IPS Sudhir Porika: आईपीएस सुधीर पोरिका को मिली क्लीनचिट, DSP को वेतन वृद्धि देने पर रोक
बिहार सरकार के गृह विभाग ने औरंगाबाद में एसपी रहे आईपीएस अफसर सुधीर कुमार पोरिका को बालू के अवैध खनन से जुड़े मामले में क्लीनचिट दे दी है। बता दें कि विभाग ने इस संबंध में संकल्प भी जारी कर दिया है। वहीं प्रसारित वीडियो के तीन साल पुराने मामले में डीएसपी स्तर के अधिकारी को वार्षिक वेतनवृद्धियों का लाभ देने पर रोक लगा दी है।
राज्य ब्यूरो, पटना। बालू के अवैध खनन मामले में एक और पुलिस अधिकारी को राहत मिल गई है। औरंगाबाद के तत्कालीन एसपी और 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी सुधीर कुमार पोरिका को क्लीनचिट देते हुए विभागीय कार्यवाही समाप्त कर दी गई है।
गृह विभाग ने इसका संकल्प भी जारी कर दिया है। सुधीर पोरिका फिलहाल विशेष शाखा में एसपी के पद पर हैं। सुधीर कुमार पोरिका पर बालू के अवैध उत्खनन एवं परिवहन में संलिप्त रहने और संदिग्ध आचरण से संबंधित आरोप थे।
आर्थिक अपराध इकाई की रिपोर्ट के बाद इस मामले में जुलाई, 2021 में उन्हें निलंबित कर विभागीय कार्यवाही शुरू की गई थी। सितंबर, 2023 में प्रस्तुत जांच प्रतिवेदन में जांच अधिकारी ने पोरिका के विरुद्ध छह आरोपों में तीन अप्रमाणित जबकि तीन आंशिक रूप से प्रमाणित होने का मंतव्य दिया।
इस पर विभाग ने पोरिका से लिखित बयान समर्पित करने को कहा मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बाद विभाग ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएसएसी) को परामर्श के लिए पत्र लिखा। विभागीय पत्र के आलोक में यूपीएससी ने अगस्त में परामर्श दिया कि सुधीर कुमार पोरिका के खिलाफ लगाए गए आरोपों को अभिलेखों पर मौजूद साक्ष्यों के आधार पर सिद्ध नहीं किया जा सका।
इस मामले में तभी न्याय होगा जब उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को त्याग दिया जाए और उन्हें दोषमुक्त घोषित कर दिया जाए। इसके बाद उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया गया है।
डीएसपी रघुनाथ सिंह को वेतनवृद्धि पर रोक का दंड
गृह विभाग ने प्रसारित वीडियो के तीन साल पुराने मामले में मोहनिया के तत्कालीन अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को पांच वर्षों के लिए कालमान वेतन में निम्नतर प्रकम से अवनति का दंड दिया है। इस दौरान अधिकारी को वार्षिक वेतनवृद्धियों का लाभ नहीं मिलेगा। अवनति की अवधि के बाद भविष्य की वेतनवृद्धियां अनुमान्य होंगी। इससे जुड़ा संकल्प भी जारी कर दिया गया है।
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