मांझी के 'साधु भोज' पर जदयू नाराज
विवादित बयानों से अक्सर बिहार सरकार व जदयू के लिए मुश्किल खड़ी करने वाले मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के एक और कदम से प्रदेश में सियासत गर्मा उठी है। शुक्रवार को मांझी लालू प्रसाद के साले साधु यादव के घर चूड़ा-दही का भोज करने पहुंचे थे।
पटना। विवादित बयानों से अक्सर बिहार सरकार व जदयू के लिए मुश्किल खड़ी करने वाले मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के एक और कदम से प्रदेश में सियासत गर्मा उठी है। शुक्रवार को मांझी लालू प्रसाद के साले साधु यादव के घर चूड़ा-दही का भोज करने पहुंचे थे। मुख्यमंत्री के इस कदम की जदयू प्रवक्ता ने कड़ी आलोचना करते हुए इसे सुशासन के कार्यक्रम से छेड़छाड़ बताया।
पार्टी प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री को साधु यादव का आतिथ्य स्वीकार नहीं करना चाहिए था। यह पार्टी के एजेंडे के अनुरूप नहीं है। हमें पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बनाए गए सुशासन के कार्यक्रम में कोई छेड़छाड़ मंजूर नहीं। राजद ने भी साधु यादव के कारनामों के चलते उन्हें दल की मुख्य धारा से अलग कर दिया है। नीरज ने कहा, साधु यादव ने अहमदाबाद में पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इसी कारण भाजपा के लोग साधु यादव के सहयोगी बने हंै। साधु यादव कहते हैं कि उन पर कोई मुकदमा नहीं चल रहा है, जबकि 2010 लोकसभा चुनाव में उन्होंने शपथ-पत्र में 20 मुकदमे चलने की बात कही थी। साधु यादव ने एक बार फिर पलटवार करते हुए कहा कि मेरे ऊपर कोई मुकदमा नहीं है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता संजय मयूख ने मुख्यमंत्री का पक्ष लेते हुए कहा कि जीतन राम मांझी ने बड़ा दिल होने का परिचय दिया है।
दो मंत्रियों को भी बाहर जाने की सलाह : जदयू के एक अन्य प्रवक्ता अजय आलोक ने बिहार सरकार के दो मंत्रियों नरेंद्र सिंह व नीतीश मिश्रा को पार्टी छोड़ भाजपा में जाने का मशविरा दिया है। नरेंद्र सिंह व नीतीश मिश्रा के खिलाफ अपने बयान को जदयू का आधिकारिक बयान करार देते हुए अजय आलोक ने कहा कि नेतृत्व को लेकर पार्टी के निर्णय को इन दोनों ने भुला दिया है। कहा, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह की याददाश्त कमजोर हो गई है। उन्हें याद नहीं है कि पहले ही यह फैसला हो चुका है कि अगला चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। साथ ही ग्रामीण विकास मंत्री नीतीश मिश्रा भी यह बात भूल चुके हैं। दोनों को मंत्री पद से इस्तीफा देकर भाजपा में चले जाना चाहिए। इस पर नीतीश मिश्रा ने कहा कि वह मुख्यमंत्री की कैबिनेट में शपथ लेकर मंत्री बने हैं। पार्टी प्रवक्ता कौन होते हैं उनसे इस्तीफा मांगने वाले। ऐसे प्रवक्ताओं पर लगाम लगानी चाहिए।