कटिहार: चैती नवरात्रा के तीसरे दिन रविवार को मां के तृतीय व चतुर्थ स्वरुप चन्द्र घंटा व कुष्मांडा की
By Edited By: Updated: Sun, 10 Apr 2016 09:28 PM (IST)
कटिहार: चैती नवरात्रा के तीसरे दिन रविवार को मां के तृतीय व चतुर्थ स्वरुप चन्द्र घंटा व कुष्मांडा की पूजा विभिन्न मातारानी मंदिर व शक्तिपीठ में की गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मंदिरों में पहुंच पूजा-अर्चना की। दुर्गा सप्तशती की पाठ के साथ मातादी की जयघोष से माहौल भक्तिमय बना रहा। मंदिरों में प्रसाद वितरण भी किया गया। मिरचाईबाड़ी स्थित सर्वमंगला मंदिर के पुजारी सचिदानंद चौधरी ने बताया कि नवरात्र के तीसरे दिन तिथि के क्षय रहने के कारण माता के दो स्वरुप का पूजन एक साथ रविवार को ही किया जा रहा है। माता की पूजा भक्तिपूर्ण वातावरण में मिरचाईबाड़ी स्थित सर्वमंगला मंदिर, बड़ी दुर्गा स्थान, काली मंदिर, तीन गछिया काली मंदिर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न मातारानी मंदिरों में भक्तिभाव के साथ की जा रही है।
विभिन्न स्वरुप के पूजन का महत्व :
मां दुर्गा की तीसरे स्वरुप माता चन्द्रघंटा की पूजन परम शांतिदायक व कल्याणकारी है। इसके साधक व उपासक जहां भी जाते है वहां लोग शांति और सुख का अनुभव करते है। इनकी आराधना सर्व फलदायी है। इसी प्रकार मां दुर्गा की चौथे दिन मां कुष्मांडा देवी के स्वरुप की उपासना की जाती है। मां कुष्मांडा की पूजन आदि स्वरुपा व आदि शक्ति के रुप में किया जाता है। मां कुष्मांडा के उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते है। छठ व्रत की तैयारी:
चैत नवरात्र के मध्य ही चैती छठ होने के कारण इसकी भी तैयारी शुरु हो गयी है। इस दौरान श्रद्धालू बड़ी संख्या में भगवान भास्कर (सुर्य) को अर्घ्यदान करते है। बतादे कि कार्तिक माह में होने वाले छठ पर्व की भांति ही चैत माह के शुक्लपक्ष के षष्ठी तिथि को चैती छठ के रूप में मनाया जाता है। षष्ठी तिथि को अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्यदान व सप्तमी तिथि को सुबह में उदयगामी सूर्य को अर्घ्यदान किया जाता है। प्राय: छठ व्रती चैती छठ की उपासना स्थानीय नदी,तालाबों के घाटों पर जाकर करते हैं। इसकी तैयारी भी पूर्ण विधि-विधान के साथ करते है। इस बार 12 अप्रैल को चैती छठ का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए शहर का कोसी घाट, बालू पोखर समेत अपने अपने घरों के आंगन में भी पोखर खोदकर पानी डाल छठ करने की तैयारी की जा रही है।
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