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नेहरू पुस्तकालय बदहाली के कगार पर

By Edited By: Updated: Wed, 25 Jul 2012 01:22 AM (IST)
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करपी (अरवल), निज प्रतिनिधि

प्रखंड मुख्यालय स्थित एक मात्र पंडित नेहरू पुस्तकालय आज बदहाली के कगार पर है। करपी बस स्टैंड के कोने में स्थित इस पुस्तकालय पर न तो किसी जनप्रतिनिधियों की नजर जा रही है और न ही सरकार के किसी आलाधिकारी की। यहां के बुद्धिजीवियों ने भी इसे सरकार के भरोसे छोड़कर अपनी आंखे फेर ली है। नतीजतन हजारों रुपये मूल्य की पुस्तकें उपकरण बर्बादी के कगार पर है। भवन भी काफी जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। वर्षा होने पर पानी की बूंदे भी कमरे में टपकती है। जिसके कारण पुस्तकें नष्ट हो रही है तो कुछ चोरों की भेंट भी चढ़ गयी है। विदित हो कि इस पुस्तकालय की स्थापना 1974 मे की गयी थी। इसका उद्घाटन पंडित नेहरु के सहयोगी रहे जुहेरे साहब ने किया था। ग्रामीणों की सहयोग से इस पुस्तकालय भवन का निर्माण कराया गया था। पुस्तकालय की अपनी जमीन भी है। पुस्तकालय को विधिवत चलाने के लिए संचालन समिति का गठन भी उस समय किया गया था। पुस्तकालय सचिव रहे युगेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि स्थापना के बाद कई वर्षो तक सरकार से पुस्तकों की खरीद के लिए अनुदान भी मिलते थे। 1984 में जन संपर्क विभाग द्वारा एक बड़ा रेडियो सेट तथा माइक सेट भी पुस्तकालय को दिया गया था। लेकिन मरम्मत के अभाव में सभी बेकार हो गयी। ग्रामीणों ने बताया कि उस समय पुस्तकालय में काफी लोग आते थे तथा पठन पाठन का कार्य करते थे। रेडियो सुनने के लिए शाम को ग्रामीणों की काफी भीड़ एकत्रित हुआ करती थी। यहां का माहौल काफी गहमागहमी भरा होता था। क्योंकि उस समय सभी के पास रेडिया उपलब्ध नहीं होते थे लेकिन आज यहां वीरानगी छायी रहती है।

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