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जूते-चप्पल खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान, दुकानदार भी रहें अलर्ट; वरना होगी 1 साल की जेल

लेदर और स्पोर्ट्स जूता रबर चप्पल सैंडल कैनवास जूता लेदर सेफ्टी बूट्स और एंटी रायट शूज आदि पर आइएसआइ चिह्न होना चाहिए। आइएसआइ मार्क नहीं होने पर सामग्री की गुणवत्ता निम्न मानी जाएगी। नियम उल्लंघन पर दो लाख रुपये जुर्माना या एक साल की सजा का प्रविधान है। जूता चप्पल और सैंडल खरीदते समय इनकी गुणवत्ता परखने के लिए आइएसआइ चिह्न जरूर देंखे।

By Akshay Pandey Edited By: Rajat Mourya Published: Thu, 13 Jun 2024 03:54 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jun 2024 03:54 PM (IST)
जूते-चप्पल खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

जागरण संवाददाता, पटना। जूता, चप्पल और सैंडल खरीदते समय इनकी गुणवत्ता परखने के लिए आइएसआइ चिह्न जरूर देंखे। केंद्र सरकार के नियम के मुताबिक, इन उद्योगों से जुड़ी कंपनियों को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआइएस) के मानकों को पूरा करना होगा।

व्यापारियों को कई बार राहत देने के बाद एक अगस्त 2024 से नया आदेश लागू होगा। बिहार में पटना सिटी की मात्र एक निर्माण एजेंसी (बाटा) ने लाइसेंस प्राप्त किया है। लेदर और स्पोर्ट्स जूता, रबर चप्पल, सैंडल, कैनवास जूता, लेदर सेफ्टी बूट्स और एंटी रायट शूज आदि पर आइएसआइ चिह्न होना चाहिए।

आइएसआइ मार्क नहीं होने पर सामग्री की गुणवत्ता निम्न मानी जाएगी। नियम उल्लंघन पर दो लाख रुपये जुर्माना या एक साल की सजा का प्रविधान है।

जागरूकता कार्यक्रम चला किया सचेत

पटना बीआइएस के निदेशक व प्रमुख एसके गुप्ता ने बताया कि 15 मार्च 2024 को जारी फुटवियर गुणवत्ता नियंत्रण आदेश में एक अगस्त से आइएसआइ चिह्न वाले जूते-चप्पल की बिक्री का आदेश है।

ग्राहकों और व्यापारियों को जागरूक करने के लिए राज्य के कई जिलों में विभाग द्वारा कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। अपील की गई कि बिना आइएसआइ चिह्न देखे जूता-चप्पल न खरीदें।

सूक्ष्म या लघु उद्योगों को अभी राहत

भारत से निर्यात होने वाली सामग्री पर यह नियम लागू नहीं होगा। सूक्ष्म उद्योग या छोटे पैमाने पर सामग्री बना रहे व्यापारियों को राहत दी गई है, मगर मध्यम और बड़े स्तर पर निर्माण करने वाली कंपनियों को लाइसेंस लेना होगा।

एसके गुप्ता ने बताया कि आवेदन देने के बाद लाइसेंस प्राप्त करने में करीब एक महीने का समय लग जाता है।

इधर, राजधानी की दुकानों पर आदेश पूरी तरह से लागू तो नहीं है, पर पहले की अपेक्षा अब आइएसआइ चिह्न वाले जूते और चप्पल की बिक्री हो रही है। हालांकि, कुछ व्यापारी नियम से अनभिज्ञता भी जता रहे हैं।

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