Bihar RERA Builders: ग्राहकों को बकाया न लौटाने वाले बिल्डरों की सुनवाई होगी तेज, रेरा को मिली शक्ति
बिहार में ग्राहकों को बकाया न लौटाने वाले बिल्डरों के खिलाफ सुनवाई अब और तेज होगी। बिहार भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) को ऐसे मामलों की सुनवाई का अधिकार मिल गया है। रेरा जल्द ही सर्टिफिकेट अधिकारी अधिसूचित करेगा जो इन मामलों की सुनवाई करेंगे। इससे घर खरीदने की इच्छा रखने वाले ग्राहकों को फायदा होगा। वहीं प्रमोटरों पर सख्ताई की जाएगी।
राज्य ब्यूरो, पटना। ग्राहकों को पैसा न लौटाने वाले डिफॉल्टर बिल्डरों की सुनवाई अब तेजी से हो सकेगी। इसके लिए जिला प्रशासन के भरोसे नहीं रहना होगा। बिहार भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) ही ऐसे बकायेदार बिल्डरों से जुड़े मामलों की सुनवाई कर सकेगा। इस तरह के मामलों में बिहार और ओडिशा पब्लिक डिमांड रिकवरी (पीडीआर) अधिनियम, 1914 के तहत सुनवाई की जाती है। इसके लिए बिहार रेरा जल्द ही सर्टिफिकेट अधिकारी अधिसूचित करेगा जिसे ऐसे मामलों की सुनवाई का अधिकार होगा।
बिहार रेरा के अध्यक्ष विवेक कुमार सिंह ने बताया कि सिर्फ रेरा से जुड़े सर्टिफिकेट अधिकारियों की उपलब्धता से पीडीआर मामलों की सुनवाई तेजी से हो सकेगी। इससे घर खरीदने की इच्छा रखने वाले ऐसे ग्राहकों को फायदा होगा जो प्रमोटरों द्वारा समय पर परियोजनाओं को पूरा करने में विफल रहने के कारण अपनी राशि वापस चाहते हैं।अध्यक्ष ने यह भी बताया कि प्राधिकरण आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद सेवानिवृत्त बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को जल्द ही सर्टिफिकेट अधिकारी के रूप में अधिसूचित करेगा। इस संबंध में रेरा ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग को पत्र भेजकर पीडीआर मामलों की सुनवाई के लिए अपने अधिकारी को अधिसूचित करने की अनुमति देने का अनुरोध किया था।
इसके जवाब में कहा गया कि इस प्रस्ताव पर कानूनी सलाह लेने के लिए संबंधित फाइल विधि विभाग को भेजी गई थी जिस पर महाधिवक्ता ने प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
सिर्फ पटना में 932 मामले हैं लंबित:
बिहार रेरा ने ग्राहकों के पैसे न लौटाने पर पीडीआर अधिनियम के तहत 942 मामले जिला प्रशासन को भेजे हैं, जिनमें से सर्वाधिक 932 मामले पटना के हैं। इसके अलावा भोजपुर के चार, वैशाली के तीन और दरभंगा, पूर्वी चंपारण और पूर्णिया जिले के एक-एक मामले हैं।भेजे गए मामलों में से महज दो का निपटारा पटना जिला प्रशासन ने किया है। पीडीआर अधिनियम के तहत मामला तब भेजा जाता है, जब रेरा के द्वारा संबंधित शिकायत पर निपटारे के बाद भी प्रमोटर ग्राहकों के बकाए का भुगतान करने में विफल रहता है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।