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बिहार : इस बार खेल पुरस्कारों में हुआ खेल, हारे खिलाड़ियों को बना दिया चैंपियन

बिहार में रिजल्ट घोटाला के बाद एक और घोटाला सामने आया है। इस बार खेल पुरस्कारों में खेल हुआ है। हारे खिलाड़ियों को चैंपियन बता उन्हें खेल सम्मान दे दिया गया है।

By Amit AlokEdited By: Updated: Sun, 04 Sep 2016 11:09 PM (IST)
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बिहार : इस बार खेल पुरस्कारों में हुआ खेल, हारे खिलाड़ियों को बना दिया चैंपियन
पटना [अमित]। यह बिहार बोर्ड के रिजल्ट घोटाले की तरह ही मेधा का गला घोंटने वाला 'खेल सम्मान घोटाला' है। बिहार राज्य खेल प्राधिकरण ने '16वें नेशनल पारा एथलेटिक्स प्रतियोगिता' में बिना मेडल जीते ही दिव्यांग खिलाड़ियों को खेल सम्मान दे दिया है।

बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक अरविंद पांडे ने स्वीकार किया कि उन्हें इसकी जानकारी है। किस स्तर पर और कहां चूक हुई, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। इसकी जांच की जा रही है। फर्जी पाए गए खिलाड़ियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

विदित हो कि खेल पुरस्कार प्राप्त खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी मिलने में आसानी होती है। आशंका है कि यह घोटाला भी इसी लिए किया गया है। बताया जाता है कि खेल पुरस्कारों का यह घोटाला सालों से चल रहा है।

नहीं जीते थे पदक

जानकारी के अनुसार जिन खिलाडि़यों को खेल सम्मान दिए गए हैं, उनमें से किसी ने भी पंचकुला (हरियाणा) में हुई प्रतियोगिता में मेडल नहीं जीता था। कुछ तो प्रतियोगिता में शामिल तक नहीं हुए थे। विजेताओं की सूची इंटरनेट पर आने के बाद असली विजेताओं से मिलान करने पर इसका खुलासा हुआ। इसकी जानकारी खेल सम्मान समारोह से पहले ही खेल प्राधिकरण को मिल गई थी, लेकिन मामले को दबा दिया या गया।

2007 में हुई शुरुआत

बिहार सरकार ने 2007 से इन पुरस्कारों की शुरुआत की थी। इसमें अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक पाने वाले खिलाड़ियों को अधिकतम 5 लाख तक की राशि भी दी जाती है। पुरस्कार कई श्रेणियों में दिए जाते हैं। पिछले सप्ताह 29 अगस्त को खेल दिवस पर बिहार सरकार ने राज्य के 359 खिलाड़ियों को खेल पुरस्कारों से सम्मानित किया था।

खेल प्राधिकरण की मिलीभगत

बताया जाता है कि बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ है। पुरस्कार के लिए आवेदनों की जांच की जिम्मेदारी उन्हीं के पास है। प्रमाण पत्रों की जांच में जिला खेल पदाधिकारी व खेल सचिव कार्यालय की भूमिका अहम रहती है। कोच, प्रशिक्षक व सिलेक्टर्स से भी काजगात वेरीफाई कराए जाते हैं।

ऐसे मिलता खेल सम्मान

सरकार पहले खिलाड़ियों से आवेदन लेती है। आवेदन में खेल में अपनी उपलब्धियों की जानकारी खिलाड़ी को प्रमाण पत्रों के साथ देनी पड़ती है। प्रमाण पत्रों को जिला खेल पदाधिकारी अथवा संबंधित खेल के सचिव से अभिप्रमाणित करवाना पड़ता है।

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