स्कूलों की टाइमिंग बदलने से शिक्षक ही नहीं अभिभावक भी परेशान, चिलचिलाती गर्मी में झुलसने को मजबूर हैं बच्चे
शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी स्कूलों की टाइमिंग में बड़ा बदलाव किया है। शिक्षा विभाग के इस नए आदेश न सिर्फ शिक्षक बल्कि छात्र और अभिभावक भी परेशान हैं। विभाग के नये आदेश के अनुसार अब बच्चों एवं शिक्षकों को सुबह छह बजे से पहले स्कूल आना होगा। इस आदेश को लेकर शिक्षकों के साथ अभिभावक भी नाराजगी बढ़ती जा रही।
नीरज कुमार, पटना। शिक्षा विभाग के नये आदेश ने शिक्षकों से लेकर बच्चों एवं अभिभावकों तक की नींद उठा दी है। विभाग के नये आदेश के अनुसार, अब बच्चों एवं शिक्षकों को सुबह छह बजे से पहले स्कूल आना होगा।
ऐसे में बच्चों एवं शिक्षकों को छह बजे स्कूल आने के लिए सुबह तीन से चार बजे जगना होगा, ताकि तैयार होकर प्रात: पांच बजे घर से निकल सकें। सुबह तीन से चार बजे प्रतिदिन जगना बच्चों एवं शिक्षकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
पहली बार इस तरह का आदेश शिक्षा विभाग की ओर से जारी किया गया, जिसको लेकर शिक्षकों का आक्रोश काफी बढ़ गया है। साथ ही अभिभावक भी इससे काफी नाराज हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ भी विभाग के नये आदेश को बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक बता रहे हैं।
अव्यवहारिक है शिक्षा विभाग का आदेश
राजधानी के शास्त्रीनगर बालक हाईस्कूल के पूर्व प्राचार्य श्रीकांत शर्मा का कहना है कि पिछले 40 वर्षों में शिक्षा विभाग का ऐसा कोई आदेश नहीं जारी किया गया, जिसमें सुबह छह बजे बच्चों एवं शिक्षकों को स्कूल आना हो। यह आदेश अव्यवहारिक है।
पूर्व के वर्षों में स्कूल सुबह 6.30 बजे शुरू होते थे और 11.30 बजे बंद हो जाते थे, ताकि धूप तेज होने से पहले बच्चे घर लौट जाएं।
आजकल सुबह आठ बजे ही वातावरण इतना गर्म हो जा रहा है कि घर से निकलने में लोगों को परेशानी हो रही है। ऐसे में 12 बजे स्कूलों की छुट्टी करने का कोई मतलब नहीं है। पहले बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
वहीं राजधानी के देवीपद चौधरी शहीद स्मारक मिलर हाईस्कूल के पूर्व प्राचार्य राजाराम का कहना है कि सुबह छह बजे आजतक कभी स्कूल शुरू नहीं हुआ है। पहले स्कूल साढ़े छह बजे शुरू होते हैं और आधा घंटा प्रार्थना और पीटी होती थी।
सात बजे से नियमित क्लास होते थे, जो 11.30 बजे तक चलते थे। दोपहर में तीखी धूप होने से पहले बच्चे घर पहुंच जाते थे। सामान्यत: बिहार के वातावरण में गर्मी के दिनों में दोपहर 12 बजे धूप काफी तीखी हो जाती है। ऐसे में मासूमों को बचाने के लिए 11.30 बजे छुट्टी का समय सही था।
बच्चों के स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं है आदेश
पीएमसीएच के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डा.राकेश कुमार शर्मा का कहना है कि हमारे वातावरण में प्रतिदिन सुबह तीन से चार बजे उठना बच्चों के स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं है।
शहर से लेकर गांव तक की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है। अब देर रात तक लोग सोते हैं। ऐसे में सुबह चार बजे जगना और तैयार होकर पांच बजे तक घर से निकल जाना अत्यंत कठिन है।
ऐसे में बच्चों की नींद ही पूरी नहीं हो पाएगी। जब बच्चों को नींद पूरी नहीं होगी, तो वे स्कूल में तनाव में रहेंगे और उनका स्वाभाव चिड़चिड़ा हो जाएगा।
इसके अलावा, हमारे वातावरण में सुबह पांच बजे बच्चे ठीक से भोजन भी नहीं कर पायेंगे। ऐसे में वे भूखे ही स्कूल जाएंगे। जब बच्चा भूखा स्कूल जाएगा तो उसका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होगा। लंबे समय तक इस तरह की जीवन शैली बच्चे को बीमार बना सकती है।
यह भी पढ़ें: KVS Admission: केंद्रीय विद्यालय ने कक्षा 11वीं में नामांकन के लिए बदला नियम, एक सेक्शन में रहेंगे सिर्फ इतने बच्चे