Move to Jagran APP

रोड अहैड फॉर क्लैट

लॉ इज लॉजिक। अगर आपमें इस तरह की क्वालिटी है, तो आप भारत के सबसे तेज बढ़ते सेक्टर में से एक लॉ में कॅरियर बना सकते हैं। यहां आप अपनी प्रतिभा और मेहनत से अनसुलझे प्रश्नों की गुत्थियां लॉजिकल तरीके से सुलझा सकते हैं..

By Edited By: Updated: Wed, 18 Apr 2012 12:00 AM (IST)
Hero Image

काले लबादे में एक दूसरे से जिरह करते वकील,उनको गंभीर मुद्रा में सुनता जज, कटघरे में खडा आरोपी, श्रोताओं की भीड, बीचबीच में आने वाले नाटकीय दृश्य और आखिर में सच की जीत। आदालत का नाम लेते ही ये सभी सीन आपकी नजरों के सामने तैर जाते होंगे। जरूरी नहीं है कि आप काला कोट पहनकर ही इस क्षेत्र में हुनर दिखाएं। अब तो लॉ ग्रेुजएट्स के लिए परंपरागत वकालत के साथ-साथ लीगल राइटिंग, एकेडेमिक्स, सोशल वर्किग तक कॅरियर के कई विक ल्प उपलब्ध हैं। आप न सिर्फ एलएलबी बल्कि पीजीडीएम इन पेटेंट लॉ, डिप्लोमा इन साइबर क्राइम, डिप्लोमा इन मीडिया लॉ, डिप्लोमा इन इंटरनेशनल ह्यूमेनिटेरियन लॉ जैसे एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स पूरा करके कई क्षेत्रों में पैठ बना सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इस समय इंडिया में 12 लाख लॉयर काम कर रहे हैं और चार से पांच लाख इसकी पढाई कर रहे हैं। यही कारण है कि इंडियन लीगल फर्म सबसे तेज बढनेवाला सेक्टर में से एक है।

क्या है क्लैट

सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल जनहित याचिका में कहा गया था कि क्यों न ऐसी एकीकृ त प्रवेश परीक्षा शुरू की जाए जो भविष्य के वकीलों को बेहतर कानूनी दृष्टिकोण तो प्रदान करे ही, न्यायपालिका को भी मजबूती दे। उस समय लॉ कॅरियर की राह थोडी अलग थी। इसमें इंट्री (एलएलबी कोर्स) के लिए उम्मीदवारों को ग्रेजुएट होना आवश्यक था। कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट के आ जाने से 10+2 के बाद ही छात्र इसके डिग्री प्रोग्राम में प्रवेश ले सकते हैं। क्लैट का आयोजन देश के कई नेशनल लॉ स्कूल/यूनिवर्सिटीज अपने अंडर ग्रेजुएट (एलएलबी) व पोस्ट ग्रेजुएट (एलएलएम) प्रोग्रामों में प्रवेश के लिए करते हैं। क्लैट की आगामी परीक्षा देश में 13 मई 2012 को आयोजित की जा रही है।

क्लैट का प्रारूप

यह परीक्षा हर साल मई माह में आयोजित होती है, जिसमें मैथ्स, इंग्लिश, जनरल नॉलेज, लीगल एप्टीट्यूड, लॉजिकल रीजिंनग से जुडे प्रश्न पूछे जाते हैं। प्रश्न पत्र की अवधि 2 घंटे की है व कुल 200 अंकों के बहुविकल्पीय प्रश्न आते हैं। निगेटिव मार्किग का प्रावधान नहीं है। प्रश्नों का स्तर 12वीं के आस-पास होता है।

इलिजिबिलिटी- क्लैट की रुपरेखा कुछ इस तरह बनाई गई है कि न्यायालयों को ताजा सोच से लैस युवा मिलें। शायद यही वजह है कि इसकेअंडरग्रेजुएट (एलएलबी) प्रोग्राम की पात्रता शर्त 10+2 या समकक्ष रखी गई है, वहीं एलएलएम प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए उम्मीदवार का एलएलबी होना अनिवार्य है।

एज क्राइटेरिया- क्लैट केअंडरग्रेजुएट एग्जाम केलिए 20 साल से कम उम्र के उम्मीदवार(1 जुलाई से) पात्र हैं। परीक्षा के स्तर को बरकरार रखने के लिए यहां अंकों का एक क्राइटेरिया तय किया गया है, जिसके मुताबिकएलएलबी परीक्षा में बैठने के लिए 10+2 में न्यूनतम 50 फीसदी अंकों के साथ उत्तीर्ण होना जरूरी है। पोस्ट ग्रेजुएशन प्रोग्राम यानी पीजी के लिए एलएलबी में 50 फीसदी अंक होने जरूरी हैं।

नजर सिलेबस पर, इरादे कामयाबी के

क्लैट अंडरग्रेजुएट परीक्षा में 40 अंक की अंग्रेजी पूछी जाती है। इस पार्ट में कैंडीडेट्स की इंग्लिश भाषा की समझ आंकी जाती है। इसमें कॉम्प्रीहेंसन, वर्ड मीनिंग, करेक्ट, इनकरेक्ट, फिल इन द ब्लैंक्स, चूसिंग द राइट वर्ड जैसी चीजें प्रमुख हैं। मैथ्स प्रश्नपत्र में मात्र 20 अंकों की मथ्स आती है। अमूमन प्रश्न हाईस्कूल स्तर के ही होते हैं। एग्जाम के जीके सेक्शन की अच्छी तैयारी के लिए साल भर (मार्च 2011-मार्च 2012 तक) के राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम, पुरस्कार, विज्ञान, मनोनयन, उपलब्धियों आदि से संबधित प्रश्नों का अध्ययन करें। पूरे प्रश्नपत्र में 50 अंकों की जीके आती है। लॉजिकल रीजिनिंग के सेक्शन का प्रावधान उम्मीदवारों की तार्किक योग्यता परखने के लिहाज से किया गया है। इससे 50 अंकों के प्रश्न आते हैं। इसमें एनालॉजीस, लॉजिकल सीक्वेंस, सिलोगिज्म जैसी चीजों पर ज्यादा फोकस रहता है। 40 अंकों वाला लीगल एप्टीट्यूड इस प्रश्नपत्र का सबसे खास भाग है। यही वह हिस्सा है, जिसके जरिए सही मायने में एक वक ल के मूलभूत गुणों की परख की जाती है।

जीत की तैयारी

क्लैट में सौ फीसदी सफलता के लिए परीक्षा क प्रकृति समझनी होगी और उसी के मुताबिक तैयारी का खाका खींचना होगा..

सेना में एक कहावत प्रचलित है कि प्रशिक्षण के दौरान आप जितना पसीना बहाएंगे, जंग के मैदान में उतना ही कम खून बहाना पडेगा। अब जंग का मैदान हो या अदालत का मोर्चा, दोनों ही जगह बेहतर रिजल्ट्स का मंत्र एक ही है-कडी तैयारी। क्लैट के एग्जाम में बेहतर प्रदर्शन के लिए भी आपको इसी मंत्र की जरूरत पडती है। यहां कुछ ऐसे ही फार्मूले दिए जा रहे हैं, जो क्लैट की पहेली का हल बन सकते हैं..

के 1+के2+के3 = सक्सेस- क्लैट में कामयाबी का यह सबसे महत्वपूर्ण समीकरण है। इसके जरिए आप परीक्षा में आने वाली हर मुसीबत से पार पा सकते हैं। यहां तक कि एडवोकेसी में आने वाली तरह-तरह की चुनौतियांको भी यहां जाना जा सकता है।

क्या है के1- नो योर एग्जाम,। जी हां क्लैट की परीक्षा देने से पहले कैंडीडेट्स को परीक्षा प्रारूप पूरी तरह समझना होगा और कोशिश करनी होगी कि प्रश्नपत्र के बरक्स खुद की असल क्षमताओं का आकलन हो सके। इसके लिए अहम है कि आप पुराने प्रश्नपत्रों का अध्ययन करें, जिसमें एनएलएलएसआईयू, क्लैट, एनएएलएसएआर, एनएलयू-जे, एनएलयू-डी जैसी परीक्षाओं के पुराने प्रश्नपत्र मददगार साबित हो सकते हैं।

महत्वपूर्ण है के2- के2 का मतलब है नो योरसेल्फ मतलब यह है कि परीक्षा कोई?भी हो, अपनी क्षमताओं की परख सबसे जरूरी है। देखा गया है अक्सर छात्र अपने बस के बाहर की चीजों में हाथ डाल पछताते हैं। ठीक इसी तरह क्लैट एग्जाम में भी भाग लेने के पूर्व कैंडीडेट्स को खुद की अभिरुचियों, स्ट्रांग प्वांइट को जानना आवश्यक है। उन्हें समझना होगा कि वकालत ऐसा पेशा है, जिसमें तर्कशील मस्तिष्क, पारखी दृष्टि ,अध्ययनशील मनोवृत्ति व लाजवाब कम्यूनिकेशन की सख्त दरकार होती है। इस कारण लॉ फील्ड में इंट्री के पूर्व अपने भीतर इन चीजों की मौजूदगी सुनिश्चित कर लें।

फाइनल टच देता के3-किक द बॉल। परीक्षा की तैयारी कैसे करें, क्या करें, क्या न करें, पर चर्चा बहुत हुई। अब समय है फाइनल किक की। यदि आपने ऊपर बताए गए के1 व के 2 पर पूरा ध्यान दिया है तो के 3 यानि क्लैट की तैयारी को दिए जाने वाले फाइनल टच में परेशानी नहीं होगी।

डिफरेंट सब्जेक्ट्स, डिफरेंट प्रिपरेशन

वस्तुनिष्ठ परीक्षा की तैयारी के लिए स्पीड और एक्यूरेसी दो की व‌र्ड्स हैं। आप प्रैक्टिस के साथ रीडिंग स्पीड बढाएंगे, तो कम समय में बेहतर तैयारी कर सकेंगे।

जीके है अहम : करेंट पर पकड आपको काफी सहायता पहुंचा सकती है। इसकी पढाई के लिए बेहतर होगा कि आपने अभी तक जो पढा है, उसके महत्वपूर्ण टॉपिक्स को एक जगह नोट करके बार-बार पढें। इसके अलावा आप यह देखें कि जीके के किस सेक्शन में आप कमजोर पड रहे हैं। जीके ऐसा सब्जेक्ट है, जिसमें कम समय में बेहतर तैयारी से अच्छे मा‌र्क्स लाए जा सकते हैं। इस कारण आपका फोकस जीके पर सौ प्रतिशत होना चाहिए।

अंग्रेजी में बढाएं रीडिंग स्पीड : अंग्रेजी की औसत समझवाले स्टूडेंट्स 25 से 30 प्रश्न आसानी से हल कर सकते हैं। इस कारण आप इस गलतफहमी में न रहें कि इतना स्कोर हमारे लिए पर्याप्त है। अच्छे नंबर लाने के लिए आपको केवल 20 कठिन प्रश्नों की तैयारी पर फोकस करना होगा। इसके लिए आप इस तरह के प्रश्नों को एक जगह नोट करके खूब पढें और संबंधित वोकेबलरी पर विशेष ध्यान दें। रीडिंग स्पीड बढने से आपको अपनी गलतियां भी पता चलेंगी, जिसे समय रहते दूर कर सकते हैं।

लीगल एप्टीटयूड को बनाएं बोनस मा‌र्क्स : इसमें पढाई से अधिक एनालिटिकल थिकिंग महत्वपूर्ण है। एक अच्छा वकील सबसे पहले किसी केस को एनालाइज करता है और सॉल्यूशन का कारण ढूंढता है, तभी संबंधित लॉ देखता है। आपसे भी इसी तरह की अपेक्षा की जाती है। यहां आपसे विभिन्न कमीशंस, भारतीय संविधान, न्यायिक व्यवस्था आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं। इस सेक्शन में पकड बनाने के लिए किस मामले में कौन सी धारा लगी है, केस को ध्यान में रखते हुए याद करें,तो बेहतर होगा।

मैथ्स में प्रैक्टिस है जरूरी : इस सेक्शन में जिसका बेसिक्स अच्छा है, उसे अधिक परेशानी नहीं होती है। पिछले कुछ वर्ष के प्रश्नों को आधार बनाकर आप यह तय कर लें कि आप किस सेक्शन में कमजोर हैं, और उससे कितने प्रश्न पूछे गए हैं। इन्हें छोडकर आप मजबूत पक्ष से संबंधित प्रश्नों का खूब अभ्यास करें और समय सीमा का विशेष ध्यान रखें। संबंधित सूत्र को याद करें और समय बचे तो टफ प्रश्नों में से कुछ को सॉल्व करने की प्रैक्टिस करें। कम समय में इससे बेहतर तैयारी नहीं हो सकती है।

लॉजिकल रीजनिंग : लॉ इज लॉजिक। अगर आपकी सोच इस तरह की है, तो इसमें आप प्रैक्टिस से कम समय में अच्छे मा‌र्क्स ला सकते हैं। इसमें समय महत्वपूर्ण होता है। आप जितने डिफरेंट प्रकार के प्रश्नों को सॉल्व करेंगे, सोचने की क्षमता उतनी ही बढेगी। आप अलग-अलग पैटर्न पर आधारित प्रॉब्लम को एनालिटिकल तरीके से हल करने की कोशिश करेंगे, तो बेहतर पोजीशन में रहेंगे।

काला कोटउजला कॅरियर

काले कोट में असाधारण ताकत होती है। इसका सही इस्तेमाल किया जाए तो कॅरियर के फ्रंट पर जीत आपकी है..

बेहतर टैलेंट वही है, जो बदलते वक्त के साथ खुद की क्षमताओं में बढोत्तरी क रे और सही समय पर सही चोट करने से न चूके। इन दिनों तकरीबन हर क्षेत्र में युवा इसी ताकीद का अनुसरण कर रहे हैं। वकालत भी इसमें अपवाद नहीं है। आज की तारीख में इस क्षेत्र ने तेजी से रंग ढंग बदला है। अब इसका मतलब केवल अदालत में बहस करने तक ही सीमित नहीं रह गया है। बल्कि इस फील्ड में ऐसे अवसर पैदा हो चुके हैं जो कानून की अच्छी समझ रखने वाले युवाओं के लिए वरदान सरीखे हैं।

एलपीओ (लॉ प्रोसेसिंग आउटसोर्सिग)- लीगल प्रोसेसिंग आउटसोर्स एक नया लेकिन तेजी से बढता हुआ काम है। इसमें बडी-बडी लॉ फ‌र्म्स, इन हाउस लॉ डिपार्टमेंट काम का बोझ कम करने और कई बार वित्तीय बचत के लिए विदेश स्थित लॉ फ‌र्म्स या लीगल सपोर्ट सर्विस की सेवाएं लेती हैं। भारत इस क्षेत्र में आज पूरी दुनिया की नंबर एक पसंद है। टेक्नोसेवी, बेहतर इंग्लिश, कानून की सटीक समझ रखने वाले लोगों के लिए यहां काम कर ग्लोबल लॉयर का दर्जा हासिल करनें का मौका है।

कॉरपोरेट काउंसिल- कॉरपोरेट काउंसिल या व्यवसायिक सलाहकार उद्योग जगत की आवश्यकता माने जाते हैं। कॉरपोरेट लॉ में माहिर ये लोग लीगल ड्राफ्िटग से लेकर अधिग्रहण तक कई विषयों में कंपनी को मशविरा देते हैं। बढिया सैलरी, बेहतर वर्किग कंडीशन के बीच यह क्षेत्र लॉ ग्रेजुएट्स क पंसदीदा राह बन रहा है।

ज्यूडिशियल सर्विस- कई बदलावों के बावजूद आज भी न्यायिक सेवा युवाओं की पहली पंसद बनी हुई है। सरकारी नौकरी का आश्वासन, न्यायिक ताकत, सामाजिक दायित्व आदि कुछ ऐसी चीजें हैं, जिसके चलते बडी संख्या में युवा लॉ ग्रेजुएट इसका रुख कर रहे हैं।

लीगल राइटिंग- अच्छे वकील के लिए सतत अध्ययन अनिवार्य है। इस काम में स्तरीय कानून की किताबें मददगार हो सकती हैं। ऐसे में यदि आपके पास कानून की गहन जानकारी है?और लेखन में भी रुचि रखते हैं तो लीगल राइटिंग उम्दा च्वाइस है। पब्लिकेशन हाउसेस केसाथ वेबसाइट्स में भी आज अच्छे लीगल राइटर्स की बहुत मांग है।

लॉ फ‌र्म्स- लॉ फ‌र्म्स अपने क्लाइंट का अदालत में प्रतिनिधित्व करते हैं। ये फ‌र्म्स अपने नाम और पिछले रिकॉर्ड के मुताबिक वकीलों, क्लर्को, ड्राफ्टर्स व सीएस को जगह देती हैं। लॉ फ ‌र्म्स की विशेषता होती है कि यहां अनुभवी व फ्रेशर दोनों तरह के लोगों को अवसर मिलते हैं।

एकेडमिक्स- वकालत की ओर युवाओं के बढते क्रेज के चलते आज देश में कई लॉ स्कूल खुले हैं। ये कॉलेज लॉ परास्नातकों के लिए अवसरों की ओर सीधा इशारा हैं। वे चाहें तो इन कॉलेजों को बतौर लॉ फैकल्टी ज्वाइन कर अपना और अपने छात्रों का भविष्य चमका सकते हैं। इस फील्ड में उन्हें रिसर्च के साथ स्वाध्याय का भी पूरा मौका मिलता है।

प्रमुख संस्थान कटऑफ

एनएलएसयू, बंगलौर 160+

एनएएलएसएआर, हैदराबाद 152-160

एनएलएसयू,भोपाल 140-145

एनयूजेएस, कोलकाता 145-152

एनएलयू, जोधपुर 138-145

एचएनएलयू, रायपुर 139-144

जीएनएलयू, गांधीनगर 138-148

आरएमएलएनएलयू, लखनऊ 137-147

आरजीएनयूएल, पटियाला 136-145

सीएनएलयू, पटना 136-140

ओवरआल कटऑफ 130+

जेआरसी टीम