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'तीर' पर किसकी होगी दावेदारी: नीतीश या शरद की, आज हो सकता है फैसला!

जदयू में पार्टी के चुनाव चिन्ह की दावेदारी को लेकर चुनाव आयोग में नीतीश गुट और शरद गुट की दावेदारी पर सुनवाई चल रही है। जल्द ही चुनाव आयोग फैसला दे देगा कि 'तीर' किसका होगा?

By Kajal KumariEdited By: Updated: Tue, 14 Nov 2017 03:10 PM (IST)
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'तीर' पर किसकी होगी दावेदारी: नीतीश या शरद की, आज हो सकता है फैसला!

पटना [जेएनएन]। चुनाव आयोग के समक्ष जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के दोनों (नीतीश और शरद) गुटों के बीच घंटों तक सुनवाई चली, जो मंगलवार को भी जारी रहेगी और संभवतः आज फैसला हो जाएगा कि तीर किसका होगा?

शरद गुट की तरफ से जहां कपिल सिब्बल ने आयोग के सामने पक्ष रखा, वहीं नीतीश गुट से राकेश द्विवेदी ने वकालत की, कल शरद गुट की तरफ से सुनवाई हुई तो वहीं आज नीतीश गुट अपना पक्ष चुनाव आयोग के समक्ष रखेगा।

सोमवार को घंटों चली इस सुनवाई में शरद गुट इस बात को तो मानने के लिए तैयार हुआ कि जेडीयू के अधिकांश सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्य नीतीश कुमार के साथ खड़े हैं, लेकिन वो पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति और राष्ट्रीय परिषद के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं। 

सूत्रों के मुताबिक, शरद गुट नीतीश कुमार कुमार को अध्यक्ष नहीं मानते हुए 2013 में बनी पार्टी कार्यसमिति को ही वैध मान रहा है, जिसमें कुल 1098 सदस्य थे। वहीं चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 10 अप्रैल 2016 को शरद यादव के नेतृत्व में हुई जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद पर बने रहने में असमर्थता जताते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे बढ़ाया था।

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दर्ज जानकारी के मुताबिक, 23 अप्रैल 2016 को नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने अक्टूबर में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की, जिसमें शरद यादव सहित कुल 195 लोगों के नाम शामिल हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में से 138 लोगों का समर्थन नीतीश कुमार को प्राप्त है, जो कि हलफनामे के साथ चुनाव आयोग को सौंपा गया है।

1969 में कांग्रेस में टूट के बाद सादिक अली मामले में 1972 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि विधायकों/सांसदों के समर्थन के आधार पर चुनाव आयोग द्वारा पार्टी ग्रुप को मान्यता देने का निर्णय लेना चाहिए। हाल ही में समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच पार्टी पर अधिकार की लड़ाई में भी आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के सादिक अली मामले को आधार मानते हुए अखिलेश खेमे के पक्ष में फैसला सुनाया था।

सुप्रीम कोर्ट ने संख्या बल को आधार मानते हुए फैसला दिया था। आयोग ने कहा कि उसने अपने पूर्व के फैसलों में भी संख्या बल को ही आधार मानकर फैसला दिया है।

चुनाव आयोग नीतीश गुट से सांसद आरसीपी सिंह, राष्ट्रीय महासचिव संजय झा, के.सी. त्यागी और ललन सिंह अपने वकील राकेश द्विवेदी के साथ निर्वाचन सदन पहुंचे तो वहीं शरद गुट से अरुण श्रीवास्तव और गोविंद यादव कपिल सिब्बल के साथ अपनी दलील पेश करने निर्वाचन सदन पहुंचे.।

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