नारायण के संग गये बापू आसाराम
संसू कुदरा (कैमूर) : प्रखंड अन्तर्गत कुदरा बाजार के रामलीला मैदान के प्रांगण में रात्रि में श्री दुर्गा पूजा समिति के तत्वावधान में हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। उद्घाटन प्रो0 आमप्रकाश चौबे ने किया। कार्यक्रम का संचालन नागेश शंाडिल्य ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत अनुराधा रस्तोगी के देवी गीत धावल धुपल अईली मईया तोहरे शरणियां एं कंकाली मईया से हुई। कवि बद्री विशाल ने स्वर एवं व्यंजन की परिभाषा बताई कि स्वर मुंह से निकलता है और व्यंजन मुंह में जाता है। सिर से बाल उगता है और सिर से बाल झड़ता है। मां सिर पर हाथ फेरे तो बाल उगता है और बीबी हाथ फेरे तो उड़ता है। ऐसी वाणी बोलिए सबसे झगड़ा होए ,उससे झगड़ा न होए जो हमसे तगड़ा होय। कुमार प्रवीण ने मां के प्रति आधुनिक बच्चों की मानसिकता प्रकट की। हे मेरी मां तु देव की कौशिल्या भी ,यशोदा भी अनसुईया भी। अंतिम पक्ति में बताते है कि कौन धोयेगा कपड़े और कौन करेगा चूल्हे चौके । तु जिवित रहेगी मां तो दाई का खर्चा बच जाएगा। गोरखपुर से आए कवि मनमोहन मिश्र ने अपने धुन का मारा हुं आवारा हुं बनजारा हुं कविता से आज के इन्सान का वास्तविक चित्रण किया। भोजपुरी भाषा में जनजा विदेशवां हो सजना, झाकेला चांद मोरी अंगना में पत्नी का विरह प्रदर्शित किय॥ लोकनाथ तिवारी ,अनगढ़ ने पत्नी और धर्म पत्नी की परिभाषा बतायी की जिससे आप रीति रिवाज के साथ शादी करेगे तो वह पत्नी हुई। अगर कोई पिता नही है और पिता का कार्य करे तो वह धर्मपिता है उसी तरह अगर कोई पत्नी नही है और वह पत्नी का कार्य पूरा करे तो वह धर्मपत्नी है। ससुराल की व्याख्या करते हुए उन्होने कहा कि जहां सुख रात-दिन सुलभ हो वही ससुराल है। कवयित्री विभा सिंह ने बताया ने बताया कि लिंग तीन प्रकार के होते है दार्जंिलग, शिवलिंग और डार्लिग। उन्होंने गजल प्रस्तुत करते हुए कहा कि चांदनी रात में तुम चमकते रहो दर्द मेरा है,मगर आप तड़पते क्यों है?दिल तो मेरा है मगर आप धड़कते क्यों है? पाण्डेय अकेला ने सामाजिक सौहार्द की रचना पेश करते हुए कहा कि दुल्हन के अचरा मत लिख,भूतन के पचरा मत लिख,ऊंच नीच अब ढ़ेर भईल पोथी पतरा मत लिख । कवि राम कुमार मिश्र ने मां की महिमा की व्याख्या करते हुए कहा कि कईसे चुकाई मांई दुधवा के मोल रे,जनमावे वाली माई तु ही अनमोल रे। मिथिलेश गहमरी ने नेताओ पर व्यंग्य वाण चलाते हुए बताया कि किसी हालत में हथियाना है यारो कुर्सी माई को॥ कसम गौ माता की खाओ सुरक्षा दो कसाई को। अनुराधा रस्तोगी ने तू मन के दीया जरईब त हम बाती बन जाईब हो। अकेले राह में पड़ब त हम साथी बन जाईब हो। न टुटे स्नेह के रसरी न सूखे प्रेम का पौधा न रूठे कोई से कोई न होखे प्यार का सौदा। कार्यक्रम में महामूर्ख की उपाधि लोकनाथ तिवारी अनगढ़ को दिया गया। कार्यक्रम में ईमरान अंसारी एंव टुनटुन रस्तोगी, गौरव केजरीवाल,किसान पासवान,जनार्दन शांडिल्य,शहाब अनवर, सुधीर अग्रवाल,राधा सेठ, सरवार गुरूपेज सिंह,सुदीप अग्रवाल,रमेश चौरसिया की उल्लेखनीय भूमिका रही।