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Bihar Food Alert: बिहार में बाढ़ से तबाही... 5 लोग डूबे, पानी में घिरे SP-DM; कई तटबंध टूटने से मचा हाहाकार

बिहार में इन दिनों बाढ़ से तबाही का खतरनाक मंजर देखने को मिल रहा है। नदियों में उफान से 6 तटबंध और एक सुरक्षा बांध ध्वस्त हो गए हैं। बगहा शहर में बाढ़ का पानी घुस गया है जिसके चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं जोगबनी में ट्रैक पर पानी चढ़ गया है जिसकी वजह से छह घंटे तक ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा।

By Jagran News Edited By: Mukul Kumar Updated: Mon, 30 Sep 2024 10:36 AM (IST)
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बिहार में बाढ़ से तबाही का खतरनाक मंजर
जागरण टीम, पटना। नेपाल में लगातार वर्षा से बिहार में नदियों ने रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। दरभंगा जिले के किरतपुर प्रखंड के भुभोल गांव के समीप कोसी नदी का पश्चिमी तटबंध करीब 10 मीटर की दूरी में रविवार की देर रात टूट गया।

तटबंध टूटने के बाद सोमवार की सुबह 10 बजे तक उसका दायरा बढ़कर चार सौ मीटर हो गया है। इससे किरतपुर, कुशेश्वरस्थान पूर्वी, घनश्यामपुर प्रखंड की करीब चार लाख आबादी बाढ़ की चपेट में आ गई है।

इसके अलावा, उत्तर बिहार में रविवार को छह अन्य तटबंध भी टूट गए। इनमें सीतामढ़ी के तीन, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण और शिवहर में एक-एक शामिल हैं। पश्चिम चंपारण में एक सुरक्षा बांध भी ध्वस्त हो गया।

सैकड़ों गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है, जबकि हजारों एकड़ में लगी फसल डूब गई है। लाखों की आबादी प्रभावित है और हजारों की संख्या में लोग सुरक्षित स्थान की तलाश में पलायन कर रहे हैं। वाल्मीकिनगर बराज से 3.61 लाख व मधुबनी में कोसी बराज से 6.68 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया।

जोगबनी स्टेशन पर रेलवे ट्रैक पर पानी लगने से छह घंटे ट्रेनों का परिचालन बाधित रहा। इस बीच पूर्व बिहार, कोसी व सीमांचल में रविवार को पांच लोग डूब गए। विदित हो कि नदियों के जलस्तर में वृद्धि को देखते हुए 20 जिलों में अलर्ट जारी है। दरभंगा में कोसी बांध में कई जगह रिसाव हो रहा है।

खगड़िया में उफान पर कोसी और बागमती 

खगड़िया में कोसी और बागमती उफान पर हैं। दोनों नदी का तेजी से बढ़ना जारी है। अभी जलस्तर में और अधिक वृद्धि होगी। कोसी बराज से कल सुबह छह बजे छोड़ा गया पानी आज शाम तक पहुंचाने की संभावना है। उसके बाद स्थिति और भयावह हो सकती है।

अभी खगड़िया के बलतारा में कोसी सुबह छह बजे खतरे के निशान से 1.35 मीटर ऊपर बह रही थी। जबकि खगड़िया के संतोष जलद्वार के पास बागमती खतरे के निशान से 1.99 मीटर ऊपर थी। 

कोसी किनारे बसे गांधीनगर गांव को बेलदौर सीओ सुबह में ही रवाना हो चुके हैं। यहां के लोगों को गांव खाली करने को कहा गया है। लेकिन लोग गांव खाली नहीं कर रहे हैं।

अंचल प्रशासन की ओर से यहां चार नाव दी गई है। वैसे रात भर गांधीनगर भीता पर तीन आपदा मित्र पहरा देते रहे। ताकि स्थिति विषम होने पर ग्रामीणों को तुरंत अलर्ट किया जाए।

तरियानी छपरा थाने में घुसा बाढ़ का पानी, सड़क पर तेज बहाव जारी

शिवहर में तटबंध टूटने के बाद तरियानी छपरा के इलाकों में तबाही मच गया है। बाढ़ का पानी तरियानी छपरा थाने में घुस गया है। वहीं मुख्य पथ पर पानी का तेज बहाव जारी है।

तरियानी छपरा, मोतनाजे, कुंडल, सोगरा अदलपुर, सोनबरसा, डुमरा, नुनौरा, औरा, मलिकाना सहित दर्जनों गांवों के सैकड़ों घरों में पांच फीट पानी बह रहा है। तरियानी छपरा मुख्य पथ में तीन फीट पानी का बहाव जारी है। कई स्कूल, सामुदायिक भवन में भी पानी घुस गया है।

तरियानी प्रखंड के 16 में से 12 पंचायतों में खेतों में लगी तमाम फसलें बाढ़ के पानी में डूब गई है। उधर, पिपराही प्रखंड के दोस्तिया, पिपराही पुनर्वास, कटैया, खैरा पहाड़ी, अदौरी व बराही जगदीश, पिपराही प्रखंड की मीनापुर बलहा, हरपुर, तरियानी प्रखंड की मोहारी, मझौरा, धर्मपुर सहित कई गांवों में बाढ़ का पानी बरकरार है।

बाढ़ का पानी लगातार नए इलाकों में फैल रहा है। जबकि लोग तटबंध सहित ऊंचे स्थलों पर पलायन करने को मजबूर है। पीड़ितों की रात तटबंधों पर गुजरी है।

देर रात डीएम विवेक रंजन मैत्रेय, एसपी शैलेश कुमार सिन्हा, एसडीओ अविनाश कुणाल व एसडीपीओ अनिल कुमार सहित प्रशासनिक टीम ने आधी रात बात प्रभावित इलाकों का निरीक्षण किया।

तत्काल बाढ़ पीड़ितों के लिए चार स्थानों पर सामुदायिक किचेन शुरू किया गया है। पीड़ितों के बीच सूखी खाद्य सामग्री का वितरण किया जा रहा है। 

इधर जल संसाधन विभाग के बागमती प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता विनय कुमार ने बताया कि छह में से चार स्थानों पर रिसाव पर काबू पा लिया गया है। जलस्तर में गिरावट आई है।  हालांकि नदी अब भी लाल निशान 61.28 मीटर से 1.70 मीटर ऊपर बह रही है। सुबह जलस्तर 62.98 मीटर दर्ज किया गया है।

सीतामढ़ी शहर तक पहुंचा पानी

बगहा शहर में पानी घुस गया है, वहीं सीतामढ़ी शहर तक पानी पहुंच गया है। सीतामढ़ी के बेलसंड प्रखंड के मधकौल में बागमती का तटबंध 80 फीट में टूट गया है। इससे करीब एक लाख की आबादी प्रभावित है। बेलसंड में बागमती का बायां तटबंध रात करीब साढ़े आठ बजे टूट गया। यहां सुबह से ही रिसाव हो रहा था।

इसी जिले में बागमती का दाहिना तटबंध बलुआ पंचायत के खरौउवा गांव के समीप रात नौ बजे टूट गया। बागमती परियोजना के सहायक अभियंता का कहना है कि 12 साल बाद इतना पानी बागमती में आया है।

देर रात पानी में फंसे डीएम- एसपी, ट्रैक्टर पर बैठाकर निकाला गया 

सीतामढ़ी के बेलसंड में बागमती नदी का तटबंध रविवार दोपहर से रात के 9:00 बजे तक तीन जगह पर टूटने से बाढ़ के हालात भयावाह हो गए। देर रात डीएम रिची पांडे एवं एसपी मनोज कुमार तिवारी पानी में घिर गए थे।

डीएम एसपी के सरकारी वाहन बाढ़ के पानी में फंसे रह गए जिससे दोनों अधिकारी को ट्रैक्टर पर बैठाकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया गया। बाढ़ का पानी बेलसंड शहर में प्रवेश कर गया है। लोग ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं।

बागमती नदी का पानी बैरगनिया, बेलसंड और रुन्नीसैदपुर प्रखंड में भीषण तबाही मचा रहा है। करीब 5 लाख लोग बाढ़ के पानी से प्रभावित हुए हैं। डीपीआरओ कमल सिंह ने बताया कि देर रात में डीएम एसपी बेल्ट अंचल कार्यालय में अपनी गाड़ी खड़ी करके बाढ़ से घिरे लोगों की मदद में पहुंचे हुए थे।

अचानक बाढ़ का पानी तेजी से फैलता हुआ शहर में प्रवेश कर गया। जिससे दोनों अधिकारी पानी में घिर गए। उन्हें ट्रैक्टर पर बैठाकर सुरक्षित स्थान पर लाया गया। लेकिन, उनकी गाड़ियां वही फंसी रह गई।

पश्चिम चंपारण के बगहा-एक प्रखंड में रजवटिया-रतवल बांध गंडक के पानी के दबाव में खैरटवा गांव के पास टूट गया। इससे करीब 30 हजार की आबादी प्रभावित है। सिकटा प्रखंड के बलरामपुर में ओरिया नदी का सुरक्षा बांध ध्वस्त हो गया।

शिवहर में छह हजार से अधिक आबादी प्रभावित

वहीं, शिवहर में रविवार की रात तरियानी छपरा स्थित बागमती का तटबंध मध्य विद्यालय के पास 20 फीट में टूट गया। तरियानी प्रखंड में तीन जगहों पर तथा इसके अलावा बेलवा में सुरक्षा तटबंध में रिसाव हो रहा है। जिले में 20 गांवों में छह हजार से अधिक आबादी प्रभावित हो गई है।

यहां बागमती के कहर से 25 हजार एकड़ फसल डूब गई है। पूर्वी चंपारण की फुलवार उत्तरी पंचायत में दुधौरा नदी का दायां तटबंध करीब 15 फीट में टूट गया है। वहीं, जिले के घोड़ासहन प्रखंड टेका पुल के पास बना डायवर्सन ध्वस्त हो गया।

बगहा में 40 गांवों की 30 हजार आबादी प्रभावित है, 10 हजार एकड़ में फसल डूब गई है। मधुबनी में 25 गांव में पानी फैल गया है। यहां लगभग 1.5 लाख आबादी प्रभावित है। करीब 15 हजार एकड़ में फसल डूब गई है। दरभंगा में 100 से अधिक गांवों में एक लाख से अधिक आबादी प्रभावित है।

बेतिया में करीब 50 हजार की आबादी प्रभावित

बेतिया में करीब 50 हजार की आबादी प्रभावित है। करीब 20 हजार एकड़ की फसल प्रभावित है। पूर्वी चंपारण में बाढ़ का आंशिक प्रभाव है। गंडक बराज से तीन बजे तक तीन लाख, 61 हजार 400 क्यूसेक, जबकि कोसी बराज से सुबह 10 बजे 6.68 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया।

इधर, मधुबनी में कमला बलान खतरे के निशान से दो मीटर 22 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। शिवहर में बागमती लाल निशान से 2.12 मीटर और दरभंगा में कमला खतरे के निशान से दो मीटर 52.2 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। पश्चिम चंपारण के गंडक खतरे के निशान से 88.79 मीटर पार कर 90.10 मीटर पर बह रही है।

पटना में गांधीघाट पर गंगा रविवार की शाम खतरे के निशान के ऊपर बहने लगी है। इधर, भागलपुर को कहलगांव से जोड़ने वाले पुल का एप्रोच स्लैब बाढ़ के पानी के दबाव के कारण रविवार को तीन सेंटीमीटर धंस गया। इससे पुल और स्लैब के बीच दरार हो गई है।

यह पुल पकड़तल्ला के समीप एनएच 80 पर कुआ नदी पर बना है। यह बिहार को झारखंड से जोड़ता है। हालांकि, अभी इससे होकर आवागमन पर रोक नहीं लगाई गई है। वहीं, अररिया जिले में बकरा नदी पर बना बांध ककोड़वा और डेहटी मीरभाग में करीब 60 फीट टूट गया है।

बांका में भी बाढ़ से तबाही

वहीं, बांका जिले में रामचुआ नहर के दो फीट टूटने से 50 एकड़ खेत में धान की फसल डूब गई। सुपौल स्थित कोसी बराज पर रविवार की रात आठ बजे 3,31,385 क्यूसेक जलस्राव रिकॉर्ड किया गया गया। जिले के सरायगढ़-भपटियाही प्रखंड के कुसहा गांव में सुरक्षा बांध टूटने से 600 से अधिक परिवार प्रभावित हुए हैं।

सहरसा जिले के नवहट्टा और महिषी प्रखंड में तटबंध के अंदर ग्रामीण कार्य विभाग की 50 से अधिक सड़कों का अस्तित्व कोसी ने मिटा दिया है। इस इलाके में शायद ही कोई ऐसी सड़क बची है, जिस पर पांच फुट पानी नहीं बह रहा है। कोसी बराज के सभी 56 गेट खुले हुए हैं।

खगड़िया में कोसी और बागमती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। वहीं, गोपालगंज जिले के सदर प्रखंड के अलावा मांझा, बरौली, सिधवलिया व बैकुंठपुर प्रखंड के निचले इलाके के 20 गांवों में गंडक नदी का पानी प्रवेश कर गया है।

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