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Bihar News: पुल गिरने के मामले में नीतीश सरकार का बड़ा एक्शन, इन लोगों से वसूली जाएगी नए निर्माण की लागत

Bihar News बिहार में पुल गिरने के मामले में अब नीतीश सरकार ने शिकंजा कसने की तैयारी तेज कर दी है। जहां-जहां पुल गिरे हैं वहां-वहां के ठेकेदारों से वसूली की जाएगी। जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने बताया कि ठेकेदारों ने गाद की उड़ाही में पुलों के पाए और बुनियादी संरचना का ध्यान नहीं रखा। अब ठेकेदारों को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

By Vikash Chandra Pandey Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Thu, 04 Jul 2024 10:29 PM (IST)
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बिहार में पुल गिरने पर एक्शन मोड में नीतीश सरकार (जागरण)

 राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar News: सरकार भी मान रही कि छाड़ी नदी पर बनाए गए छह पुलों के ध्वस्त होने का कारण इंजीनियरों की लापरवाही और ठेकेदारों की कोताही है। इनके स्थानापन्न बनाए जाने वाले पुलों की लागत राशि की वसूली ठेकेदारों से होगी।

गुरुवार को इसकी घोषणा करते हुए जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद ने बताया कि ठेकेदारों ने गाद की उड़ाही में पुलों के पाए और बुनियादी संरचना का ध्यान नहीं रखा। अब ठेकेदारों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

इंजीनियरों ने पुलों की नियमित देखरेख में लापरवाही बरती। विभाग का उड़नदस्ता संगठन जांच कर रहा है। 24 घंटे के भीतर यानी शुक्रवार तक जांच रिपोर्ट मिल जाएगी। उस आधार पर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई तय है।

एक सप्ताह के भीतर नए निर्माण की बनेगी कार्ययोजना

छाड़ी/ गंडकी नदी गोपालगंज, सिवान और सारण जिला से होकर बहती है। तीन से चार जुलाई के बीच सिवान और सारण जिला में इस पर पहले से अवस्थित छह पुल-पुलिया ध्वस्त हो गए। आवागमन को सुचारू रखने के उद्देश्य से उनके स्थानापन्न नए पुल-पुलिया का निर्माण होगा। एक सप्ताह के भीतर उसकी कार्ययोजना बना ली जाएगी। पुल के निर्माण पर खर्च होने वाली राशि नदी की उड़ाही करने वाले ठेकेदार से ली जाएगी। यह एक तरह से हर्जाने की वसूली होगी।

नदी जोड़ने के उद्देश्य से हो रही उड़ाही

उल्लेखनीय है कि गंडक-अकाली नाला (छाड़ी)-गंडकी-माही (डबरा)-गंगा नदी जोड़ योजना का काम जल संसाधन विभाग द्वारा कराया जा रहा है। नदी जोड़ योजना व जल-जीवन हरियाली अभियान के तहत काम हो रहा। वस्तुत: गंडक के अधिशेष जल को छाड़ी, गंडकी और माही नदी के माध्यम से गंगा में प्रवाहित किया जाना है।

योजना के तहत 170 किलोमीटर लंबाई, 19 मीटर चौड़ाई और औसत तीन मीटर गहराई में गाद की निकासी कराई जा रही। 69.89 करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना के अगले वर्ष मार्च तक पूरा होने का लक्ष्य है।

तकनीकी पर्यवेक्षण में हुई है कोताही

वस्तुत: गाद की उहाड़ी में ही पुल-पुलिया की अनदेखी हुई। चैतन्य प्रसाद का ऐसा मानना है। प्रथमदृष्टया प्रतीत हो रहा कि इंजीनियरों द्वारा पुलों को सुरक्षित रखे जाने के लिए एहतियाती कदम नहीं उठाए गए। सही तरीके से तकनीकी पर्यवेक्षण नहीं हुआ।

तकनीकी रूप से संतुष्ट होने के बाद ही पुल-पुलिया के पायों व संरचना के निकट खोदाई की जानी चाहिए, जिसका अनुपालन नहीं हुआ है। उड़नदस्ता टीम घटनास्थल पर पहुंच गई है। जांच रिपोर्ट मिलते ही कार्रवाई शुरू हो जाएगी।

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