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रेलवे पुल को ले नहीं थम रहा बवाल

भागलपुर। रेलवे द्वारा गोपालपुर के समीप अंग्रेजों के जमाने में बने रेल पुल को तोड़ने के निर्णय का विरो

By Edited By: Published: Sat, 23 Apr 2016 02:20 AM (IST)Updated: Sat, 23 Apr 2016 02:20 AM (IST)

भागलपुर। रेलवे द्वारा गोपालपुर के समीप अंग्रेजों के जमाने में बने रेल पुल को तोड़ने के निर्णय का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। दूसरे दिन शुक्रवार को भी ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए न सिर्फ घेराबंदी को हटा दिया बल्कि पुल से होकर वाहनों की आवाजाही शुरू करा दी। उधर, ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए रेलवे सहित जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया है। एसडीओ (सदर) कुमार अनुज ने शनिवार को रेलवे अधिकारियों के साथ पुल का जायजा लेने का निर्णय लिया है।

भाजपा नेता दीपक सिंह के नेतृत्व में पुल तोड़ने के पूर्व डायवर्जन बनाने की मांग को लेकर ग्रामीणों ने सुबह ही पुल पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इसके बाद पुल की घेराबंदी के लिए डाली गई टीन की चादर को फेंक दिया और वाहनों का आवागमन शुरू करा दिया। प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का कहना था कि डायवर्जन बनाए बिना पुल को तोड़ने से एक दर्जन से अधिक गांव के लोगों का भागलपुर आना-जाना मुश्किल हो जाएगा। लोगों को काफी घूमकर भागलपुर जाना पड़ेगा। रेलवे लाइन के नीचे से पुल संख्या 148 गुजरता है जो गोपालपुर गांव होकर जाने के बाद पुल के नीचे चारपहिया वाहन गुजर सकते हैं। लेकिन रास्ता कच्चा होने के कारण बारिश के दिनों लोगों को परेशानी होगी। रास्ता भी सुगम नहीं है।

डायवर्जन के लिए ग्रामीण जमीन देने को तैयार :

भाजपा नेता सिंह ने कहा कि डायवर्जन के लिए ग्रामीण जमीन देने के लिए तैयार हैं। बगैर डायवर्जन पुल किसी भी कीमत पर तोड़ने नहीं दिया जाएगा। ग्रामीण पुल तोड़ने के दौरान पुल से ऊपर प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा है कि नया पुल जब बनकर तैयार हो जाता, तब तक पुराने पुल को तोड़ने नहीं दिया जाएगा। कोट

वहीं पूर्व रेलवे निर्माण विभाग के अभियंता का कहना है कि अभियंता का कहना है कि ग्रामीणों के विरोध की जानकारी जिला प्रशासन को दे दी गई है। जिला प्रशासन को ही पुल तोड़ने के दौरान सुरक्षा मुहैया करानी है। प्रशासन के निर्देश के आलोक में कार्रवाई की जाएगी। शनिवार तक पुल तोड़ने का निर्देश मिला तो रविवार को पुल तोड़ दिया जाएगा। अगर निर्देश नहीं मिला तो 24 अप्रैल के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। आसपास कई डायवर्सन हैं, जिसका उपयोग आसपास के लोग कर सकते हैं। गोपालपुर गांव होकर पुल संख्या 148 का उपयोग लोग कर सकते हैं। कुछ दिनों तक लोगों को परेशानी होगी। इसके बाद सब ठीक हो जाएगा।

दरअसल, रेलवे ने गोपालपुर गांव के समीप पुल संख्या 149 को रविवार को ध्वस्त करने का निर्णय के साथ ही गुरुवार को पूर्व रेलवे के निर्माण विभाग द्वारा पुल से गुजरने वाले लोगों की सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुल को टीन की चादर व बांस के सहारे घेर दिया था। घेराबंदी के कारण वैकल्पिक बाइपास के आसपास बसे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। भारी वहनों की आवाजाही शुरू

गोपालपुर गांव के समीप पुल संख्या 149 पूरी तरह जर्जर हो चुका है। मलवा रेलवे लाइन पर गिर रहा है। पुल होकर भारी वाहन नहीं गुजरे इसके लिए पूर्व में वैरियर लगा दिया गया था। लेकिन ग्रामीणों ने बैरियर को भी हटा दिया। शुक्रवार को पुल होकर कई बड़े वाहन गुजरे। इसमें ओवर लोडेड ट्रक व बस शामिल हैं। पुल निर्माण कराने वाले रेलवे अभियंता का कहना है कि रेलवे लाइन दोहरीकारण को लेकर पुराने पुलों को तोड़ा जा रहा है। पुल संख्या 149 काफी जर्जर हो चुका है। यह कभी भी हादसा का कारण बन सकता है। इसको देखते हुए पुल तोड़ने की कवायद पिछले एक वर्ष से हो रही है। जिला व पुलिस प्रशासन से कई दौर की वार्ता हो चुकी है।

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कोट

रेलवे पुल विवाद की जानकारी मिली है। शनिवार को रेलवे के अधिकारियों के साथ स्थल का निरीक्षण किया जाएगा और समाधान की दिशा में कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीणों को विकास कार्यो में सहयोग करना चाहिए।

-कुमार अनुज, एसडीओ (सदर)

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