Move to Jagran APP

Lok Sabha Election : पांचवें चरण की 5 सीटों से अब तक कोई महिला नहीं पहुंच सकी संसद, सिर्फ एक बार मिला प्रत्याशी बनने का मौका

बिहार में 20 मई को अब पांचवें चरण का चुनाव है। पांचवें चरण की पांच सीटों से अब तक कोई भी महिला संसद नहीं पहुंच सकी है। एक बार राबड़ी देवी ने सारण से चुनाव जरूर लड़ा पर उन्हें जीत हासिल नहीं हुई।1957 से अगर हम सीतामढ़ी लोकसभा चुनाव को देखते हैं तो अब तक एक भी महिला यहां से भी सांसद नहीं हुई।

By BHUWANESHWAR VATSYAYAN Edited By: Mukul Kumar Published: Tue, 14 May 2024 08:58 AM (IST)Updated: Tue, 14 May 2024 08:58 AM (IST)
प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना।  पांचवें चरण के तहत बिहार के जिन पांच लोकसभा क्षेत्रों क्रमश: सीतामढ़ी, मधुबनी, सारण, हाजीपुर व मुजफ्फरपुर में मतदान होना है। वहां आधी आबादी को लेकर राजनीतिक दलों में किस तरह की गंभीरता है।

इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 1957 से अब तक इन क्षेत्रों से कोई महिला संसद में नहीं पहुंची। एक बार राबड़ी देवी ने सारण से चुनाव जरूर लड़ा, पर उन्हें जीत हासिल नहीं हुई।

मां जानकी से पहचान रखने वाले सीतामढ़ी में वोटरों के बीच नहीं रहीं महिला प्रत्याशी सी

तामढ़ी की पहचान मां जानकी की जन्मस्थली पुनौराधाम से है। पर 1957 से अगर हम यहां के लोकसभा चुनाव को देखते हैं तो अब तक एक भी महिला यहां से सांसद नहीं हुई। बिहार के बाहर से आकर जेबी कृपलानी ने वहां 1957 का लोकसभा चुनाव जीता।

बाद के चुनावों में कांग्रेस, जनता पार्टी, कांग्रेस (यू), जदयू, राजद व रालोसपा के प्रत्याशी को यहां से जीत मिली। इनमें किसी भी दल ने महिला को अपना प्रत्याशी नहीं बनाया।

सृजनशीलता के लिए चर्चित मधुबनी से अब तक किसी भी महिला को नहीं बनाया दलीय प्रत्याशी

मधुबनी का जिक्र जब भी होता है तो वहां की महिलाओं की सृजनशीलता की बात आगे आती है। अब तक वहां की आठ महिलाओं को मधुबनी पेंटिंग्स में उत्कृष्टता के लिए पद्म पुरस्कार मिल चुका है। दुनिया भर में अपनी इस सृजनशीलता के लिए मधुबनी की महिलाएं चर्चा में रही हैं।

वर्ष 1975 मे जगदंबा देवी को पहली बार मधुबनी पेंटिंग्स के लिए पद्मश्री मिला था। इसके बाद सीता देवी को 1981, गंगा देवी को 1984, महासुंदरी देवी को 2011, बौआ देवी को 2017, गोदावरी देवी को 2019, दुलारी देवी को 2021 तथा 2023 में पेपरमेशी कला के लिए सुभद्रा देवी को पद्म पुरस्कार मिला।

मधुबनी में 1957 से अब तक कांग्रेस, भाकपा, जनता पार्टी व भाजपा को जीत मिली है। पर इन दलों ने किसी भी महिला को अपना प्रत्याशी नहीं बनाया।

सारण से एक बार राबड़ी देवी को मौका जरूर मिला, पर वह जीत नहीं सकीं

सारण से 2014 में राबड़ी देवी राजद के टिकट पर उम्मीदवार बनीं, पर वह जीत नहीं पाईं। उन्हें 36.38 प्रतिशत वोट आए थे, पर भाजपा के राजीव प्रताप रूडी 41.12 प्रतिशत वोट हासिल कर चुनाव जीत गए थे। वैसे इस बार राबड़ी देवी की पुत्री रोहिणी आचार्य सारण से राजद की उम्मीदवार हैं।

मुजफ्फरपुर में बड़े दिग्गजों की मौजूदगी में महिला उम्मीदवार पर सोचा ही नहीं गया

मुजफ्फरपुर में भी 1957 से अब तक एक भी महिला को संसद में पहुंचने का मौका नहीं मिला। वहां इतने अधिक दिग्गज चुनाव में रहे कि किसी भी दल ने महिला प्रत्याशी के बारे में सोचा तक नहीं।

हाजीपुर की प्रवृत्ति भी मुजफ्फपुर की तरह

हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र की प्रवृत्ति भी मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र की रही। दिग्गजों की मौजूदगी में महिला प्रत्याशी हो, इसपर विमर्श ही नहीं हो पाया।

यह भी पढ़ें-

झारखंड में दूसरे चरण के इतने उम्‍मीदवारों पर दर्ज हैं आपराधिक मामले, कई पर गंभीर आरोप; सबसे धनवान ये उम्‍मीदवार

BJP के लिए सुशील मोदी कैसे साबित हुए 'तुरुप का इक्का'? दुबे-चौबे की लड़ाई में मार गए थे बाजी, ऐसे बने नीतीश के जोड़ीदार


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.