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आरक्षण अगले माह, तत्काल को मारामारी

By Edited By: Published: Sun, 17 Jun 2012 09:01 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jun 2012 09:02 PM (IST)

दरभंगा, निज संवाददाता : रामसूरत मिश्र अपनी चचेरी बहन की शादी में घर तो आ गए, लेकिन अब वापस काम पर कैसे लौटेंगे इसके लिए परेशान हैं। मधुबनी रेलवे स्टेशन के आरक्षण केंद्र पर आरक्षित टिकट संभव नहीं हुआ तो दरभंगा आ गए, लेकिन यहां भी निराशा हाथ लगी। जब तक दरभंगा जंक्शन के वैदेही आरक्षण केंद्र पहुंचे तब तक देर हो चुकी थी। बाहर में इतनी लंबी कतार लग चुकी थी कि काउंटर पर पहुंचने से पूर्व ही तत्काल फुल हो गया। यह हाल अकेले रामसूरत की नहीं है। उनकी तरह दर्जनों लोग रोज निराश लौटते हैं। लगन चल रहा है तो सगे-संबंधियों के विवाह में शामिल होने तो आ गए, पर लौटने के लिए मशक्कत के बाद भी टिकट पाना संभव नहीं हो रहा है। अधिकांश लंबी दूरी की ट्रेनों में आरक्षित टिकट इस माह मिल ही नहीं रहा। अगले माह भी कई ट्रेनों में एक पखवाड़ा तक आरक्षण नहीं है। हाल यह है कि दरभंगा से दिल्ली जाने वाली बिहार संपर्क क्रांति सुपरफास्ट (12565) में 21 जुलाई के बाद, स्वतंत्रता सेनानी सुपरफास्ट (12561) में 17 जुलाई, सीतामढ़ी-आनंदबिहार लिच्छवी एक्सप्रेस (14005) में 14 जुलाई, जयनगर-आनंदबिहार गरीब रथ (12569) में 27 जुलाई, जयनगर-अमृतसर शहीद एक्सप्रेस (14673) व सरयू-यमुना एक्सप्रेस (14649) में 21 व 24 जुलाई, दरभंगा-पुरी एक्सप्रेस (12577) में 7 जुलाई, दरभंगा-कुर्ला पवन एक्सप्रेस (11066) में 19 जुलाई को आरक्षण उपलब्ध है। यात्रियों का प्रेशर इतना है कि यह स्थिति भी पल भर में बदल जाती है। ट्रेनों में वेटिंग इतना लंबा है कि बिहार संपर्क क्रांति में रोज एक अतिरिक्त कोच जुटने के बाद भी इस में आरक्षण पाने वालों से ज्यादा वेटिंग में ही रह जाते हैं। अन्य ट्रेनों में नियमित अतिरिक्त कोच नहीं लगता।

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तत्काल पाना भी टेढ़ी खीर

आरक्षित टिकट नहीं मिल पाने की स्थिति में बचता है तत्काल का सहारा तो वह भी सभी के लिए संभव नहीं होता है। हर काउंटर पर पांच-सात लोग ही इसका लाभ उठा पाते हैं। दिल्ली और मुंबई के लिए तो कुछ ही मिनटों में तत्काल में भी वेटिंग आ जाता है। नई व्यवस्था के तहत केंद्र के बाहर ही कतार लगाने की व्यवस्था की गई है। कई लोग रात से ही अपना स्थान छेंक कर सुबह में मांग पत्र पर नंबर पाने का इंतजार करते हैं। रेलवे ने काउंटर पर लगने की आपाधापी में दलालों का बर्चस्व खत्म करने के लिए यह कदम उठाया है। इसका लाभ भी मिल रहा है, लेकिन सामान्य यात्रियों को काफी परेशानी आ रही है। वे आठ-दस घंटे खड़ा रह नहीं सकते और शहरी व ग्रामीण इलाकों के लोग रात में 10 बजे अंतिम शिफ्ट खत्म होने से पहले ही बाहर में कतार में अपनी जगह सुरक्षित कर लेते हैं। बहुत से लोग महिलाओं का सहारा ले रहे हैं। रविवार को बलभद्रपुर के मनोज सिंह ने महिला परिजन का सहारा लिया और नंबर मिलने से तीन घंटे पहले पहुंचे तो सफलता मिली।

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डुप्लीकेट ट्रेनों का प्रस्ताव हो लागू

आरक्षण नहीं मिलने से बार-बार यात्रा का शिड्यूल बदलने को मजबूर लक्ष्मीसागर के रामशरण यादव का कहना है कि रेलवे ने जो डुप्लीकेट ट्रेन चलाने का प्रस्ताव दिया था उसे तुरंत लागू किया जाना चाहिए। वहीं मनीगाछी के योगेंद्र कुमार का कहना था लंबी दूरी की हर गाड़ी में कोच की संख्या बढ़ा कर भीड़ पर काबू पाने की दिशा में पहल होनी चाहिए। वहीं न्यू बलभद्रपुर के रमाशंकर झा ने कहा कि तीन-तीन माह पूर्व टिकट पाने की व्यवस्था भी परेशानी का कारण है। कादिरबाद के वरिष्ठ नागरिक इंद्रकांत प्रसाद ने कहा कि महज एक दिन पूर्व तत्काल की व्यवस्था से टिकट नहीं मिलने पर पूर्व निर्धारित योजनाएं ध्वस्त हो जाती हैं। दो-तीन दिन का गैप रहे तो बेहतर है।

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