस्कलेटर में स्वचलित बचाव की के लिए डिवाइस लगानी होगी।
ये तकनीकी ऐसी होनी चाहिए कि लिफ्ट निकटतम लैंडिंग तल पर पहुंचे और दरवाजे खुल जाएं। सार्वजनिक स्थानों पर संचालित होने वाली लिफ्ट में सीसीटीवी कैमरा लगा होना चाहिए।
लिफ्ट एक्ट में दिए नियमों को ही लागू किया जाएगा। इसे किस तरह लागू करना है और आडिट की प्रक्रिया किस तरह होगी इसकी कार्ययोजना अधिकारियों के साथ चर्चा कर जल्द शुरू की जाएगी।- एनजी रवि, सीईओ, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण