चिराग पासवान या पशुपति पारस, अब किसका पक्ष लेंगे CM नीतीश कुमार? पटना में फिर गर्म हुई सियासत
बिहार में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के राज्य मुख्यालय का आवंटन रद किए जाने के फैसले को पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने चुनौती दी है। उनका कहना है कि यह फैसला नियम संगत नहीं है और चुनाव आयोग एवं राज्य मंत्रिमंडल के फैसले के विपरीत है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मामले में हस्तक्षेप करने और पार्टी को न्याय दिलाने की अपील की है।
राज्य ब्यूरो, पटना। भवन निर्माण विभाग ने शहीद पीर अली मार्ग में अवस्थित सरकारी आवास संख्या-एक, जो राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) का राज्य मुख्यालय है, का आवंटन रद कर दिया है। इस संबंध में विभाग ने रालोजपा को नोटिस भेजकर सात दिनों में सरकारी आवास में संचालित कार्यालय को खाली करने का आदेश दिया है।
साथ ही विभाग ने आगाह किया है कि यदि तय अवधि में रालोजपा द्वारा उक्तआवास खाली नहीं किया जाता है तो बाध्य होकर उसे बलपूर्वक खाली कराया जाएगा।
इस नोटिस के बाद रालोजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने शुक्रवार को पत्रकार सम्मेलन में कहा कि पार्टी राज्य कार्यालय आवास का आवंटन रद करना भवन निर्माण विभाग द्वारा नियम संगत नहीं है। विभाग का नोटिस चुनाव आयोग एवं राज्य मंत्रिमंडल (Bihar Cabinet) के फैसले के विपरीत है।
'मामला अभी न्यायालय में लंबित है'
श्रवण अग्रवाल ने कहा कि पार्टी का आवंटन से संबंधित सभी मामला अभी न्यायालय में लंबित है, उसके बावजूद भवन निर्माण विभाग द्वारा चिट्ठी पर चिट्ठी लिखकर न्यायालय के फैसले का इंतजार करने के बजाय किसी के दबाव में पार्टी कार्यालय खाली करने का आदेश दिया जा रहा है जो कहीं से भी न्याय संगत नहीं है।
'नीतीश कुमार पार्टी को न्याय दिलाएं'
इस मामले में उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से आग्रह किया कि वे स्वयं हस्तक्षेप कर पार्टी को न्याय दिलाएं। उन्होंने कहा कि 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी के विभाजन के बाद रालोजपा को राज्य स्तरीय दल का दर्जा निर्वाचन आयोग से प्राप्त है। हमारी पार्टी रालोजपा चुनाव आयोग, राज्य सरकार और भवन निर्माण विभाग के गाइडलाइन के तहत पटना में कार्यालय चलाने हेतू अधिकार रखती है।रालोजपा ने दिया ये तर्क
उन्होंने कहा कि भवन निर्माण विभाग द्वारा पूर्व में इस बात का उल्लेख कर हमारे पार्टी का कार्यालय रद कर दिया था कि आपकी पार्टी ने कार्यालय का नवीनीकरण नहीं कराया है, जबकि मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 31 जुलाई 2024 के राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में सभी पार्टियों के कार्यालय के लिए नवीनीकरण कराने की नीति को समाप्त कर दिया गया था। उल्लेखनीय है कि 9 जुलाई को राज्य सरकार ने कार्यालय को चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को आवंटित कर दिया था। अब यह मामला हाई कोर्ट में है।
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