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वैचारिक प्रदूषण पर्यावरण के प्रदूषण से ज्यादा घातक

By Edited By: Updated: Sun, 29 Jul 2012 10:16 PM (IST)

बिहारशरीफ, निज संवाददाता : रविन्द्रनाथ टैगोर के 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित पुस्तक संस्कृति महोत्सव में वक्ताओं ने कहा कि वैचारिक प्रदूषण पर्यावरण के प्रदूषण से अधिक घातक है। पुस्तकालय और समाज विषय पर विचार सत्र में बिहार पुस्तकालय के पुस्तकाध्यक्ष धु्रव सिंह, बनारस के युवा सन्यासी ओमाद अंक, शांति निकेतन के प्रो.सुभाष राय समेत प्रो.श्रीकांत सिंह, डा.के.नारायण, जयनंदन शर्मा एवं सुनील कुमार हिस्सा लिये। चर्चा के केन्द्र में नालंदा और यहां पुस्तकालयों का इतिहास रहा। कार्यक्रम में समाज में पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। वक्ताओं ने यहां तक कहा कि प्राचीन नालंदा विवि के पुस्तकालय को जलाने वाले बख्तियार खिलजी को कहीं न कहीं हमारे पूर्वजों का सहयोग रहा होगा। यह वैचारिक दोष का नतीजा रहा होगा।

चर्चा निर्माणाधीन यूनिवर्सिटी आफ नालंदा पर भी हुई। इसके स्वरूप तथा वीसी की नियुक्ति जैसे विवादित मुद्दों पर भी चर्चा से परहेज नहीं किया गया। अंतरराष्ट्रीय रंग कर्मी अरविन्द गौड़ ने कहा कि नालंदा के लोगों को जागरूक होना होगा तभी यहां की ज्ञान भूमि पर समृद्ध पुस्तकालय परंपरा वापस लौटेगी। श्री गौड़ ने पुस्तकालय एवं पुस्तक संस्कृति की पुर्नस्थापना में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर न्यास परिषद की भूमिका की सराहना की। उन्होने कहा कि इसी का देन है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नेशनल मिशन आफ लाइब्रेरी का गठन किया। यह आजादी के बाद पुस्तकालयों की रक्षा के लिए उठायी गयी सबसे बड़ा कदम है। श्री गौड़ द्वारा निर्देशित तथा पदम भूषण सुश्री मल्लिका साराभाई द्वारा रूपांतरित नाटक अनसुनी का मंचन भी इस कार्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा।

स्थानीय टाउन हाल में आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन करते हुए न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने भी समाज तथा देश के विकास में पुस्तकों की महता पर विस्तार से प्रकाश डाला। कार्यक्रम का आयोजन भीमराव अम्बेदकर विचार के तत्वावधान में किया गया। परिषद के अध्यक्ष अमित कुमार पासवान, मिथिलेश सिंह, वीरेन्द्र प्रसाद, सुनील प्रसाद आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मंच से घोषणा की गयी कि सरगणेश दत्त के गांव गोनावां-छतियाना में वहां के मुखिया के सहयोग से एक पुस्तकालय का निर्माण कराया जायेगा।

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