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मुसलमानों की दान दी गई जमीन पर बन रहा विशाल मंदिर

चंपारण की मिट्टी हमेशा से एकता, श्रद्धा और विश्वास के लिए जानी जाती है। इस कड़ी में एक नया नाम जुटा है विश्व के सबसे ऊंचे विराट रामायण मंदिर का। निर्माण से पहले ही मंदिर के लिए प्रस्तावित मिïट्टी सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बन चुकी है।

By pradeep Kumar TiwariEdited By: Updated: Thu, 21 May 2015 09:52 AM (IST)
पूर्वी चंपारण [संजय सिंह]। चंपारण की मिट्टी हमेशा से एकता, श्रद्धा और विश्वास के लिए जानी जाती है। इस कड़ी में एक नया नाम जुटा है विश्व के सबसे ऊंचे विराट रामायण मंदिर का। निर्माण से पहले ही मंदिर के लिए प्रस्तावित मिट्टी सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बन चुकी है। मंदिर के निर्माण में सांप्रदायिकता के बंधन भी टूटे हैं। मुसलमानों ने भी इसके लिए जमीन दान में दी है। जमीन दान देने की प्रक्रिया भूमि पूजन (21 जून 2012) से पहले ही पूरी की जा चुकी है। अब निर्माण की कवायद तेज की गई है। हाल में विशेषज्ञों की टीम ने स्थल का निरीक्षण कर जमीन का हाल जाना है।

17 मई को विशेषज्ञों ने किया निरीक्षण : केसरिया के समीप बहुआरा कैथवलिया गांव में प्रस्तावित विश्व के सबसे ऊंचे विराट रामायण मंदिर के निर्माण को लेकर 17 मई को विशेषज्ञों के दल ने स्थल भ्रमण कर अंतिम रूप से निर्माण कार्यों की तैयारियों की समीक्षा शुरू कर दी है। इस संबंध में बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष किशोर कुणाल ने बताया कि भूकंप जैसी आपदा को ध्यान में रखकर इसकी रूपरेखा की समीक्षा की जा रही है।

ऊंचाई 405 से घटकर हुई 380 फीट : इस मंदिर की ऊंचाई 405 फीट निर्धारित की गई थी। मगर तकनीकी कारणों से इसे 380 फीट पर ही रोकना पड़ा। बावजूद इसके मंदिर की वैश्विक श्रेष्ठता प्रभावित नहीं होगी। बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के अध्यक्ष बताते हैैं कि इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञों की राय ली जाएगी।

150 एकड़ जमीन का हो चुका है निबंधन : मंदिर निर्माण को लेकर अब कहीं कोई अड़चन नहीं है। इसके लिए करीब 150 एकड़ भूमि का निबंधन कराया जा चुका है। सभी वर्ग के लोगों ने जमीन दान में दी है। इसमें मुसलमान भी शामिल हैं। निर्माण समिति के अध्यक्ष ललन सिंह बताते हैं कि यह मंदिर शुरुआती दौर से ही ङ्क्षहदू -मुस्लिम सौहार्द का प्रतीक बन चुका है । इसके निर्माण को लेकर सभी वर्ग के लोगों में उत्साह है। निर्माण के लिए न सिर्फ हिन्दुओं ने बल्कि मुसलमानों ने भी अपनी जमीन दी जो सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल है।

कई मुसलमानों ने दी जमीन : निर्माण समिति के अध्यक्ष के अनुसार केसरिया प्रखंड के कुंडवा निवासी जैनुल खां, आसिम खां, अतीक अहमद खां, जफीर खां आदि ने मंदिर के लिए जमीन दी है। यहां मंदिर-मस्जिद की सोच नहीं, बल्कि इस क्षेत्र की वैश्विक पहचान को लेकर लोग उत्साहित हैं और सभी तरह की मदद को तैयार हैं।

विश्व का सबसे ऊंचा मंदिर : रामायण मंदिर दुनिया के किसी भी मंदिर से ऊंचा होगा। 160 एकड़ की परिधि में 380 फीट की ऊंचाई इस मंदिर के लिए प्रस्तावित है। करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से इस मंदिर के निर्माण की योजना है। इसके लिए विभिन्न प्रदेशों से बुलाए गए विशेषज्ञों की टीम अपना काम कर रही है।

21 जून 2012 को हुआ था भूमि पूजन : मंदिर निर्माण को लेकर 21 जून 2012 को विधिवत भूमि पूजन किया गया। विश्व के सबसे ऊंचे केसरिया बौद्ध स्तूप से करीब 10 किमी की दूरी पर केसरिया-चकिया पथ में बहुआरा कैथवलिया गांव में मंदिर का निर्माण होना है।

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