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Bihar Politics: लोकसभा चुनाव खत्म, अब होगी I.N.D.I.A की 'अग्निपरीक्षा'; 10 जुलाई को हो जाएगा फैसला

पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक रूपौली भी है जहां महागठबंधन में पिछली बार भाकपा का प्रत्याशी था। इस बार उप चुनाव में वहां पप्पू से अड़ंगे की आशंका है। वैसी स्थिति में महागठबंधन के नेतृत्वकर्ता राजद को कांग्रेस से हस्तक्षेप की अपेक्षा होगी। कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व के लिए पप्पू को मनाना सहज भी नहीं होगा। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व का ही आसरा होगा।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Rajat Mourya Published: Tue, 11 Jun 2024 09:05 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jun 2024 09:05 PM (IST)
लोकसभा चुनाव खत्म, अब होगी I.N.D.I.A की 'अग्निपरीक्षा'; 10 जुलाई को हो जाएगा फैसला

विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। पिछली बार की तुलना में इस बार लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाले महागठबंधन (I.N.D.I.A Bloc) की असली परीक्षा रूपौली में होगी। वहां की जदयू विधायक बीमा भारती राजद के टिकट पर पूर्णिया में मात खा चुकी हैं। रूपौली में भी उन्हें अपेक्षित वोट नहीं मिले।

बीमा को पराजित करने वाले राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव अभी नियमत: कांग्रेस के हुए नहीं हैं, लेकिन राजद के सर्वेसर्वा (लालू और तेजस्वी) से मिले अपमान और अवरोध के दंश से वे तिलमिलाए हुए हैं। पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक रूपौली भी है, जहां महागठबंधन में पिछली बार भाकपा का प्रत्याशी था।

इस बार उप चुनाव में वहां पप्पू से अड़ंगे की आशंका है। वैसी स्थिति में महागठबंधन के नेतृत्वकर्ता राजद को कांग्रेस से हस्तक्षेप की अपेक्षा होगी। कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व के लिए पप्पू को मनाना सहज भी नहीं होगा। ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व का ही आसरा होगा।

पांच बार विधायक रही हैं बीमा भारती

विधानसभा का पहला चुनाव निर्दलीय जीतने वाली बीमा पांच बार विधायक रही हैं। एक बार राजद से और पिछली तीन पारी जदयू से। एक समय वे नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल की सदस्य भी रहीं। पिछले वर्ष प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के दौरान उनका मन विचलित हुआ। संसद पहुंचने की महत्वाकांक्षा में वे जदयू छोड़ राजद के पाले में चली गईं।

पूर्णिया में हुई दुर्गति के बाद विरोधी उनके राजनीतिक अवसान का ताना-बाना बुनने लगे हैं, जबकि बीमा रूपौली से उप चुनाव लड़कर अपना अस्तित्व सिद्ध करने की उधेड़बुन में हैं। बाहुबली पति अवधेश मंडल के कारण राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखने की उनकी विवशता है।

गंगोता समाज के वोटर निर्णायक

रूपौली में गंगोता समाज के मत निर्णायक हैं, जिसके बूते बीमा अब तक राजनीति करती रही हैं। इस बार उप चुनाव में उस समाज की प्रतिबद्धता भी कसौटी पर होगी कि वह व्यक्ति प्रभावित है या दल-गठबंधन से। हालांकि, लोकसभा चुनाव में उसका रुझान मिल गया है। रूपौली में 10 जुलाई को मतदान होना है।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में रूपौली पर जदयू की दावेदारी स्वाभाविक है, लेकिन महागठबंधन के भीतर समन्वय में अड़चन आएगी। पिछले कई चुनावों में वहां सम्मानजनक वोट पाने वाली भाकपा ने अभी दावेदारी छोड़ी नहीं है। बुधवार को बैठक कर वह अपना रुख तय करेगी।

पप्पू का किससे है पंगा?

दूसरी तरफ राजद में बीमा के नाम पर सहमति सहज नहीं। बदली परिस्थितियों में दूसरा कोई दल उनके साथ शायद ही खड़ा हो, जबकि पप्पू का पंगा बीमा से ज्यादा राजद से है। ऐसे में राजद को पप्पू से सहायता की अपेक्षा फलीभूत होगी या नहीं, यह कहना कठिन है। हालांकि, भविष्य की राजनीति के दृष्टिगत कांग्रेस आलाकमान के निर्देश की अवहेलना वे शायद ही करें। इस निर्देश के लिए कांग्रेस से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद आग्रह कर सकते हैं। राजद के अंदरखाने ऐसी चर्चा है।

सांसद चुने जाने के बाद प्रियंका गांधी से भेंट कर पप्पू ने कांग्रेस के प्रति अपने झुकाव का एक और संदेश दिया है। पूर्णिया से टिकट की अपेक्षा में अपनी जन अधिकार पार्टी का विलय करते हुए वे दिल्ली में कांग्रेस का हाथ थामे थे। पटना में प्रदेश नेतृत्व ने उन्हें अपनाने से इनकार कर दिया, जबकि लालू ने एकतरफा निर्णय लेते हुए पूर्णिया में राजद का सिंबल बीमा को थमा दिया।

पप्पू के लिए मन मसोस कर निर्दलीय मैदान में उतरने के अलावा दूसरा उपाय नहीं था। राजद नेतृत्व ने उसके बाद भी उनका पीछा नहीं छोड़ा। पूर्णिया की जनसभा में पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जन-समूह से सार्वजनिक आग्रह किया कि अगर बीमा की जीत संदिग्ध लगे तो अपना वोट राजग को दे दें। उनका स्पष्ट संकेत पप्पू को परास्त करने का था, जबकि अपनी जीत दर्ज कराते हुए पप्पू रूपौली में भी बीमा से 61827 वोट अधिक पाने में सफल रहे।

विधानसभा के पिछले चुनाव में बीमा को वहां 64324 मत मिले थे। इस बार उन्हें 10968 वोट मिले हैं। प्रत्याशियों में जदयू के संतोष कुशवाहा को सर्वाधिक 97469 मत मिले हैं। इस संख्या के आगे पप्पू बौने हो जाते हैं। यह आंकड़ा ही महागठबंधन को एकजुटता के लिए प्रेरित करेगा।

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