नहीं मिला अनुदान, गरीब बच्चों की कैसे होगी पढ़ाई
मधेपुरा [सुकेश राणा]। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी विद्यालय संचालकों को मुफ्त शिक्षा देने पर स
मधेपुरा [सुकेश राणा]। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत निजी विद्यालय संचालकों को मुफ्त शिक्षा देने पर सरकार द्वारा अनुदान की राशि नहीं देने पर नये नामांकन पर हाथ खड़ा करने जा रही है। इससे जहां शिक्षा के अधिकार कानून की धज्जियां उड़ने की संभावना है वहीं पहले से पढ़ रहे ऐसे बच्चों के अध्यापन कार्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ने की संभावना है। मालूम हो कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत नीति विद्यालय को अपने प्रथम वर्ग में बीपीएल धारी बच्चों को 25 प्रतिशत को मुफ्त शिक्षा देने का निर्देश है। जिसके तहत सभी निजी विद्यालयों को निबंधित करने की प्रक्रिया के उपरांत नामांकन कार्य प्रारंभ हुआ।
मात्र 81 विद्यालयों का हुआ निबंधन
सर्व शिक्षा विभाग आरटीआई कानून को सफल करने के लिए जिले के सभी निजी विद्यालयों का निबंधन शुरू किया गया। जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 तक निबंधन की प्रक्रिया तेज रही। निबंधन हेतु जिला के लगभग 200 विद्यालयों ने निबंधन हेतु आवेदन भी दिया। बावजूद जिला में मात्र 81 विद्यालय को ही निबंधन प्राप्त हुआ। जानकारी के अनुसार विगत छह माह से भी अधिक समय से जिला के किसी निजी विद्यालय को निबंधन नहीं किया।
मुफ्त शिक्षा के बदले अनुदान : आरटीआई कानून के तहत प्रत्येक निजी विद्यालय को प्रति बच्चे शिक्षा के बदले लगभग 4100 रुपये सरकार द्वारा देने का प्रावधान है। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2012-13 में सर्व शिक्षा अभियान ने 4 लाख 18 हजार उपर रुपया निजी विद्यालय को दिया वहीं वित्तीय वर्ष 13-14 में 12 लाख 93 हजार 300 रुपये दिया। जबकि वर्ष 14-15, 15-16 का रुपया विभाग के पास ना तो आया ना ही वितरण किया गया।
निबंधता के मानक की गई अनदेखी :
सर्व शिक्षा अभियान शुरूआती दौड़ में निबंधता में जबरदस्त रूप से दरियादिली दिखाई इसके तहत ऐसे विद्यालय को भी पंजीकृत किया गया जिसका आधारभूत संरचना काफी कमजोर है। वहीं कई निजी विद्यालय ऐसे भी है जिसके पास आधारभूत संरचना होने के बावजूद पंजीयन के लिए दौड़ रहे हैं। मामले का दिलचस्प पहलू यह है कि शिक्षा विभाग निबंधन प्रदान करने के बाद कभी भी बच्चों की स्थिति व विकास रिपोर्ट की समीक्षा नहीं की। पूरे मामले में विभाग की शिथिलता कई बार नजर आई। आल में सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय से सभी बीईओ को अपने संबंधित प्रखंड ने निबंधित या गैरनिबंधित विद्यालयों का भू-डायस (एकीकृत सूचना प्रणाली) प्रपत्र भेजने का आदेश दिया लेकिन पूरे जिला से एक दर्जन भी भू डायस प्रपत्र विभाग को नहीं मिला।