चिकित्सीय मानवाधिकार की टीम पहुंची शाहपुर
एक प्रतिनिधि, शाहपुर (भोजपुर) : भू-गर्भीय पेयजल में आर्सेनिक रूपी जहर के खतरे के बीच जूझती एक बड़ी आबादी की त्रासदी को देखने एवं उसे महसूस करने मानवाधिकार आयोग की चिकित्सकीय दल एवं शोधकर्ता भोजपुर जनपद के शाहपुर प्रखंड पहुंच गया है। यह दल गंगा के तटवर्तीय लालू के डेरा एवं मरचइया डेरा गांव का जायजा लिया। टीम के सदस्यों द्वारा गांव के सैकड़ों महिलाओं एवं पुरुषों से बातचीत कर उनसे कई प्रकार के पेयजल से संबंधित तथा इससे कुप्रभाव के बारे में काफी पूछताछ की गयी। इसके पश्चात मानवाधिकार दल के शोधकर्ता सह कोलकता स्थित जादोपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दीपांकर चक्रवर्ती ने बताया कि इस क्षेत्र में भू-गर्भीय पेयजल पूरी तरह से आर्सेनिक से दूषित है, परंतु यहां के निवासी शायद इससे अनभिज्ञ है। इसी दूषित पेयजल को इस्तेमाल कर धीरे-धीरे विभिन्न प्रकार के बीमारियों से ग्रसित होकर काल के गाल में समाते जायेंगे। सबसे ज्यादा परेशानी छोटे-छोटे बच्चों को है जिनका जीवन इस जहर के कारण तबाह होता जायेगा और कोई कुछ भी नहीं कर पायेगा। समस्या काफी जटिल है परंतु इस पर कोई काम नहीं हो पा रहा है। फिलहाल दल द्वारा सैकड़ों स्थानों से पेयजल स्रोतों के पेयजल नमूनों का संग्रह किया गया है जिस पर शोध किया जायेगा। फिलहाल सरकार से इन गांवों में आर्सेनिकयुक्त पेयजल उपलब्ध कराने की सिफारिश की जायेगी। दल में डा. पी.एस. राव, डा. रवि सिंह, डा. हर्बल सेफ तथा पीएचइडी के कनीय अभियंता आर.पी. सिंह शामिल थे।
उच्च विद्यालय का किया गया शिलान्यास :