UNSAFE TIGER : वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में 60 दिनों में 3 बाघों की मौत
बिहार के एकमात्र वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पार्क में बाघों की संख्या लगातार घटती जा रही है। बीते दो महीने में रिजर्व पार्क में तीन बाघों की मौत हो गयी है। बताया जा रहा है कि साजिश के तहत उन्हें जहर देकर मार दिया जा रहा है।
By Prasoon Pandey Edited By: Updated: Sun, 21 Feb 2016 10:43 PM (IST)
पटना। शिकारियों की बदनीयती के शिकार बाघों की संख्या प्रदेश में लगातार कम होती जा रही है। बीते 60 दिनों में बिहार के एकमात्र वाल्मीकि राष्ट्रीय टाइगर रिजर्व पार्क में तीन बाघों की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। रिजर्व के गनौला इलाके के महादेवा परिसर में गश्ती के दौरान कर्मचारियों ने बाघ की लाश के सड़ने के बाद उठने वाली दुर्गंध से इस बात का खुलासा किया।
जहर देकर मारने की साजिश वन विभाग के अधिकारियों की माने तो साजिश के तहत बाघों को जहर देकर मार दिया जा रहा है। इस बात का खुलासा महीने भर पहले दिल्ली से आयी विशेषज्ञों की टीम ने भी किया था लेकिन अबतक बाघों की सुरक्षा को लेकर कोई ठोस पहल नहीं की गयी है। जानकारी के मुताबिक वन विभाग द्वारा इस मामले को पुरजोर दबाने की कोशिश की जा रही है।हैरान करने वाले हैं आंकड़ें
वन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो दो महीने के अंदर अबतक तीन बाघों की मौत हो चुकी है, जो कई सवाल खड़े करती है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- 20 फरवरी 2016 को यानी शनिवार को वाल्मीकि टाइगर रिजर्व पार्क में एक बाघ का शव मिला।
- जनवरी 2016 में दो बाघों की मौत ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए।
- साल 2013 में नौरंगिया के दोन जंगल में टाइगर का शव बरामद किया गया।
- साल 2013 में ही मदनपुर में एक बाघ मृत पाया गया।
- साल 2008 में नौरंगिया में आयरन ट्रैप में फंसने से एक बाघ की मौत हो गयी थी।