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    Bihar News: बिहार के 7 विश्वविद्यालयों पर केस दर्ज करने की तैयारी, सामने आई बड़ी गड़बड़ी

    Updated: Sat, 15 Feb 2025 03:00 PM (IST)

    बिहार के सात विश्वविद्यालयों में 177.38 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी सामने आई है। विश्वविद्यालयों ने खर्च की गई राशि का हिसाब नहीं दिया है और न ही अंकेक्षण रिपोर्ट और उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए हैं। महालेखाकार कार्यालय ने इस पर आपत्ति जताई है। शिक्षा विभाग ने सभी कुलसचिवों को एक सप्ताह के अंदर वित्तीय अनुशासन बहाल करने और खर्च का पूरा हिसाब देने का निर्देश दिया है।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

    दीनानाथ साहनी, पटना। राज्य के सात विश्वविद्यालयों में 177 करोड़ 38 लाख रुपये की गड़बड़ी सामने आई है। इस राशि को खर्च करने में विश्वविद्यालयों ने न वित्तीय अनुशासन का पालन नहीं किया और न ही अंकेक्षण रिपोर्ट एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र ही दिया।

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    इस वित्तीय अराजकता पर महालेखाकार (एजी) कार्यालय ने आपत्ति जतायी है। वहीं शिक्षा विभाग ने सख्ती दिखाते हुए सभी कुलसचिवों को आदेश दिया है कि हर हाल में अपने-अपने विश्वविद्यालय में वित्तीय अनुशासन बहाल करें और खर्च राशि का पूरा हिसाब उपयोगिता प्रमाण पत्र के साथ एक सप्ताह में उपलब्ध कराएं।

    अंकेक्षण रिपोर्ट नहीं देना आर्थिक अपराध, दर्ज होगा केस

    राज्य के विश्वविद्यालयों में वित्तीय प्रबंधन में गड़बड़ी का मामला उस वक्त प्रकाश में आयाजब 12 फरवरी को शिक्षा विभाग में कुलपतियों और कुलसचिवों की बैठक बुलायी थी।

    इस बैठक में शिक्षा विभाग ने एजी आफिस की आपत्ति संबंधी रिपोर्ट रखा। रिपोर्ट के मुताबिक वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा) में 142 करोड़ 52 लाख से उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद में प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

    नियमानुसार उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद जेम पोर्टल व निविदा प्रक्रियासे होनी थी, लेकिन विश्वविद्यालय ने एक निजी एजेंसी को उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध कराने का ठेका दिया।

    इस मामले में स्पष्टीकरण मांगे जाने पर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय ने शिक्षा विभाग को अब तक अंकेक्षण रिपोर्ट नहीं दिया है।

    शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि इतनी बड़ी राशि खर्च संबंधी अकेक्षण रिपोर्ट नहीं देकर संबंधित अधिकारियों ने आर्थिक अपराध किया है।

    इस मामले में जल्द ही केस दर्ज होगा। इसी तरह का मामला पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में सामने आया है जहां पर साढ़े चार करोड़ की उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद में नियमावली का पालन नहीं किया गया है।

    यहां तक कि विश्वविद्यालय द्वारा इस संबंध में साक्ष्य समेत अंकेक्षण रिपोर्ट भी नहीं दिया। एक और मामले में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय ने तीन करोड़ 42 लाख रुपये की राशि के विरुद्ध 70 लाख रुपये का सामंजन दिखाया है।

    जबकि दो करोड़ 72 लाख रुपये के सामंजन संबंधी कोई दस्तावेज नहीं दिया है। इस विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग संस्था को गलत तरीके से आर्थिक लाभ पहुंचाने का मामला भी सामने आया है।

    बीआरए बिहार विवि ने 3.70 करोड़ का नहीं दिया हिसाब

    • उच्च शिक्षा निदेशालय के एक अधिकारी ने बताया कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर ने 3 करोड़ 70 लाख रुपये खर्च का उपयोगिता प्रमाण पत्र शिक्षा विभाग को नहीं दिया है।
    • इस विश्वविद्यालय ने एक करोड़ 10 लाख रुपये से प्रश्न पत्र तथा उत्तर पुस्तिकाओं की क्रय बिना निविदा किए एक एजेंसी से की। इस मामले में विश्वविद्यालय ने अब तक अंकेक्षण रिपोर्ट और संतोषजनक जवाब नहीं दिया है।

    इन विश्वविद्यालयों में वित्तीय गड़बड़ी उजागर

    शिक्षा विभाग के मुताबिक ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (दरभंगा) से एक करोड़ 45 लाख रुपये खर्च का हिसाब विभाग को नहीं मिला।

    यहां 18 लाख 27 हजार रुपये से कंप्यूटर खरीद में नियमावली का पालन नहीं किया गया है। यह सब एक एजेंसी का लाभ पहुंचाने हेतु किया गया।

    कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षकों का बिना वेतन सत्यापन किए 16 करोड़ 39 लाख रुपये का भुगतान किया गया।

    तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में 4 करोड़ रुपये कहां खर्च हुए, इसका उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया है। बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा) में पांच करोड़ 50 लाख रुपये खर्च का मामला वित्तीय अनियमितता के रूप में सामने आया है।

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