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छठ व्रतियों के पग में नहीं पड़ेंगे छाले

गया। लोग कहते हैं कि कार्तिक मास की छठ से कठिन चैती छठ होता है। इसके पीछे जो कारण माना जाता है। वो ह

By Edited By: Updated: Mon, 11 Apr 2016 09:49 PM (IST)
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गया। लोग कहते हैं कि कार्तिक मास की छठ से कठिन चैती छठ होता है। इसके पीछे जो कारण माना जाता है। वो है चैत महीने की तपन। चैत महीने में लोक आस्था का पर्व करने वाले छठ व्रतियों के समक्ष जो बड़ी तपस्या मानी जाती है। वो है सूर्य का तेज। आम आदमी से लेकर पशु पक्षियों के गले सूखने लगते हैं इस महीने में। नदियां, तालाब, आहर- पोखर यहां तक की कुआं भी सूख जाते हैं। अमूमन पृथ्वी का जल स्तर भी नीचे चला जाता है। ऐसे में नंगे पाव अपने घरों से चल कर छठ घाट तक पहुंचना छठ व्रतियों के कितना कष्टदायक होगा। यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। ऐसी विषम प्राकृतिक परिस्थितियों से छठ व्रतियों को राहत दिलाने की दिशा में नगर निगम का यह कदम सराहनीय कहा जाएगा कि शहर के प्रमुख छठ घाट के पहुंच पथ पर शीतल जल का निरंतर छिड़काव कराएगा। ताकि छठ व्रतियों के पांव में छाले नहीं पड़े। मेयर सोनी कुमारी के निर्देश पर नगर आयुक्त विजय कुमार ने सोमवार को एक आदेश निर्गत किया है। जिसमें छठ व्रतियों व उनके साथ घाट तक आने वाले उनके इष्ट मित्र व परिवार के लोगों को किसी प्रकार की असुविधा या कष्ट का सामना न करना न पड़े। नगर आयुक्त विजय कुमार ने बताया कि सभी सड़कें, नालियों, कुंड व घाटों की सफाई का कार्य लगभग पूरा करा लिया गया है। शेष जो बच गए हैं। वो भी देर रात तक पूरा करा लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सभी तालाबों एवं घाटों पर छठ व्रतियों के आने-जाने में सुविधा हेतु पहुंच पथों पर झरनानुमे टैंक लोरी से पानी का छिड़काव कराया जाएगा। ताकि नंगे पांव चलकर भगवान भास्कर को अ‌र्ध्य देने में उन्हें किसी प्रकार की कठिनाई महसूस न हो सके। उन्होंने बताया कि सभी तालाबों एवं घाटों के आसपास भी पानी के टैंकर रखे जाएंगे। सुरक्षा के दृष्टिकोण से सूर्यकुंड तालाब के चारों ओर बांस बल्ले अथवा मजबूत रस्सी से बेरिकेडिंग की व्यवस्था की गई है। ताकि कोई भी छठ व्रती अथवा उनके परिजन अधिक गहराई में न जा सकें। यहां स्वयंसेवकों और तैराक भी मौजूद रहेंगे। जो किसी भी आपात स्थिति से निबटने को तैयार रहेंगे।

इधर केन्दुई घाट पर 60 फीट लंबी जलापूर्ति पाइप से झरना बहेगा। पिता महेश्वर घाट पर 100 फीट लंबी जलापूर्ति पाइप से झरना बहेगा। वहीं ब्राह्माणी घाट के प्लेटफार्म पर ही कृत्रिम कुंड का निर्माण क्षेत्रीय वार्ड पार्षद रजनी कुमारी व आसपास के लोगों के सहयोग से कराया गया है। जबकि मानपुर के दिनकर घाट की साफ-सफाई क्षेत्रीय वार्ड पार्षद व स्वयंसेवी संस्था से जुड़े लोगों के सहयोग से की गई है। निगम के सहायक अभियंता शैलेन्द्र कुमार सिन्हा ने बताया कि दिनकर घाट की सफाई में उनसे जेसीबी की मांग की गई थी। जो उपलब्ध करा दिया गया है। वहीं रूक्मिणी तालाब, मानपुर के सूर्यपोखरा, केन्दुई घाट, पितामहेश्वर घाट की सफाई के साथ-साथ निगम की तरफ से प्रकाश की व्यवस्था की गई है।

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