सरिता के साथ जो भी हुआ वह अन्याय है
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : महिला मुक्केबाज एल सरिता देवी ने एशियाई ओलंपिक परिषद और एशियाई खे
संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद) : महिला मुक्केबाज एल सरिता देवी ने एशियाई ओलंपिक परिषद और एशियाई खेल 2014 की आयोजन समिति से माफी माग ली है। उन्होंने एशियाई खेलों में रोते हुए निर्णय का विरोध कर कास्य पदक लेने से इंकार कर दिया था। इस घटनाक्रम पर खिलाड़ी और युवा क्या सोचते हैं। प्रफ्फुलचंद्रा ने कहा कि खिलाड़ियों के लिए अनुशासन का यह मतलब कतई नहीं है कि जीत को हार में बदल दिया जाए और वह शात बना रहे। उसको पता होता है नियम और अनुशासन। ऐसे में आक्रामक होना स्वाभाविक है। जो सरिता के साथ हुआ वह अनुशासन से ज्यादा भारतीय ओलंपिक संघ की कमजोरी का नतीजा है। विपुल कुमार उपाध्याय ने कहा कि अनुशासन की आड़ में कोई स्वार्थ साधा जाना भी गलत है। इस तरह की घटना की निन्दा की जानी चाहिए। सरकार को इस पर एक्शन लेना चाहिए था। अरुण कुमार का मानना है कि सरिता को मैदान में नहीं अपने साथ हुई ज्यादती को संघ में रखना चाहिए था। शशाकचन्द्र साक का मत है कि विरोध सही था। खेल बोर्ड अपने खिलाड़ियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता है। इस बात की शिकायत ओलंपिक पदक विजेता मैरीकाम ने कई बार किया है। बोर्ड पर राजनेताओं का कब्जा है। खेल समितियों व बोर्ड में केवल खिलाड़ियों को जगह मिलनी चाहिए। सरिता देवी के साथ अन्याय करके कई खिलाड़ियों के आवाज को दबाने की कोशिश की गई है। शशिकात कुशवाहा ने कहा कि भारतीय बौक्सिंग संघ के अंतर्राष्ट्रीय संघ की तुष्टिकरण करने की कोशिश का यह नतीजा है। संघों को राजनीतिज्ञों से मुक्त कराना होगा। साइबर कैफे के अरुण कुमार ने कहा कि इसका विरोध भारतीय संघ को करना चाहिए था।