Move to Jagran APP

Shardiya Navratri 2024: अष्टमी और नवमी को लेकर दूर करें अपना कन्फ्यूजन, पंचांग के हिसाब से जानें सही तारीख

शारदीय नवरात्रि में अष्टमी और नवमी की तिथियों को लेकर श्रद्धालुओं में संशय बना हुआ है। मिथिला और बनारस पंचांग के अनुसार 10 अक्टूबर को सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि है जिसमें व्रत उपवास करना निषेध है। ऐसे में महाष्टमी व व्रत एवं महागौरी की पूजा करना सही नहीं है। सही तिथियों और पूजा विधि के बारे में जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।

By prabhat ranjan Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 09 Oct 2024 03:14 PM (IST)
Hero Image
अष्टमी-नवमी एक ही दिन होने से बनी संशय की स्थिति स्थिति।
जागरण संवाददाता, पटना। शारदीय नवरात्र में महाष्टमी व महानवमी तिथि एक दिन होने से अष्टमी व्रत करने वाले श्रद्धालुओं में संशय की स्थिति बनी हुई है। मिथिला व बनारस पंचांग के अनुसार, गुरुवार 10 अक्टूबर को सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि लग रही है। शास्त्रों में सप्तमी युक्त अष्टमी में व्रत उपवास करना निषेध बताया गया है।

ऐसे में महाष्टमी व व्रत एवं महागौरी की पूजा करना सही नहीं है। 11 अक्टूबर को नवरात्र के अष्टमी तिथि में संधि पूजा, व्रत उपवास एवं पूजा पाठ होगा। शुक्रवार को अष्टमी व नवमी तिथि के युग्म संयोग होने से इस दिन शुभकारी व शिव-गौरी संयोग बन रहा है।

महासप्तमी को खुलेगा मां की प्रतिमा का पट:

शारदीय नवरात्र के अंतर्गत वैदिक सनातन रीति से आश्विन शुक्ल महासप्तमी में 10 अक्टूबर गुरुवार को पत्रिका प्रवेश पूजन के बाद मंत्रोच्चार करते हुए शुभ मुहूर्त में घर, मंदिर एवं पूजा पंडालों में दुर्गा माता का पट खोला जाएगा। गुरुवार को सप्तमी तिथि सुबह 7:39 बजे तक है। बांग्ला पद्धति से देवी दुर्गा की पूजा करने वाले पंडालों में बुधवार को माता का पट खोला जाएगा।

11 को हवन व कन्या पूजन:

आश्विन शुक्ल नवमी 11 अक्टूबर शुक्रवार की सुबह 7.03 बजे के बाद से महानवमी आरंभ हो रहा है। जो पूरे दिन रहेगा। शुक्रवार को ही नवमी में शृंगार पूजा, संकल्पित पाठ का समापन, हवन, कन्या पूजन होगा।

भगवती को नाना प्रकार के पत्र, पुष्पों से भव्य शृंगार कर, वस्त्र- उप वस्त्र, इत्र, शृंगार सामग्री, आभूषण आदि चढ़ा कर, कई प्रकार के व्यंजनों का भोग लगा कर मां दुर्गा की महाआरती होगी।

नवरात्र में किसी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमा मांगते हुए नम आंखों से माता को खोइछा दिया जाएगा। नवरात्र के दौरान उपवास व फलाहार करने वाले श्रद्धालु आश्विन शुक्ल दशमी में 12 अक्टूबर को देवी को विदाई देकर जयंती धारण कर पारण करेंगे।

ये भी पढ़ें- Shardiya Navratri 2024: क्यों 11 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी महाष्टमी? जानें इसके पीछे का पूरा गणित

ये भी पढ़ें- Shardiya Navratri 2024: शारदीय नवरात्र में किस वाहन पर विदा होंगी मां दुर्गा, जानें कैसा पड़ेगा इसका प्रभाव?

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।