Bihar Weather: कड़ाके की ठंड के लिए हो जाएं तैयार, बिहार में जल्द मौसम बदलने के आसार
बिहार में लंबे समय से ठंड की दस्तक का इंतजार कर रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है। पिछले कुछ दिनों से मौसम शुष्क बने रहने के बाद भी ठंड का असर महसूस हो रहा था। वहीं आने वाले दिनों में ठिठुरन बढ़ने के आसार हैं। पहाड़ी इलाकों में मौसम में बदलाव की वजह से अब जल्द ही बिहार में भी ठंड बढ़ेगी।
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार में पिछले कुछ दिनों से लगातार मौसम शुष्क बना होने के साथ ही अब ठंड का असर भी महसूस हो रहा है। पहाड़ी इलाकों में मौसम में बदलाव का असर जल्द ही मैदानी इलाकों में भी दिखेगा, जिसकी वजह से राजधानी सहित प्रदेश के सभी इलाकों में तापमान में गिरावट के आसार हैं। वहीं पटना सहित सभी भागों में सुबह के समय हल्की धुंध का प्रभाव बना रहेगा। वहीं ठंड की शुरुआत के साथ ही प्रदूषण में भी तेजी से इजाफा हो रहा है।
प्रदेश के प्रमुख शहरों के मौसम का हाल
- पटना- अधिकतम तापमान 31.0 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.0 डिग्री सेल्सियस
- भागलपुर- अधिकतम तापमान 31.0 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 21.0 डिग्री सेल्सियस
- मुजफ्फरपुर- अधिकतम तापमान 30.0 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.0 डिग्री सेल्सियस
- छपरा- अधिकतम तापमान 31.0 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.0 डिग्री सेल्सियस
मौसम में बदलाव के आसार
लंबे समय से ठंड की दस्तक का इंतजार कर रहे बिहार के लोगों के लिए अच्छी खबर है। 14 नवंबर को एक नया पश्चिमी विक्षोभ आने के आसार हैं, जिसका असर मैदानी इलाकों में देखने को मिलेगा। आने वाले दिनों में ठिठुरन बढ़ेगी।
मौसम में बदलाव से बढ़े मरीज
मौसम में बदलाव और सुबह-शाम पड़ रहे कोहरे के कारण बच्चों में वायरल इंफेक्शन और निमोनिया की शिकायत सामने आने लगी है। अस्पतालों में हर दिन ऐसे मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वहीं कम इम्युनिटी वाले मरीजों में बीमारियों का खतरा और अधिक होता है।सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि वायरल इंफेक्शन में बैक्टीरिया और वायरस एक साथ अटैक करते हैं। पहले पांच वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया मिलता था, लेकिन प्रदूषण की वजह से अब आठ वर्ष तक के बच्चों को भी यह बीमारी हो रही है। उन्होंने कहा कि इंफेक्शन से बच्चों को बचाने की जरूरत है।
फेफड़ों में हो रहा संक्रमण
निमोनिया और वायरल की वजह से बच्चों के फेफड़ों में संक्रमण हो रहा है। इससे बच्चों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि अगर बच्चे को लंबे समय तक खांसी और सांस लेने में तकलीफ है तो वे निमोनिया के लक्षण हो सकते हैं। इसकी तुरंत अस्पताल में जांच करानी चाहिए। देर होने पर बच्चों में परेशानी बढ़ने का भी खतरा रहता है।बच्चों को धूल और धुएं से दूर रखने की सलाह : शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष कुमार ने बताया कि प्रदूषण से बच्चों के फेफड़े कमजोर हो रहे हैं। इस समय लगातार इसके मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। प्रदूषण से अभी सबसे अधिक निमोनिया और वायरल इन्फेक्शन के मरीज मिल रहे हैं।इस बीमारी से बचने के लिए बच्चों को निमोनिया के साथ फ्लू का टीका भी जरूर लगवाएं। इसके अलावा बच्चों को धूल और धुएं वाली जगह लेकर नहीं जाएं। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पेंटावेलेंट के टीके में ही निमोनिया से बचाव का टीका दिया जाता है।
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