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फिर छले गए जमालपुरवासी

मुंगेर। बिहार में महान शैक्षणिक संस्थानों की अपनी एक ऐतिहासिक परंपरा रही है।

By Edited By: Published: Wed, 01 Feb 2017 06:12 PM (IST)Updated: Wed, 01 Feb 2017 06:12 PM (IST)
फिर छले गए जमालपुरवासी

मुंगेर। बिहार में महान शैक्षणिक संस्थानों की अपनी एक ऐतिहासिक परंपरा रही है। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय इस स्वर्णिम इतिहास का उदाहरण है। इसी कड़ी में भारतीय रेल यांत्रिक एवं विद्युत इंजीनिय¨रग संस्थान(इरमी) भी शामिल है। इसकी स्थापना 1927 में लौहनगरी जमालपुर में हुई थी। स्थापना काल से ही इरमी में स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस (एससीआरए) की पढ़ाई होती रही थी। इससे रेलवे में प्रतिभावान इंजीनियर आते थे। लेकिन 2016 में केंद्र सरकार के अधीन रेल मंत्रालय ने एससीआरए समाप्त करने की घोषणा कर सबको चौंका दिया था, इसे लेकर जमालपुर में लगभग 90 दिनों तक जमालपुर रेल निर्माण कारखाना संघर्ष मोर्चा के साथ ही विभिन्न राजनीतिक समाजिक संगठनों निरंतर आंदोलन होता रहा। इसके बाद रेल राज्यमंत्री से लेकर बिहार सरकार के मंत्री सांसदों एवं विधायकों ने आकर अपने-अपने स्तर से अवलोकन कर जनता को इसके खत्म नहीं होने का आश्वासन भी दिया था। इसी संदर्भ में 9 मई 2016 को नीति आयोग के सदस्य एवं भारत सरकार के विशेष सलाहकार समूह के अध्यक्ष वी.के शास्वत का भी आगमन हुआ था,और तत्कालीन इरमी के निदेशक एके गुप्ता ने भी सरकार और रेलवे बोर्ड के निर्देश पर यहां की गतिविधि सरकार को भेजा था, तब से यहां के आम जनता को आशा है कि जमालपुर में भी रेलवे विश्वविद्यालय की घोषणा होगी। एससीआरए के बाद भारत सरकार द्वारा जमालपुर जनता को रेलवे विश्वविद्यालय का उपहार मिलेगा।

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आम बजट में समाहित रेल बजट से जनता की टूटी उम्मीद : पप्पू

फोटो-01एमयूएन 30

जमालपुर : आम बजट में समाहित रेल बजट से जमालपुर रेल निर्माण कारखाना संघर्ष मोर्चा की सकारात्मक उम्मीद की प्रतिक्षा समाप्त हुई। क्योंकि एक बार फिर मोदी के आम व रेल बजट से जनता की उम्मीद टूट गई। यह बातें मोर्चा के संयोजक सह समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष पप्पू यादव ने कही। केंद्र सरकार पहली बार आम बजट में रेल बजट को समाहित किया है। मोर्चा जमालपुर कारखाना को निर्माण का दर्जा एवं रेलवे विश्वविद्यालय की स्थापना सहित रेल से जुड़े सवालों को लेकर निरंतर आंदोलनरत है और बजट के एक महीना पूर्व ही मोर्चा द्वारा प्रधानमंत्री, रेलमंत्री व साथ ही रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा। अपनी मांगों के प्रति सकारात्मक रूख अपनाने की गुहार लगाई थी, लेकिन मोर्चा के सारे मांगों को आम बजट व रेल बजट से निराशा मिली।


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