Bihar Special Status: क्या बिहार को मिलेगा विशेष राज्य का दर्जा? निर्मला सीतारमण ने दे दिया फाइनल जवाब
मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने पर अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा कि बिहार को मोदी सरकार से मिलने वाली विशेष आर्थिक सहायता की बड़ी भूमिका है और साल 2015 में केंद्र सरकार ने बिहार को 1.25 लाख करोड़ का विशेष पैकेज दिया था। इसके अलावा उन्होंने बिहार की आर्थिक स्थिती पर भी कई बाते कहीं।
राज्य ब्यूरो, पटना। Nirmala Sitharaman On Bihar Special Status बिहार की बर्बादी के लिए लालू-राबड़ी के साथ कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दावा कि मोदी सरकार में 2047 के विकास भारत के लिए पूर्वी राज्य इंजन की भूमिका में होंगे।
इन राज्यों में बिहार भी है, जो जंगल-राज के कारण आर्थिक पिछड़ेपन के लिए अभिशप्त हुआ। हालांकि, अब डबल इंजन की सरकार में वह आगे बढ़ने लगा है और इसमें मोदी सरकार से मिलने वाली विशेष आर्थिक सहायता की बड़ी भूमिका है।
2015 में बिहार को 1.25 लाख करोड़ का विशेष पैकेज दिया गया था। इसके अलावा भी आर्थिक सहायता दी जा रही है, लेकिन विशेष राज्य के दर्जा के लिए केंद्रीय वित्त आयोग की अनुशंसा आवश्यक है। उसके बाद ही इस बारे में आगे विचार-विमर्श संभव है।
उद्यमियों और बुद्धिजीवियों के साथ की बैठकें
चुनावी यात्रा पर पटना पहुंची निर्मला ने उद्यमियों और बुद्धिजीवियों के साथ दो बैठकें भी कीं। उससे पहले भाजपा मीडिया सेंटर में प्रेस-वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि जंगल-राज का प्रभाव आम आदमी के जीवन पर भी पड़ता है। इसके लिए उन्होंने प्रति व्यक्ति आय के आंकड़े गिनाए।
प्रति व्यक्ति आय की तुलनी की
उन्होंने तुलना करते हुए कहा कि 1991 में बिहार की प्रति व्यक्ति आय (21,282 रुपये) ओडिशा (20,591 रुपये) से अधिक थी। अगले दशक के दौरान ओडिशा की प्रति व्यक्ति आय 31 प्रतिशत बढ़ गई, लेकिन 2002 तक बिहार की प्रति व्यक्ति आय 32-33 प्रतिशत गिरकर 14,209 रुपये हो गई। 2019 तक यह जाकर 37,000 रुपये हुई।
लालू-राबड़ी का जंगल-राज नहीं होता सामान्य विकास दर (5.5 प्रतिशत वार्षिक) से भी बिहार की प्रति व्यक्ति आय 2019 तक बढ़कर 95,330 रुपये हो गई होती। जब आप विकास नहीं चाहते थे, तो आपकी प्रति व्यक्ति आय एक दशक तक स्थिर रही। दरअसल, जंगल-राज वाले कहा करते थे कि सम्मान चाहिए, विकास नहीं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सम्मान के साथ विकास में भी विश्वास रखती है।
कांग्रेस ने किया पीछे
कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति के तहत बिहार को पिछड़ा रखा गया। यहां उद्योग नहीं आने का सबसे बड़ा कारण फ्रेट इक्वलाइजेशन पॉलिसी रही। 1952 से यहां के खनिज बाहर भेज दिए जाते रहे, लेकिन कारखाने नहीं लगे। लोगों को पलायन करना पड़ा। मोदी सरकार बिहार के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। 9500 करोड़ रुपये का निवेश कर बरौनी उर्वरक कारखाने को पुनर्जीवित किया गया।
वित्त आयोग की अनुशंसा पर बिहार को वर्ष 2004 से 2014 के बीच 2.04 लाख करोड़ रुपये मिले, जबकि 2014 से 2024 के बीच यह राशि बढ़कर 7.04 लाख करोड़ हो गई है। बिहार में 1.16 लाख स्ट्रीट वेंडरों को स्वनिधि योजना के तहत ऋण दिया गया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रहे उपस्थित
प्रेस वार्ता में असम के सांसद दिलीप सैख्या, राष्ट्रीय महामंत्री ऋतुराज सिन्हा, महामंत्री जगन्नाथ ठाकुर, मीडिया संयोजक दानिश इकबाल, प्रवक्ता सुरेश रूंगटा आदि उपस्थित रहे।
कांग्रेस पर किया कटाक्ष
प्रतिवाद करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ऐसी बातें बंद कर देनी चाहिए कि राजग संविधान को बदलने का इरादा रखता है, क्योंकि कांग्रेस-जन अपनी ही पार्टी के संविधान को नहीं मानते। कांग्रेस एक परिवार को बढ़ावा देने वाली पार्टी है।
उसे याद रखना चाहिए कि तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केसरी को किस तरह बाथरूम में बंधक बनाकर सोनिया गांधी को अध्यक्ष बना दिया गया था। इसी के साथ उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और राजद वंचित व पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी मारकर मुसलमानों को धर्म के आधार पर आरक्षण देने की मंशा रखते हैं।
जो संविधान के विरुद्ध है। कर्नाटक में कांग्रेस ऐसा कर चुकी है। भीमराव आंबेडकर को भारत रत्न राजग सरकार ने दिया। उनके जीवन से जुड़े पांच स्थानों पर पंचतीर्थ की परिकल्पना मोदी सरकार ने की।
ये भी पढे़ं-