Bihar Police: 7 साल से कम सजा वाले अपराध में नाबालिगों पर नहीं होगी FIR, बिहार पुलिस मुख्यालय ने जारी किया निर्देश
Bihar News बिहार पुलिस ने किशोर न्याय अधिनियम के अनुपालन के लिए नई मार्गदर्शिका जारी की है। इसके अनुसार 7 साल से कम सजा वाले अपराधों में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के खिलाफ प्राथमिकी नहीं दर्ज की जाएगी। ऐसे मामलों की जानकारी थाने की स्टेशन डायरी में दर्ज की जाएगी। केवल जघन्य अपराधों में ही प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Police News: सात साल से कम सजा वाले अपराध के मामलों में पुलिस, 18 साल से कम उम्र के बच्चों व किशोरों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज नहीं करेगी। इन अपराधों की सूचना सिर्फ थाने की स्टेशन डायरी में दर्ज की जाएगी। नाबालिगों पर सिर्फ सात साल से अधिक सजा वाले जघन्य अपराध के मामलों में ही प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
इस बाबत बिहार पुलिस मुख्यालय ने किशोर न्याय (बच्चों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम के अनुपालन को लेकर पुलिस पदाधिकारियों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) निर्धारित करते हुए नई मार्गदर्शिका जारी की है। यह मार्गदर्शिका सभी आईजी, डीआईजी, एसएसपी व एसपी रैंक के पुलिस पदाधिकारियों को अनुपालन के लिए भेजी गई है।
अपराध अनुसंधान विभाग (कमजोर वर्ग) की ओर से जारी एसओपी में यह भी स्पष्ट किया गया है कि कानून का उल्लंघन करने के आरोप में पकड़े गए बच्चों को पुलिस पकड़े जाने के स्पष्ट कारण और रिपोर्ट के साथ जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजे बोर्ड) के समक्ष प्रस्तुत करेगी।
बच्चों को लॉकअप में भी नहीं रखा जाएगा, न ही हथकड़ी लगाई जाएगी। बच्चों को बाल सुलभ वातावरण वाले कमरे में रखा जाएगा। इसके साथ ही ऐसे बच्चों को निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार को भी सूचित किया जाएगा।
थाना स्तर पर बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी
एसओपी में बताया गया है कि किशोर तथा पीड़ित बच्चों की देखरेख और संरक्षण को लेकर जिला स्तर पर विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू) का गठन किया गया है। इसका नेतृत्व डीएसपी या उससे ऊपर पद के पुलिस पदाधिकारी करेंगे। वहीं इथाना स्तर पर बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी (सीडब्लूपीओ) का प्रावधान किया गया है, जिसकी जिम्मेदारी ऐसे सहायक पुलिस अवर निरीक्षक को सौंपी जाएगी जो बच्चों से जुड़े मुद्दों की जानकारी रखता हो।पुलिस पदाधिकारियों के लिए जारी मार्गदर्शिका में कानून का उल्लंघन करने वाले 18 साल के कम उम्र के बच्चों व किशोरों के अपराधों को तीन श्रेणी में बांटा गया है। तीन साल तक की सजा वाले अपराधों को छोटे अपराध जबकि तीन से सात साल की सजा वाले अपराधों को गंभीर अपराध श्रेणी में रखा गया है।इन दोनों मामलों में थाने के बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी बालक की सामाजिक पृष्ठभूमि की रिपोर्ट के साथ तथाकथित अपराध की जानकारी किशोर न्याय परिषद (जेजेबी) को भेजेंगे। सात साल से अधिक सजा वाले मामले जघन्य श्रेणी में रखे गए हैं। ऐसे मामलों में प्राथमिकी दर्ज होते ही तुरंत मामले को बाल कल्याण पुलिस पदाधिकारी को सौंपा जाएगा। प्राथमिकी की एक प्रति बच्चे, माता-पिता या उसके संरक्षक को भी देनी होगी।
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