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मदिरालय नहीं चाहिए पुस्तकालय

By Edited By: Updated: Tue, 27 Nov 2012 01:37 AM (IST)

जागरण प्रतिनिधि, भागलपुर : सोमवार को स्टेशन चौक पर अस्मिता थिएटर, नई दिल्ली द्वारा सफदर हाशिमी मुक्ता मंच द्वारा मदिरालय या पुस्तकालय नामक नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया। अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखक व रंगकर्मी अरविंद गौड़ के इस नाटक को बड़ी खूबसूरती से कलाकारों ने लोगों के बीच परोसा। नाटक के माध्यम से कलाकारों ने इस बात की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया कि देश में खरगोश की रफ्तार से मदिरालय व कछुए की रफ्तार से पुस्तकालय खुल रहे हैं। यह सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश की स्थिति है। समाज को रोशनी दिखाने के लिए पुस्तकालय की स्थापना को लेकर सोचा भी नहीं जा रहा है। शराब के ठेके से हजारों घर बर्बाद हो रहे हैं। महिलाएं व बच्चे इसका सबसे ज्यादा शिकार हो रहे हैं। रंगकर्मियों ने डफली बजाकर नाटक का आगाज किया। कलाकारों ने भ्रष्टाचार पर भी चोट किया। 'सरफरोसी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है कि जोर कितना बाजुए कातिल में है' गाकर भ्रष्टाचारियों को आगाह किया कि अब देश उन्हें बिल्कुल बर्दाश्त करने के पक्ष में नहीं है। उनके खिलाफ डटकर लड़ाई लड़ी जाएगी। नाटक के दौरान शिल्पी मारवाह, राहुल, पूनम रस्तोगी, ब्रजेश, गुंजन, नीतू, ओम सुधा व सिद्धार्थ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रंगकर्मियों का परिचय सोमनाथ आर्य ने कराया। इस मौके पर रंगकर्मी बासुकी पासवान व चंद्रेश भी मौजूद थे।

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