पटना [राज्य ब्यूरो]। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा कि आखिर विशेषज्ञों ने भी फरक्का बराज के संबंध में उनकी बातों को सही ठहराया है। अपने ट्वीट में नीतीश कुमार ने साउथ एशियन नेटवर्क आन डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल के संयोजक हिमांशु ठक्कर जैसे विशेषज्ञों की राय के लिंक शेयर किए है।
हिमांशु ठक्कर ने कहा है, 'नीतीश कुमार का यह कहना सही है कि फरक्का बराज को हटा देना चाहिए। इसका निर्माण हुगली की ओर पानी के प्रवाह को डाइवर्ट करने के लिए किया गया था, लेकिन, हाल के अध्ययनों से पता चला है कि यह बराज अपने मकसद में कामयाब नहीं हुआ।'
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नीतीश ने कहा कि इस वर्ष गंगा में आई अप्रत्याशित बाढ़ के बाद मैंने फरक्का बराज के अस्तित्व पर सवाल उठाए थे, क्योंकि इसके कारण गंगा में बेतहाशा गाद जमा हुई है। भारत सरकार का 'नमामि गंगे' कार्यक्रम मुख्य रूप से गंगा की 'निर्मलता' पर केंद्रित है, लेकिन मैं हमेशा से कहता आ रहा हूं कि 'अविरलता' सुनिश्चित किए बिना निर्मलता आ ही नहीं सकती।
नीतीश के अनुसार फरक्का बराज की उपयोगिता पर सवाल उठाने वाले वे अकेले व्यक्ति नहीं हैं। विशेषज्ञ इसके निर्माण के समय से ही इसकी मुखालफत करते रहे हैं। इसके अलावा हम लोग लगातार एक राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बनाए जाने की मांग करते रहे हैं। अधिक गाद जमा होने के कारण गंगा का बेड ऊंचा हुआ है और जल प्रवाह की क्षमता कम हुई है।
नीतीश ने कहा, भारत सरकार हलदिया से इलाहाबाद तक नेशनल वाटरवे विकसित करना चाहती है। यह मामला भी हमारे लिए गंभीर चिंता का विषय है। इलाहाबाद से हलदिया तक कई बराज बनाने का प्रस्ताव है। बिहार पहले से ही फरक्का बराज के कुप्रभाव को झेल रहा है। अब नए बराजों के कारण गंगा में जल का प्रवाह और बाधित होगा। नतीजे में यह पवित्र नदी बड़े-बड़े तालाबों की एक सीरीज में बदल जाएगी।
पक्ष में आए विशेषज्ञ
ट्वीट में गौरव विवेक भटनागर के लेख का लिंक शेयर किया गया है, जिसमें नीतीश कुमार के फरक्का बराज को हटाने की मांग को सही ठहराया गया है।
साउथ एशियन नेटवर्क आन डैम्स, रिवर्स एंड पीपुल के संयोजक हिमांशु ठक्कर को कोट करते हुए भटनागर ने लिखा है, ' फरक्का बराज के कारण गंगा में भारी सिल्टेशन हुआ है। फरक्का बराज को ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए। नीतीश कुमार की यह मांग भी जायज है कि गाद प्रबंधन की एक राष्ट्रीय नीति बनाई जाए।'
जब विरोध करने वाले इंजीनियर को कहा था 'पाकिस्तानी जासूस'
मृदुला चारी के एक लेख के मुताबिक, करीब 50 साल पहले जब फरक्का बराज के निर्माण की बात चल रही थी तब पश्चिम बंगाल सरकार के तत्कालीन मुख्य अभियंता कपिल भट्टाचार्य ने उस समय यही बातें कही थीं जो आज नीतीश कुमार कह रहे हैं। लेकिन, कपिल भट्टाचार्य का जबरदस्त विरोध हुआ था। यहां तक कि उन्हें पाकिस्तानी जासूस तक कहा गया था।
दी गई थी ये चेतावनी
- फरक्का पर बराज बनाने के पीछे उद्देश्य यह था कि हुगली नदी के गाद को निकाला जा सके ताकि कोलकाता पोर्ट खुला रहे। यह आइडिया मुख्य रूप से 1853 में एक ब्रिटिश इंजीनियर आर्थर कॉटन ने दिया था।
- आजादी के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने इस आइडिया की ओर ध्यान दिया और फिर केंद्र सरकार ने योजना बनानी आरंभ की।
- भट्टाचार्य ने 1961 में छपे अपने लेख में यह उल्लेख किया था कि हुगली नदी में गाद गंगा नदी के कारण नहीं, बल्कि दामोदर और रूपनारायण नदियों पर बांध बनने के कारण जमा हो रही है।
- उन्होंने तब यह भी चेतावनी दी थी कि फरक्का बराज कुछ इस ढंग से डिजाइन किया गया है कि बाढ़ के समय यह बहुत कम पानी बाहर निकालेगा। ऐसे में पश्चिम बंगाल के मालदा एवं मुर्शिदाबाद और बिहार के कई जिलों में गंगा का पानी भयानक बाढ़ लाएगा। उनकी सभी भविष्यवाणियां अभी सच साबित हो रही है।