Bihar: शिक्षा विभाग चार बार केंद्र सरकार से लगा चुका गुहार, फिर भी नहीं मिली राशि; धीमी पड़ी शैक्षणिक योजनाओं की रफ्तार
Bihar News बिहार शिक्षा विभाग को चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में केंद्र से 4991.23 करोड़ नहीं मिले हैं। इसे लेकर विभाग केंद्र सरकार को चार बार लेटर भेज चुका है लेकिन अबतक बात नहीं बनी है। केंद्रांश की राशि नहीं मिलने का सीधा असर शैक्षणिक योजनाओं के कार्यान्वयन पर पड़ रहा है। शिक्षा विभाग केंद्र से एक बार फिर अपना हिस्सा मांगने की तैयारी में है।
दीनानाथ साहनी, पटना। केंद्र प्रायोजित बिहार में समग्र शिक्षा और उच्च शिक्षा से जुड़ी योजनाओं की रफ्तार बेहद धीमी है। चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में केंद्र से 4991.23 करोड़ नहीं मिले हैं। इस राशि को लेकर शिक्षा विभाग पत्राचार के जरिये केंद्र सरकार से चार बार गुहार लगा चुका है।
विभाग के एक बजट अधिकारी ने बताया कि बिहार को समग्र शिक्षा के तहत शैक्षणिक योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए केंद्र से उसके हिस्से की किसी प्रकार की राशि अब तक नहीं मिली है।
केंद्रांश की राशि नहीं मिलने का सीधा असर शैक्षणिक योजनाओं के कार्यान्वयन पर पड़ रहा है। इसमें शिक्षकों को प्रशिक्षण कार्यक्रम, विद्यालयों के कंप्यूटराइजेशन, कक्षाओं के निर्माण और साक्षरता आदि सम्मिलित हैं। इसके दृष्टिगत केंद्र से एक बार फिर अपना हिस्सा मांगने की तैयारी में शिक्षा विभाग है।
इस साल केंद्र से मिलेंगे 16 हजार 978 करोड़
चालू वित्तीय वर्ष में शिक्षा विभाग का बजट 52 हजार करोड़ रुपये है। इसमें योजना मद में 22 हजार करोड़ है। गैरयोजना मद के तहत 30 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। केंद्र से विभिन्न स्कीमों के तहत 16 हजार 978 करोड़ की राशि मिलने की उम्मीद है। इसमें बीते वित्तीय वर्ष 2023-24 का बकाया राशि 2185 करोड़ 74 लाख रुपये शामिल है।
प्रारंभिक शिक्षा के लिए 680 करोड़, माध्यमिक शिक्षा के लिए 388 करोड़ 58 लाख रुपये एवं शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए 66 करोड़ 9 लाख 85 हजार रुपये है। समग्र शिक्षा की योजनाओं के कार्यान्वयन पर सर्वाधिक असर देखते हुए शिक्षा विभाग द्वारा केंद्र को रिमाइंडर देने की तैयारी की जा रही है।
चालू वित्तीय वर्ष का तिमाही बीत चुका है, लेकिन केंद्र द्वारा केंद्रांश के रूप में किसी प्रकार की राशि उपलब्ध नहीं करायी गयी है। इसका असर राज्य के विद्यालयों में आधारभूत संरचना के विस्तार एवं शिक्षक प्रशिक्षण पर पड़ रहा है। हालांकि, जहां जरूरी है, वहां खर्च के लिए राज्य सरकार आकस्मिक निधि से राशि उपलब्ध करा रही है।
साढ़े पांच लाख शिक्षकों के लिए आकस्मिक निधि का सहारा
राज्य के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत 5 लाख 54 हजार शिक्षकों को वेतन भुगतान के लिए राज्य सरकार ने आकस्मिक निधि का सहारा लेना पड़ रहा है। बीते वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने माध्यमिक शिक्षा में 664.42 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी थी, लेकिन महज 87.31 करोड़ रुपये ही उपलब्ध कराया।
पिछले साल केंद्र सरकार से मध्यामिक शिक्षा में स्वीकृत राशि 1105 करोड़ रुपये में 35 प्रतिशत राशि की कटौती कर दी गई थी। इसका असर माध्यमिक विद्यालयों के भवनों के निर्माण एवं मरम्मत पर पड़ा है। जाहिर, शिक्षकों को वेतन भुगतान से लेकर सिविल वर्क तक वित्तीय संकट गहराने की संभावना है।
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