MBBS सप्लीमेंट्री परीक्षा पर उठे सवाल, निजी कॉलेज वाले पास तो सरकारी वाले फेल
विद्यार्थियों ने बताया कि कई को पांच किसी को 10 तो किसी को 20 अंक दिए गए हैं। परीक्षा 100 अंकों की थी। विद्यार्थियों ने बताया कि फर्स्ट ईयर की परीक्षा में 400 से अधिक विद्यार्थी को सप्लीमेंट्री लगा था। इसमें से 129 के करीब निजी कालेज के विद्यार्थी थे वे लगभग सभी पास हो गए जबकि सरकारी कालेजों के विद्यार्थी फेल हो गए।
जागरण संवाददाता, पटना। आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय (एकेयू) की मूल्यांकन व्यवस्था पर एमबीबीएस विद्यार्थियों ने सवाल खड़ा किए हैं। 2022 बैच के विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि सप्लीमेंट्री परीक्षा में लगभग निजी मेडिकल कॉलेजों के विद्यार्थी सफल घोषित किए गए हैं, जबकि सरकारी के विद्यार्थी को फेल कर दिए गए।
इस तरह की दोहरी नीति विश्वविद्यालय प्रशासन अपना रहा है, जो बिल्कुल गलत है। उनका कहना था कि सभी विद्यार्थियों को समान नजर से देखने की जरूरत है। मामले में विश्वविद्यालय प्रशासन से बात करने की कोशिश की जाती है तो विद्यार्थियों को भगा दिया जाता है।
बुधवार को हुआ था प्रदर्शन
मामले में बुधवार को काफी संख्या में विद्यार्थी एकेयू पहुंच गए और दोबारा परीक्षा आयोजित करने की मांग करने को लेकर प्रदर्शन करने लगे। मामले में एक दर्जन से अधिक विद्यार्थियों पर सरकारी संपत्ति के नुकसान पहुंचाने की एफआइआर की गई है।
विद्यार्थियों ने बताया कि कई को पांच, किसी को 10 तो किसी को 20 अंक दिए गए हैं। परीक्षा 100 अंकों की थी। विद्यार्थियों ने बताया कि फर्स्ट ईयर की परीक्षा में 400 से अधिक विद्यार्थी को सप्लीमेंट्री लगा था। इसमें से 129 के करीब निजी कालेज के विद्यार्थी थे, वे लगभग सभी पास हो गए, जबकि सरकारी कालेजों के विद्यार्थी फेल हो गए।
विद्यार्थियों की सुनने वाला कोई नहीं
विद्यार्थियों ने कहा कि सत्र 2021 बैच का भविष्य से भी एकेयू प्रशासन खिलवाड़ कर रहा है। मामले को लेकर परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजीव रंजन से बातचीत करने की कोशिश की गई तो मोबाइल स्विच ऑफ मिला। कुलपति प्रो. शरद कुमार यादव ने फोन नहीं उठाया। मैसेज करने पर रिप्लाइ भी नहीं मिला। कुलसचिव डा. शंकर कुमार ने बताया कि मामला पूरी तरह परीक्षा विभाग के अधीन है। ऐसे में वह कुछ नहीं बता सकते।
प्रश्नपत्र लीक पर अब तक एफआइआर नहीं
एकेयू के एमबीबीएस की बीते पांच मई की परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक हुए थे। जांच में यह बात सामने आई। इसके बाद छात्रों की दूसरी बार परीक्षा ली गई। परीक्षा बोर्ड ने निर्णय लिया था कि इस मामले में एफआइआर कराई जाए, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब तक कोई कदम नहीं उठाया है। इससे पूरी व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।
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