बिहार पहुंचे सुब्रत रॉय, कहा- सहारा को लेकर कोई कंफ्यूजन नहीं
मुजफ्फरपुर में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे सहारा प्रमुख सुब्रतो रॉय ने कहा कि सहारा को लेकर कोई कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए, सेबी की नीतियों में गड़बड़ी है।
By Kajal KumariEdited By: Updated: Wed, 15 Jun 2016 06:14 PM (IST)
मुजफ्फरपुर [जेएनएन]। पेरोल पर जेल से बाहर आए सहारा प्रमुख सुब्रत राय मंगलवार को मुजफ्फरपुर पहुंचे। वहां एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने फिर सेबी को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि सहारा के निवेशकों का एक भी खाता गलत नहीं है। सेबी जानबूझकर निवेशक सत्यापन प्रक्रिया को टाल रहा है।
सहारा प्रमुख ने कहा कि सेबी को मालूम है कि सही ढंग से निवेशकों का सत्यापन हुआ तो उसकी स्थिति शर्मनाक होगी व सहारा का दावा सही साबित होगा। मुकदमे का फैसला सहारा के हक में होगा और सहारा का धन वापस आ जाएगा।पढें- शत्रुघ्न सिन्हा का बड़ा बयान, कहा- BJP वरुण गांधी को UP में बनाए चेहरासेबी की कार्रवाई को गलत बताते हुए उन्होंने बिंदुवार सवाल भी उठाए। कहा, पिछले 43 माह में सेबी ने निवेशकों को मात्र 50 करोड़ रुपये लौटाए। इसके अलावा 50 करोड़ धन वापसी की मांग सेबी को मिली है। इस स्थिति में सौ करोड़ से अधिक धन वापसी नहीं हो सकती। जबकि सहारा पहले से सेबी को 14 हजार करोड़ दे चुका है।
इसके अलावा 20 हजार करोड़ की अचल संपत्तियों के दस्तावेज उसके पास है। सेबी द्वारा सहारा के निवेशकों के न होने के दावे के जवाब में कहा कि एक भी खाता जाली या फर्जी नहीं है।पढें- CM नीतीश ने किया एलान : शराबबंदी से बेरोजगार हुए लोगों को मिलेगा रोजगार
कहा- न्यायपालिका पर पूरा भरोसासुब्रत राय ने न्यायपालिका पर भरोसा जताते हुए कहा कि भले देर से मिले, लेकिन न्याय अवश्य मिलेगा। सहारा श्री ने खुद पर कार्रवाई को लेकर कहा कि जिन दो कंपनियों के खिलाफ उच्चतम न्यायालय ने आदेश जारी किए उनमें से वे किसी के निदेशक नहीं थे और ना ही कोई कार्यकारी भूमिका ही निभाई थी। वे मात्र शेयर होल्डर थे। जबकि कंपनी एक्ट के अनुसार शेयर होल्डर को कंपनी की गलती के लिए गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।प्रतिबंध ने बढ़ाई मुश्किलविगत तीस माह की चर्चा करते हुए कहा कि सहारा समूह एक प्रतिबंध तले दबा है। कोई रकम जुटाने पर वह सेबी-सहारा के खाते में ही जाएगा। वह अपने लिए एक भी रुपया नहीं जुटा सकता। इस कारण कर्मचारियों के वेतन व अन्य दायित्वों को पूरा करने में कठिनाई हो रही।नियमित रूप से कंपनी रजिस्ट्रार को उपलब्ध कराई बैलेंस शीट उन्होंने कहा कि सहारा ने नियमित व विधिवत रूप से कंपनी रजिस्ट्रार के पास बैलेंस शीट व रिटन्र्स फाइल की। कंपनी रजिस्ट्रार की ओर से भी नियमित रूप से कंपनी की जांच होती रही। मगर, सेबी इसमें शामिल नहीं रहा। उन्होंने यह भी चर्चा की कि सहारा ने 2006 में 1.98 करोड़ ओएफसीडी (ऑप्शनली फुली कंवर्टिबल डिवेंचर) कंपनी रजिस्ट्रार कोलकाता से स्वीकृति लेकर पास कराई थी। यहां निवेशकों की संख्या 50 से अधिक थी।वर्ष 2008 में सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉपोरेशन लिमिटेड (एसआइआरईसीएल) व सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआइसीएल) के लिए भी धन जुटाने को ओएफसीडी के माध्यम से अनुमति ली थी। इसके बावजूद सेबी वर्ष 2010 से सहारा को दंडित करना शुरू कर दिया।सेबी ने 50 से अधिक निवेशकों की संख्या को बड़ी मानते हुए इसे निजी प्लेसमेंट करार नहीं दिया। जबकि कानून में इसकी सीमा निर्धारित नहीं। यहां सवाल उठता है कि जब 2008 में ही कंपनी रजिस्ट्रार ने एसआइआरईसीएल व एसएचआइसीएल को ओएफसीडी जारी करने की अनुमति दी। तब सेबी ने इन कंपनी रजिस्ट्रारों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा।
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