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Provident Fund को लेकर नीतीश सरकार का बड़ा फैसला, अब नहीं कर पाएंगे 5 लाख रुपये से अधिक अंशदान

नीतीश सरकार ने भविष्य निधि को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब सरकार भविष्य निधि में अधिक अंशदान करने वालों का धन लौटाएगी। सरकारी कर्मचारी एक वर्ष में अधिकतम पांच लाख रुपये तक ही अंशदान कर सकते हैं। 2023-24 में इस अधिसीमा से अधिक अंशदान वाली राशि बिना ब्याज के ही वापस की जाएगी। वित्त विभाग के सचिव (व्यय) दीपक आनंद ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Rajat Mourya Published: Thu, 27 Jun 2024 08:11 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2024 08:11 PM (IST)
भविष्य निधि को लेकर नीतीश सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। (फोटो- जागरण)

राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Government Provident Fund सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि सामान्य भविष्य निधि में अधिकतम सीमा से अधिक का अंशदान स्वीकार्य नहीं होगा। वित्तीय वर्ष 2023-24 में पांच लाख रुपये से अधिक का अंशदान करने वाले सरकारी सेवकों को अधिशेष राशि वापस कर दी जाएगी। उस पर उन्हें कोई ब्याज नहीं मिलेगा।

उससे पहले यानी वित्तीय वर्ष 2022-23 तक जिन सरकारी सेवकों ने पांच लाख से अधिक का अंशदान किया है, वे भविष्य निधि पर देय ब्याज के हकदार होंगे।

1 साल में 5 लाख रुपये तक ही अंशदान

उल्लेखनीय है कि सामान्य भविष्य निधि में एक वर्ष के दौरान अधिकतम पांच लाख रुपये तक ही अंशदान किया जा सकता है। यह अधिसीमा 2023-24 के प्रभाव से निर्धारित कर दी गई है। इसके लिए बिहार सामान्य भविष्य निधि नियमावली-1948 में संशोधन किया गया है।

वित्त विभाग के सचिव (व्यय) दीपक आनंद ने इससे संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है। संशोधन के अनुसार अगर कोई अंशदाता भविष्य निधि अंशदान के लिए निर्धारित अधिकतम सीमा को प्राप्त कर लेता है तो इस निधि में मूल वेतन से छह प्रतिशत मासिक की कटौती वाला प्रविधान शिथिल माना जाएगा। यह प्रविधान केवल उन्हीं मामलों में शिथिल होगा, जहां अंशदान अधिसीमा तक पहुंच रहा हो।

सरकार के सामने आए थे ऐसे कई मामले

भविष्य निधि में अधिसीमा से अधिक के अंशदान के कई मामले सरकार के संज्ञान में आए थे। भविष्य निधि पर मिलने वाली उच्च ब्याज दर और चक्रवृद्धि आधार पर उसकी गणना होने के कारण सरकारी सेवक ऐसा प्राय: अधिसीमा से अधिक का अंशदान कर देते हैं।

सरकारी खजाने के लिए वह अंशदान इसलिए लाभप्रद नहीं, क्योंकि जिन बॉन्ड आदि में सरकार निवेश करती है, उनसे प्राप्ति भविष्य निधि पर देयता के समतुल्य नहीं होती।

ऐसे में केंद्र सरकार से विचार-विमर्श कर बिहार सरकार ने निर्णय लिया है कि भविष्य निधि में पांच लाख से अधिक का अंशदान स्वीकार्य नहीं होगा।

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