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Bihar Politics: सहनी-कुशवाहा के साथ तो 'खेला' हो गया! लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार; अब क्या होगा?

लोकसभा चुनाव (Bihar Lok Sabha Election Result 2024) में बिहार के मतदाताओं ने एक बार फिर के छोटे दलों पर भरोसा नहीं जताया। पुराने नतीजों की तरह इस बार भी छोटे दलों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। अलबत्ता पप्पू यादव जैसे निर्दलीय और वीआईपी उम्मीदवार जीतनराम मांझी ने बड़े-बड़े धुरंधरों के बीच चुनावी नतीजों में बड़ी लकीर खींचकर अपने आप को लंबे समय के लिए राजनीति में स्थापित जरूर कर लिया।

By Sunil Raj Edited By: Mohit Tripathi Published: Tue, 04 Jun 2024 07:54 PM (IST)Updated: Tue, 04 Jun 2024 07:54 PM (IST)
मुकेश सहनी और उपेंद्र कुशवाहा को मिली करारी हार।

सुनील राज, पटना। लोकसभा चुनाव में बिहार की जनता ने एक बार फिर के छोटे दलों पर भरोसा नहीं दिखाया। महागठबंधन की सहयोगी रही मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी, और भाजपा की सहयोगी रही उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा अपनी पार्टी की साख तक नहीं बचा पाए।

उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा इस बार चुनाव में भाजपा के साथ मिलकर मैदान में उतरी थी। सीट बंटवारे में हालांकि कुशवाहा की पार्टी को मात्र एक सीट काराकाट ही हासिल हुई।

इस सीट से उपेंद्र कुशवाहा स्वयं चुनाव मैदान में उतरे। लेकिन काराकाट की इस सीट पर भाकपा माले उम्मीदवार राजा राम सिंह और भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार के मुकाबले मतदाताओं ने कुशवाहा को तीसरे पायदान पर खड़ा कर दिया। पवन सिंह की किस्मत भी अच्छी नहीं रही।

भाजपा से चुनाव लड़ने का ऑफर ठुकराकर इस सुपर स्टार ने काराकट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। खेसारी यादव जैसे सुपर स्टार उनके लिए प्रचार को पहुंच बावजूद पवन सिंह को पराजित होने से नहीं बचा सके।

मुकेश सहनी की पार्टी को अंतिम समय में राजद ने अपने कोटे की तीन सीटें सौंपी थी। पूर्वी चंपारण, गोपालगंज और झंझारपुर। पार्टी ने गोपालगंज से प्रेमनाथ चंचल उर्फ चंचल पासवान, झंझारपुर से सुमन कुमार महासेठ और पूर्वी चंपारण से डॉ. राजेश कुमार को मैदान में उतारा।

खुद तेजस्वी और मुकेश सहनी इन उम्मीदवारों के प्रचार के लिए पहुंचे। बावजूद तीनों ही उम्मीदवार पार्टी के लिए एक जीत नहीं ला सके। 2019 के चुनाव में भी वीआइपी तीन सीटों पर चुनाव मैदान में उतरी थी लेकिन उस दौरान भी पार्टी खाता नहीं खोल पाई थी।

सिवान में बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन की पत्नी हेना शहाब की किस्मत का सितारा एक बार फिर नहीं चमका। हेना शहाब राजद के टिकट को ठुकरा कर निर्दलीय चौथी बार किस्मत आजमाने उतरी थी। लेकिन 2009, 2014 और 2019 की तरह 2024 के लोकसभा में भी मतदाताओं ने हेना शहाब पर विश्वास नहीं दिखाया। जदयू उम्मीदवार विजयलक्ष्मी देवी के हाथों हेना को फिर पराजय मिली।

जहानाबाद के सांसद रहे अरुण सिंह एक फिर यहां से अपनी किस्मत आजमा कर संसद तक पहुंचना चाहते थे। वे बपसा के टिकट पर जहानाबाद से उम्मीदवार थे। लेकिन यहां चुनाव का ट्रेंड ऐसा चला कि जदयू उम्मीदवार चंद्रेश्वर प्रसाद की तरह अरुण कुमार को भी राजद के कद्दावर उम्मीदवार सुरेंद्र यादव के हाथों बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा।

अलबत्ता इन उम्मीदवारों की रेस में पप्पू यादव और जीतन राम मांझी ने बड़ी लकीर जरूर खींच दी। पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जन अधिकार का विलय कांग्रेस में इस उम्मीद पर किया था कि उन्हें पूर्णिया से कांग्रेस का टिकट मिलेगा। लेकिन राजद की जिद के बाद पप्पू यादव पूर्णिया सीट पर निर्दलीय उतरे और उन्होंने राजद उम्मीदवार बीमा भारती और जदयू उम्मीदवार संतोष कुमार को पराजित कर यह सीट अपने नाम कर ली।

पप्पू की तरह जीतन राम मांझी ने भी संसद तक पहुंच बड़ा मैदान मारा है। अपनी पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के वे एक मात्र उम्मीदवार थे। जिनका मुकाबला गया में राजद उम्मीदवार कुमार सर्वजीत से था। लेकिन, एक लाख से अधिक वोट से पराजित कर गया संसदीय सीट अपने नाम कर ली।

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