Vivah Muhurat November December: शादी-ब्याह का सीजन शुरू, 16 से गूंजेगी शहनाई; 15 दिसंबर तक शुभ मुहूर्त
देवोत्थान एकादशी के बाद शादी-ब्याह (Wedding Season 2024) का सीजन शुरू हो गया है। लगभग चार महीने बाद बैंड-बाजा और शहनाई की गूंज सुनाई देगी। चतुर्मास के कारण मांगलिक कार्य शादी-ब्याह का कार्यक्रम 16 नवंबर से आरंभ होकर 15 दिसंबर तक चलेगा। मिथिला पंचांग के अनुसार नौ दिन और बनारसी पंचांग के अनुसार 18 दिन शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त हैं।
जागरण संवाददाता, पटना। देवोत्थान एकादशी पर मंगलवार को भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने के बाद मांगलिक कार्य आरंभ हो गया। लगभग चार माह बाद बैंड-बाजा व शहनाई की गूंज सुनाई देगी। चतुर्मास के कारण मांगलिक कार्य शादी-ब्याह का कार्यक्रम 16 नवंबर से आरंभ हाे कर 15 दिसंबर तक चलेगा।
मिथिला पंचांग के अनुसार, नौ दिन व बनारसी पंचांग के अनुसार, 18 दिन शादी-ब्याह के शुभ मुहूर्त हैं। इसके बाद अगले वर्ष मकर संक्रांति के बाद शादी-ब्याह के लग्न आरंभ होगा।
शादी-ब्याह में ग्रहों की शुभता जरूरी
शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है। वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। ऐसे में शादी के लिए नौ ग्रहों में देव गुरु बृहस्पति, शुक्र एवं सूर्य का शुभ होना जरूरी होता है। ज्योतिष आचार्य राकेश झा ने बताया कि रवि-गुरु का संयोग में विवाह के लिए बेहद शुभ माना गया है।इसके अलावा विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में होना अत्यंत शुभ माना जाता है। शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किसी का एक होना जरूरी है।नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति, श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भद्र व उत्तरा आषाढ़ में से किसी का एक होना जरूरी होता है। वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होता है।
इस वर्ष के वैवाहिक शुभ मुहूर्त:
बनारसी पंचांग के अनुसार
- नवंबर: 16,17,22,23,24,25,26,28,29
- दिसंबर: 2,3,4,5,9,10,11,14,15
मिथिला पंचांग के अनुसार
- नवंबर: 18,22,25,27
- दिसंबर: 1,2,5,6,11
योग निद्रा से जागृत हुए भगवान विष्णु, घरों से लेकर मंदिरों में पूजन
कार्तिक शुक्ल एकादशी मंगलवार को देवोत्थान एकादशी पर घरों से लेकर मंदिरों में भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजन किया गया। श्रद्धालुओं ने गांधी घाट, एनआइटी घाट समेत अन्य घाटों पर गंगा स्नान करने के साथ दान-पुण्य कर मंदिरों में पूजन किया। भगवान विष्णु के चार माह बाद जागृत होने पर मंदिरों में शंख, डमरू बजा कर उन्हें योग निद्रा से जागृत कराया। शहर के ठाकुरबाड़ी, राजपुर पुल, कदमकुआं मंदिर समेत पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर में शालीग्राम की पूजा की गई।
मंदिर परिसर में ईख के मंडप में विराजमान शालीग्राम भगवान का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच गंगाजल, पंचामृत से अभिषेक कराया गया। भगवान को धनिया से तैयार पंजीरी और मखाना का भोग लगाया गया। आरती के बाद भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। महावीर मंदिर की पत्रिका धर्मायण के संपादक पंडित भवनाथ झा ने बताया बताया की देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।
महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि 17 जुलाई को आषाढ़ शुक्ल एकादशी तिथि को भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा में चले गए थे। देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागृत होने के बाद मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएगा। महावीर मंदिर के दक्षिण पूर्वी भाग में सत्यनारायण भगवान की प्रतिमा के समक्ष पूजन कार्यक्रम संपन्न हुआ। एकादशी व्रत को लेकर मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रही।
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