अनोखा मंदिर जहां लगता है 'दूल्हा-दुल्हन का मेला'...जानिए
बिहार के सीमांचल इलाके में एक मंदिर है जहां दूल्हा-दुल्हन का मेला लगता है और स्वयंवर की परंपरा आज भी चल रही है।
By Kajal KumariEdited By: Updated: Sat, 08 Oct 2016 10:08 PM (IST)
कटिहार [नंदन कुमार झा]। बिहार के सीमांचल में आदिवासी समाज के दूल्हा-दुल्हन का मेला आधुनिक समाज के लिए आश्चर्य की बात है। अदिवासी समाज में आज भी स्वयंवर की पौराणिक परंपरा कायम है। यह परंपरा महिला सशक्तिकरण के प्रयास का पुराना उदाहरण भी है।
कटिहार के बाबनगंज पंचायत क्षेत्र स्थित बडग़ांव दुर्गा मंदिर में दूल्हा-दुल्हन का मेला लगता है। दुर्गापूजा में दशमी की सुबह से बिहार तथा दूसरे प्रदेशों के आदिवासी युवक-युवती पहुंचते हैं। समाज के वरिष्ठ लोगों की मौजूदगी में अपना जीवन साथी चुनते हैं। यह चयन सर्वमान्य होता है। चयनित जोड़ों का विवाह मंदिर परिसर में पारंपरिक रीति रिवाज के अनुसार कराया जाता है।पढ़ेंः रेप के आरोपी राजबल्लभ ने लालू से की दो घंटे तक मुलाकात, सियासत तेजसमुदाय प्रमुख गोपी हेम्ब्रम कहते हैं कि बडग़ांव दुर्गा मंदिर से आदिवासी समुदाय की अटूट श्रद्धा जुड़ी है। यह परंपरा पूर्वजों द्वारा शुरू की गई है, जो आज भी कायम है। करीब सौ वर्षों से यह अनूठा मेला लगता आ रहा है। मेले के माध्यम से आदिवासी समुदाय की युवक- युवतियों को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने की पूरी आजादी होती है।
पढ़ेंः शहाबुद्दीन की पत्नी का बड़ा खुलासा, लालू का साथ देने का बदला ले रहे नीतीशयह मेला सीमांचल के आदिवासी समुदाय का प्रमुख मेला है। यह दरभंगा महाराज द्वारा स्थापित आदिवासी समुदाय का प्रमुख मंदिर है। इस मंदिर में सीमांचल के साथ ही झारखंड व पश्चिम बंगाल से जोड़े शादी विवाह के लिए पहुंचते हैं।
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