Vaccinations : कागजों पर 100 प्रतिशत टीकाकरण, जांच के बाद खुल गई सारी पोल; चौंका देगी ये रिपोर्ट
टीकाकरण को लेकर सरकार और अधिकारियों की तरफ से कई दावे किए जाते हैं। कागजों में सौ प्रतिशत टीकाकरण की बात बताई जाती है लेकिन अब जो रिपोर्ट सामने आई है उसे देखकर सभी लोग चौंक जाएंगे। दरअसल पीएमसीएच में भर्ती हुई साढ़े तीन साल की बच्ची की जब जांच हुई तो पता चला कि उसे 24 घंटे के अंदर दिया जाने वाला बीसीजी का टीका भी नहीं पड़ा था।
पवन कुमार मिश्र, पटना। कोरोना काल के बाद से कागजों में सौ प्रतिशत व कई बार उससे भी अधिक टीकाकरण दर्शाया जाता है। वहीं 10 जून को गंभीर अवस्था में पीएमसीएच के शिशु रोग भर्ती कराई गई साढ़े तीन वर्षीय लक्ष्मी की मेडिकल हिस्ट्री इसके विपरीत है।
उसे जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) तो दूर जन्म के 24 घंटे के अंदर दिया जाने वाला बीसीजी का टीका भी उसे नहीं दिया गया था। हैरत की बात यह कि इस बच्ची का जन्म 14 नवंबर 2020 को पीएमसीएच में ही हुआ था।
यही नहीं, इस बच्ची को सिर्फ पेंटावैलेंट वैक्सीन की तीन डोज दी गई हैं, इसके अलावा अबतक कोई टीकाकरण नहीं किया गया।
सिविल सर्जन डॉ. मिथिलेश्वर कुमार ने कहा कि इस मामले की जांच वेक्टर बोर्न नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुभाष चंद्र प्रसाद को इसकी जांच सौंपी गई है और रिपोर्ट आने के बाद ही किस स्तर पर किससे लापरवाही हुई की जानकारी होगी। बताते चलें कि जिले में अप्रैल से अबतक तीन बच्चों को जेई हो चुका है, हालांकि, दो का टीकाकरण हुआ था।
आइसीयू में बेड नहीं था तो गरीब पिता ने सामान्य वार्ड में कराया भर्ती
फुलवारीशरीफ के सिपारा निवासी अनुज कुमार ने बताया कि बच्चे को आठ जून से पतले दस्त व उल्टी हो रही थी। 10 जून को अचानक तेज बुखार के साथ बदन अकड़ गया। जब वे पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग पहुंचे तो वहां कोई आइसीयू खाली नहीं था।
उसने आगे बताया कि बहुत आग्रह करने पर डॉक्टर ने आइसीयू में बेड खाली नहीं है और मैं अपनी मर्जी से बच्ची को सामान्य वार्ड में भर्ती कर उपचार करा रहा हूं लिखवाने के बाद उसका इलाज शुरू हुआ। जब टीकाकरण नहीं कराने का कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि कोरोना काल में नालंदा चले गए थे।
वहां स्वास्थ्य सुविधाएं ऐसी नहीं थी उस पर बच्ची को सर्दी-खांसी व बुखार बना रहता था। पटना लौटने पर भी न तो हम अस्पताल गए और न ही कोई स्वास्थ्यकर्मी हमारे पास आया।
टीकाकरण नहीं कराने का ठीकरा स्वजन पर
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. एसपी विनायक ने बताया कि बच्चे को पेंटावैलेंट की तीन डोज पटना में दी गई थीं। उसके बाद परिवार नालंदा चला गया था, वहां टीकाकरण कराना चाहिए था, लेकिन स्वजन ने नहीं कराया।
वहीं, फुलवारीशरीफ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी के निर्देश पर मामले का भौतिक सत्यापन करने वाली एएनएम मंजू कुमारी ने रिपोर्ट में कहा कि 19 जून को पीएमसीएच से डिस्चार्ज होकर बच्चा घर आ गया है और स्वस्थ है।
टीकाकरण केंद्र सिपारा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आता है। नौ से 18 माह के बीच कोई टीकाकरण नहीं हुआ है।
कमजोर बच्चों में नहीं विकसित होती पूरी प्रतिरोधक क्षमता
मामले की जांच कर रहे जिला वेक्टर बोर्न नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुभाष चंद्र प्रसाद ने कहा कि बच्चे का टीकाकरण क्यों नहीं हुआ इसकी जांच की जा रही है।
वहीं जो दो अन्य बच्चों को टीकाकरण के बावजूद जापानी इंसेफेलाइटिस हो गया तो उसका कारण कुपोषण हो सकता है। कमजोर होने पर वैक्सीन से पूरी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो पाती है। वैसे वैक्सीन के बाद भी जेई हो सकता है, लेकिन उसके गंभीर दुष्परिणाम नहीं उभरते हैं।
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